नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंक घोटाले में सीबीआई ने एबीजपी शिपयार्ड के पूर्व अध्यक्ष ऋषि अग्रवाल से पूछताछ की है। एबीजी शिपयार्ड और उसके निदेशकों पर 28 बैंकों के साथ धोखाधड़ी कर 22842 करोड़ रुपये घोटाले का आरोप है। सूत्रों ने कहा कि एजेंसी ने शनिवार को उनके घर की तलाशी ली जिसके बाद समन जारी किया गया और इसी सप्ताह उनसे पूछताछ की गई।
इनके खिलाफ चल रही है जांच
एजेंसी एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके पूर्व निदेशकों ऋषि अग्रवाल, संथानम मुथुस्वामी और अश्विनी कुमार की जांच कर रही है, जिन पर 22,842 करोड़ रुपये में से 28 बैंकों को धोखा देने का आरोप लगाया गया है।
सबसे बड़े बैंक घोटाले के बाद लुकआउट नोटिस
कथित बैंक धोखाधड़ी मामले में एबीजी शिपयार्ड के मालिकों और वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (lookout circular) जारी किया गया है। लुकआउट सर्कुलर का इस्तेमाल कानून प्रवर्तन अधिकारियों (Law Enforcement officers) द्वारा वांछित किसी भी व्यक्ति को हवाई अड्डों और सीमा पार से देश छोड़ने से रोकने के लिए किया जाता है। शिपिंग फर्म के निदेशकों में ऋषि अग्रवाल, संथानम मुथुस्वामी और अश्विनी कुमार शामिल हैं। यह मामला भारत का सबसे बड़ा बैंक कर्ज घोटाला (ABG Shipyard Fraud case) बताया जा रहा है। एबीजी शिपयार्ड ने भारतीय स्टेट बैंक, केंद्रीय जांच ब्यूरो, या सीबीआई सहित 28 बैंकों के बकाया 22,842 करोड़ रुपये के ऋण लेकिन धोखाधड़ी की है। एबीजी शिपयार्ड ने कम से कम 98 संबंधित कंपनियों को धन दिया।
मनी लॉन्ड्रिंग का भी केस
धोखाधड़ी के मामले में प्रवर्तन विभाग द्वारा बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की गई थी। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि पूर्व प्रमोटरों ने 98 संबंधित कंपनियों को ऋण दिया था। सूत्रों ने कहा कि ईडी जनता के धन को सफेद करने के लिए मुखौटा फर्मों के निर्माण और कंपनी के अधिकारियों की भूमिका की जांच करेगा।
जहाज निर्माण करने वाली प्रमुख कंपनी
एबीजी शिपयार्ड एबीजी समूह की प्रमुख कंपनी है जो जहाज निर्माण और जहाज की मरम्मत में लगी हुई है। शिपयार्ड गुजरात के दहेज और सूरत में स्थित हैं। दहेज और सूरत में स्थित इसके शिपयार्ड ने पिछले 16 वर्षों में 165 से अधिक जहाजों का निर्माण किया है। इनमें से छियालीस जहाज निर्यात के लिए थे।
बैंकों का है हजारों करोड़ रुपये बकाया
भारतीय स्टेट बैंक की एक शिकायत के अनुसार, कंपनी पर बैंक का 2,925 करोड़ बकाया है। इसके अलावा ICICI बैंक का 7,089 करोड़, IDBI बैंक का 3,634 करोड़, बैंक ऑफ़ बड़ौदा का 1,614 करोड़, PNB का 1,244 और आईओबी का 1,228 करोड़ का बकाया है।
सीबीआई ने एफआईआर में आरोप लगाया कि अप्रैल 2012 से जुलाई 2017 की अवधि के लिए मैसर्स अर्न्स्ट एंड यंग एलपी द्वारा प्रस्तुत फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट दिनांक 18.01.2019 से पता चला है कि आरोपियों ने एक साथ मिलीभगत की है और धन के दुरुपयोग, आपराधिक विश्वासघात सहित अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया है।
केंद्रीय जांच एजेंसी का कहना है कि धोखाधड़ी बैंक के धन की कीमत पर गैरकानूनी रूप से हासिल करने के उद्देश्य से धन के दुरुपयोग, हेराफेरी और आपराधिक विश्वासघात के माध्यम से हुई है।
2012 से 2017 तक हुई धोखाधड़ी
फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट से पता चलता है कि धोखाधड़ी अप्रैल 2012 और जुलाई 2017 के बीच हुई है। सीबीआई ने एफआईआर में कहा है कि वस्तुओं की मांग और कीमतों में गिरावट और बाद में कार्गो मांग में गिरावट के कारण वैश्विक संकट ने शिपिंग उद्योग को प्रभावित किया है। कुछ जहाजों/जहाजों के अनुबंधों को रद्द करने के परिणामस्वरूप इन्वेंट्री का ढेर लगा है।
इसके परिणामस्वरूप कार्यशील पूंजी की कमी हुई है और परिचालन चक्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिससे तरलता की समस्या और वित्तीय समस्या बढ़ गई। वाणिज्यिक जहाजों की कोई मांग नहीं थी क्योंकि उद्योग 2015 में भी मंदी के दौर से गुजर रहा था। इसके अलावा, 2015 में कोई नया रक्षा आदेश जारी नहीं किया गया था। कंपनी को सीडीआर में परिकल्पित मील के पत्थर हासिल करने में बहुत मुश्किल हो रही थी। इस प्रकार, कंपनी नियत तारीख पर ब्याज और किश्तों की सेवा करने में असमर्थ थी।
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