Afghanistan के खिलाफ US का साथ देने के लिए Pakistan ने पैसे लिए थे, Imran Khan ने किया खुलासा

इस्लामाबाद। पाकिस्तान (Pakistan) के पीएम इमरान खान (PM Imran Khan) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) में अमेरिका (America) के 20 साल लंबे ‘आतंक के खिलाफ युद्ध’ (Terror in Afghanistan) में शामिल होने के देश के फैसले पर खेद जताया है। इमरान खान ने अफगानिस्तान में आतंक के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका के साथ को ‘खुद का घाव’ और पैसे के लिए किया गया फैसला बताया है। इमरान ने माना है कि अमेरिका का साथ पाकिस्तान ने देशहित के लिए नहीं दिया बल्कि पैसे के लिए दिया था।

इमरान अफगानिस्तान में अमेरिका का साथ देने के खिलाफ

लगभग दो दशक लंबे युद्ध में पाकिस्तान की भागीदारी के लंबे समय से इमरान खान आलोचक रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि 2001 में जब पाकिस्तान ने अमेरिका का साथ देने का निर्णय लिया तो वह तत्कालीन सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ (Parvej Musharraf) के करीब थे। वह जानते हैं कि यह निर्णय जनता के या पाकिस्तान के हित में नहीं लिया गया था बल्कि पैसों के लिए लिया गया था।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने यह दावा देश के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कही।
श्री खान ने कहा कि 20 वर्षों के युद्ध के परिणामस्वरूप पाकिस्तान को 80,000 से अधिक मौतें और 100 बिलियन डॉलर से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ।
इमरान खान ने ‘आतंक के खिलाफ युद्ध’ को पाकिस्तान के लिए एक ‘खुद का घाव’ बताते हुए कहा, ‘हम इस परिणाम (युद्ध के) के लिए किसी और को दोष नहीं दे सकते।’ “हम खुद जिम्मेदार हैं … जैसा कि हमने दूसरों को अपना इस्तेमाल करने दिया, सहायता के लिए अपने देश की प्रतिष्ठा का त्याग किया और एक विदेश नीति बनाई जो सार्वजनिक हित के खिलाफ थी और पैसे के लिए तैयार की गई।”

सोवियत-अफगान युद्ध को बताया पवित्र युद्ध

सोवियत-अफगान युद्ध (Soviet-Afghan War) का जिक्र करते हुए इमरान खान ने कहा कि इसके बजाय 1980 के दशक में हमारा निर्णय सही था जब हमने अफगान जिहाद में भाग लिया था। जिसे तब “पवित्र युद्ध” कहा जाता था।

अफगानिस्तान में स्थितियां खराब की जा रही

अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति के बारे में बात करते हुए, श्री खान ने कहा कि यह एक बड़ा अत्याचार है। एक मानव निर्मित संकट पैदा किया जा रहा है। सारी दुनिया जानती है कि अफगानिस्तान के खातों को मुक्त करने से संकट टल जाएगा। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में स्थिति को समझना और उसे दुरुस्त करने की कोशिश करना पाकिस्तान के लिए अपने पड़ोसी के रूप में महत्वपूर्ण है क्योंकि अफगानिस्तान संकट के कारण देश बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इन कठिन समय में अफगानिस्तान को सहायता प्रदान करना जारी रखेगा, उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान के उदय को पसंद या नापसंद करने के बावजूद, दुनिया को अपने 40 मिलियन लोगों के सामने आने वाली कठिनाइयों पर ध्यान देना चाहिए।

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