कोर्ट ने पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार को सैकड़ों अवैध बांग्लादेशियों को हिरासत केंद्रों में रखने के मकसद स्पष्ट करने का आखिरी मौका दिया है.
अवैध बांग्लादेशियों से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सवाल किया कि सैकड़ों अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को उनके मूल देश वापस भेजने के बजाय उन्हें अनिश्चित काल के लिए भारत के हिरासत केंद्रों में रखने के पीछे मकसद क्या है? सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए 6 फरवरी तक केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार को सैकड़ों अवैध बांग्लादेशियों को हिरासत केंद्रों में रखने के मकसद स्पष्ट करने का आखिरी मौका दिया है.
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने हाल ही में दिए गए आदेश में कहा कि यदि बांग्लादेश से आए किसी अवैध प्रवासी को विदेशी अधिनियम, 1946 के तहत पकड़ा गया है और दोषी ठहराया गया है. तो सजा की अवधि समाप्त होने के तुरंत बाद उनके मूल देश वापस भेज दिया जाना चाहिए. पीठ ने कहा कि कानून को पढ़ने से पता चलता है कि पूरी प्रक्रिया यानी निर्वासन, सत्यापन आदि की प्रक्रिया 30 दिनों की अवधि के भीतर पूरी की जानी चाहिए. हम जानना चाहते हैं कि इस कानून का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है.
कोर्ट ने कहा कि हम केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार दोनों को एक आखिरी मौका देते हैं कि वे मामले के सभी प्रासंगिक पहलुओं को स्पष्ट करते हुए एक उचित रिपोर्ट या हलफनामे के माध्यम से अपना रुख रिकॉर्ड पर रखें.
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