मास्को। रूस की संसद (Russian Sansad) ने शुक्रवार को फेक न्यूज (fake news) को लेकर कड़े कानून का ऐलान किया। यूक्रेन युद्ध (Ukraine War) के दौरान रूसी सेना के खिलाफ फेक न्यूज (fake news against Army) फैलाने से आजिज आकर रूसी संसद ने यह फैसला लिया है। संसद में पास इस नए कानून में सेना के खिलाफ जानबूझकर फर्जी खबर फैलाने पर 15 साल तक जेल की सजा का प्राविधान किया गया है।
रूसी अधिकारियों का आरोप है कि रूस के दुश्मनों, संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके पश्चिमी यूरोपीय सहयोगियों द्वारा रूसी लोगों के बीच कलह बोने के प्रयास में झूठी सूचना फैलाई जा रही है।
रूसी सांसदों ने फेक न्यूज रोकने के लिए, ऐसे साजिशकर्ताओं को सजा दिलाने का प्राविधान करने के लिए संसद में कानून पास किया। नए कानून के तहत फेक न्यूज फैलाने पर जुर्माना या जेल की सजा हो सकती है। उन्होंने रूस के खिलाफ प्रतिबंधों के लिए सार्वजनिक आह्वान के लिए भी जुर्माना लगाया।
ड्यूमा ने कहा-अगर फेक न्यूज के गंभीर परिणाम को सजा अधिक
संसद के निचले सदन, जिसे रूसी में ड्यूमा के रूप में जाना जाता है, ने एक बयान में कहा कि अगर नकली खबर, गंभीर परिणाम देते हैं तो 15 साल तक की कैद की सजा दी जा सकती है। ड्यूमा ने सशस्त्र बलों को बदनाम करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए दंड के एक पैमाने की रूपरेखा तैयार की है।
ड्यूमा के अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोडिन ने कहा कि यह कानून उन लोगों को सजा देगा जिन्होंने झूठ बोला और बयान दिया जिससे हमारे सशस्त्र बलों को बदनाम किया गया।
पश्चिमी मीडिया दरारें पैदा कर रहीं
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि विशेष सैन्य अभियान रूसी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक था क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका ने नाटो सैन्य गठबंधन को रूस की सीमाओं तक बढ़ा दिया और कीव में पश्चिमी समर्थक नेताओं का समर्थन किया।
ऊपरी सदन में पास होने के बाद पुतिन ने किया सिग्नेचर
कानून में हस्ताक्षर करने के लिए पुतिन के पास जाने से पहले संशोधनों को संसद के ऊपरी सदन द्वारा अनुमोदित किया गया है। इसके बाद राष्ट्रपति ने कानून बनाने के लिए अपना सिग्नेचर किया। हालांकि, रूसी विपक्षी नेताओं ने आशंका जताई है कि पुतिन द्वारा ऑपरेशन के आदेश के बाद क्रेमलिन के असंतोष पर नकेल कस सकता है।
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