March 16, 2025
इस द्वीप में डिमेंशिया मरीज न के बराबर, वहां के लोग पीते हैं ये एक चीज, स्टडी में हुआ खुलासा

इस द्वीप में डिमेंशिया मरीज न के बराबर, वहां के लोग पीते हैं ये एक चीज, स्टडी में हुआ खुलासा​

2022 में जर्नल लैंसेट पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक शोध का दावा है कि 2050 तक भारत में डिमेंशिया या मनोभ्रंश के मरीजों में 197 फीसदी की वृद्धि हो सकती है. लेकिन, दुनिया में एक ऐसा द्वीप भी है जहां डिमेंशिया मरीजों की संख्या न के बराबर है!

2022 में जर्नल लैंसेट पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक शोध का दावा है कि 2050 तक भारत में डिमेंशिया या मनोभ्रंश के मरीजों में 197 फीसदी की वृद्धि हो सकती है. लेकिन, दुनिया में एक ऐसा द्वीप भी है जहां डिमेंशिया मरीजों की संख्या न के बराबर है!

2023 में न्यूरोएपिडेमियोलॉजी जर्नल में एक स्टडी प्रकाशित हुई. इस अध्ययन के अनुसार भारत की एक करोड़ से ज्यादा आबादी डिमेंशिया (मनोभ्रंश) से जूझ रही है. ये अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में दर्ज आंकड़ों के बराबर है. वहीं 2022 में जर्नल लैंसेट पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक शोध का दावा है कि 2050 तक भारत में डिमेंशिया या मनोभ्रंश के मरीजों में 197 फीसदी की वृद्धि हो सकती है, जिससे देश में इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों की तादाद 1 करोड़ के आंकड़े को पार कर जाएगी. लेकिन, दुनिया में एक ऐसा द्वीप भी है जहां डिमेंशिया मरीजों की संख्या न के बराबर है!

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डिमेंशिया को कैसे मैनेज किया जा सकता है?

वैसे तो कई लाइफस्टाइल ऑप्शन्स हैं जो मनोभ्रंश के जोखिम को कम कर सकते हैं, जिसमें एक हेल्दी डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज, सामाजिक रूप से मिलना-जुलना और अपने दिमाग को सक्रिय रखना शामिल है. लेकिन, इसके अलावा भी एक आदत आपको बचा सकती है.

क्या कहता है अध्ययन?

हाल ही में किए गए शोध से पता चलता है कि एक ऐसा ड्रिंक है जो कुछ ही घूंट पीने से आपके जोखिम को कम कर सकता है. जापान में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जो बुजुर्ग नियमित रूप से ग्रीन टी का सेवन करते हैं, उनके ब्रेन के व्हाइट मैटर (सेरिब्रल वाइट) को नुकसान कम होता है. इसको नुकसान कॉग्निटिव स्किल्स पर असर डालता है जो मनोभ्रंश का एक प्रमुख इंडिकेटर भी होता है.

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डिमेंशिया पर कॉफी और चाय का असर

दरअसल, शोधकर्ताओं ने लगभग 9,000 वयस्कों से उनकी कॉफी और चाय पीने की आदतों के बारे में एक प्रश्नावली भरने को कहा और उनके आंकड़ों का एनालिसिस करने के लिए ब्रेन स्कैनिंग का उपयोग किया.

हालांकि उन्हें इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि कॉफी का सेवन कॉग्निटिव डिक्लाइन को रोक सकता है, लेकिन उनके परिणामों ने उन्हें इस निष्कर्ष पर पहुंचाया कि ग्रीन टी पीना, खासकर से दिन में तीन या ज्यादा गिलास मनोभ्रंश को रोकने में मदद कर सकता है.

क्या ग्रीन टी का सेवन कॉग्नेटिव डिक्लाइन से बचा सकता?

ये निष्कर्ष पिछले अध्ययनों से मेल खाते हैं, जिसमें माना गया कि ग्रीन टी का सेवन आपको कॉग्नेटिव डिक्लाइन से बचा सकता है. 2022 के मेटा-एनालिसिस से पता चला कि प्रत्येक एक कप ग्रीन टी से मनोभ्रंश का जोखिम 6 प्रतिशत कम हो जाता है. एक अन्य हालिया अध्ययन से पता चला है कि प्रतिदिन दो से तीन कप ग्रीन टी पीने से संज्ञानात्मक गिरावट का जोखिम काफी कम हो जाता है. हालांकि चार कप या उससे ज्यादा पीने के बाद वही प्रभाव नहीं देखा गया.

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ग्रीक द्वीप इकारिया के लोगों में डिमेंशिया के मामले न के बराबर

शायद यही कारण है कि ग्रीन टी को ग्रीक द्वीप इकारिया के वृद्धों में मनोभ्रंश की समस्या न के बराबर होने का एक कारण माना जाता है. इसके पीछे का मुख्य कारण ग्रीन टी का एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होना है. खासतौर से एपिगैलोकैटेचिन गैलेट जैसे कैटेचिन, जिनमें सूजनरोधी और कोशिका-सुरक्षात्मक गुण होते हैं, जो संभावित रूप से कैंसर और स्ट्रोक के जोखिम को कम करते हैं.

ग्रीन टी अन्य फायदे

ग्रीन टी का नियमित सेवन करने से दिल अच्छी तरह से काम करता है, जिसमें कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होता है और हाई ब्लड प्रेशर में कमी आती है. इससे हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का जोखिम कम होता है. 2023 के एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग प्रतिदिन दो से चार कप ग्रीन टी का सेवन करते हैं, उनमें स्ट्रोक का जोखिम 24 प्रतिशत तक कम हो जाता है.

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