भारत-नेपाल के बीच एक बार फिर आवागमन प्रारंभ हो चुका है। बीते अप्रैल से बंद दोनों देशों से आवाजाही शुरू हो गई है। नेपाल सरकार ने इसी हफ़्ते कुछ पाबंदियों के साथ भारतीयों को नेपाल में पैदल प्रवेश की छूट दे दी है। साथ ही नेपाल की पर्यटक गाड़ियों को भारत में आने की इज़ाज़त भी मिल गई।
महामारी की वजह से बॉर्डर हुए थे सील
पिछले साल महामारी के चलते दोनों देशों के बीच सीमाएं सील कर दी गई थीं। इतने अर्से तक सैलानियों से गुलज़ार रहने वाले इलाक़ों की रौनक फीकी रही। आवाजाही शुरू होने से पर्यटन की गतिविधियाँ भी शुरू हो गईं।
हर रोज 500 से अधिक पर्यटक पहुंच रहे
नेपाल पर्यटन एवं भारत-नेपाल मैत्री संघ के अध्यक्ष श्रीचंद गुप्ता ने कहा कि हर रोज़ क़रीब पाँच सौ लोग भारत से नेपाल आ रहे हैं। लुम्बिनी, पोखरा और पशुपतिनाथ मंदिर वाले क्षेत्रों में रौनक लौटने लगी है। उन्हें अब भारतीय गाड़ियों के नेपाल में प्रवेश से रोक हटने का इंतज़ार है।
मंदिरों के ताले खुले, भारी भीड़ जुटी
नेपाल सरकार के आदेश के बाद लुंबिनी में मंदिरों के ताले खोल दिए गए हैं। बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी में माया देवी मंदिर परिसर और इसके आसपास के बाज़ार खुलने लगे हैं। साथ ही वहाँ श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, कंबोडिया, विएतनाम, चीन, कोरिया, जापान और तिब्बत की मदद से बने मंदिरों की देखरेख करने वाला विदेशी स्टाफ़ भी लौट आया है।
नेपाली की गाड़ियों को छूट
पर्यटकों को लाने-ले जाने वाली नेपाल की गाड़ियों को भारत आने की छूट मिल गई है। फ़िलहाल नेपाल के ट्रकों और माल की ठुलाई करने वाले छोटी गाड़ियों को सीमा वाले इलाक़ों के क़रीब रेलवे स्टेशन के मालगोदाम तक जाने की इज़ाज़त थी।
सोनौली में कस्टम सुपरिटेंडेंट सीबी सिंह ने बताया कि काठमांडू में भारतीय दूतावास की तरफ़ से जारी परमिट दिखाकर अब सैलानियों की गाड़ियाँ भारत में आ-जा सकती हैं।
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