Wagner Chief dead: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के खिलाफ बगावत करने वाले येवगेनी प्रिगोजिन बुधवार देर रात एक प्लेन क्रैश में मारे गए। प्रिगोजिन ने जून में पुतिन के खिलाफ बगावत की थी। यूक्रेन वार में शिरकत करने वाली प्राइवेट आर्मी वैगनर ग्रुप के चीफ थे। रूसी एजेंसी तास के हवाले से मिली सूचना के मुताबिक क्रैश में कम से कम 10 अन्य लोग भी मारे गए हैं।
सिविल एविएशन अथॉरिटी की पैसेंजर्स लिस्ट में प्रिगोजिन का नाम
यह क्रैश मॉस्को के उत्तरी इलाके में बुधवार दोपहर हुआ। रूस की सिविल एविएशन अथॉरिटी ने सिर्फ इतना कहा कि येवगेनी का नाम पैसेंजर लिस्ट में शामिल था। यह एम्बरर एयरक्राफ्ट मॉस्को से सेंट पीटर्सबर्ग जा रहा था।
पुतिन का सबसे खास था Wagner Chief लेकिन अचानक कर दी बगावत
प्रिजोजिन ने जून में पुतिन के खिलाफ बगावत की थी और इसके बाद वो कथित तौर पर बेलारूस चले गए थे। लिहाजा, यह साफ नहीं है कि वो रूस कब और कैसे पहुंचे। एक रूसी अफसर ने स्काय न्यूज से कहा- हमने क्रैश की जांच शुरू कर दी है। सिर्फ दो दिन पहले प्रिगोजिन का पहला वीडियो सामने आया था। सोशल मीडिया पर क्रैश के कुछ वीडियो हैं, हालांकि इनकी सत्यता की पुष्टि होनी बाकी है।
9 साल जेल में रहने के बाद बिजनेस
प्रिगोजिन का जन्म 1 जून 1961 को सेंट पीटर्सबर्ग में हुआ। पुतिन की तरह येवगेनी भी सेंट पीटर्सबर्ग में पले-बढ़े। रूसी कोर्ट के डॉक्यूमेंट के मुताबिक, येवगेनी को 1981 में मारपीट, डकैती और धोखाधड़ी में दोषी ठहराया गया था और 13 साल की सजा सुनाई गई थी।
हालांकि, सोवियत यूनियन के पतन के 9 साल बाद येवगेनी को रिहा कर दिया गया। येवगेनी ने जेल से बाहर आने के बाद बिजनेस करने का फैसला किया। सबसे पहले हॉट डॉग का स्टॉल लगाना शुरू किया। इसके बाद रेस्तरां खोला।
प्रिगोजिन रेस्तरां में जाते थे पुतिन
येवगेनी का रेस्तरां जल्द ही काफी पॉपुलर हो गया। यह सेंट पीटर्सबर्ग का सबसे फैशनेबल डाइनिंग स्पॉट बन गया। पॉपुलैरिटी का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि पुतिन खुद वर्ल्ड लीडर्स के साथ इस रेस्तरां में जाते थे। पुतिन ने 2001 में फ्रांस के राष्ट्रपति जैक शिराक और उनकी पत्नी और 2002 में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश की मेजबानी की। 2003 में पुतिन ने अपना बर्थडे भी इसी रेस्तरां में मनाया।
पुतिन के संपर्क में आने के बाद येवगेनी ने कॉनकॉर्ड कैटरिंग की शुरुआत की। इसके बाद येवगेनी को रूस के स्कूलों और सेना को खिलाने के लिए बड़े गवर्नमेंट कॉन्ट्रैक्ट मिलने लगे। उन्हें राष्ट्रपति के भोज की मेजबानी करने का अवसर भी मिला। इसी के बाद से उन्हें पुतिन का रसोइया या शेफ कहा जाने लगा। एंटी-करप्शन फाउंडेशन के मुताबिक, पिछले 5 सालों में येवगेनी को 3.1 अरब डॉलर यानी 26 हजार करोड़ रुपए के गवर्नमेंट कॉन्ट्रैक्ट मिले थे।
Wagner Chief पर 2016 के अमेरिकी चुनाव को प्रभावित करने का आरोप
अपने रेस्तरां और कैटरिंग के बिजनेस से बड़ी संपत्ति बनाने के बाद येवगेनी ने बाहर कदम रखा। अमेरिकी अभियोजकों के मुताबिक, येवगेनी रूस की ट्रोल फैक्ट्री को फंडिंग देने वाली कंपनी इंटरनेट रिसर्च एजेंसी के मालिक थे। इसका काम सोशल मीडिया पर काल्पनिक नाम से अमेरिका के खिलाफ झूठ फैलाना था।
आरोप है कि इसी कंपनी ने 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन और हिलेरी क्लिंटन की आलोचना वाले मैसेज किए। यानी एक तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2013 में जब ट्रोल फैक्ट्री का बनाई गई, तो मेन टास्क सोशल मीडिया को उन आर्टिकल और कमेंट्स से भर देना था, जो बताते थे कि नैतिक रूप से भ्रष्ट पश्चिमी देशों की तुलना में पुतिन का शासन ज्यादा अच्छा है।
Read This Also: Supreme Court Handbook: जेंडर रूढ़िवादिता से निपटने के लिए कोर्ट ने कुछ शब्दों पर लगाई बैन