November 23, 2024
कट्टरपंथी रिश्ते बिगाड़ना चाहते हैं, निज्जर की हत्या में भारत का हाथ नहीं : कनाडा से लौटे उच्चायुक्त संजय वर्मा

कट्टरपंथी रिश्ते बिगाड़ना चाहते हैं, निज्जर की हत्या में भारत का हाथ नहीं : कनाडा से लौटे उच्चायुक्त संजय वर्मा​

कनाडा में भारत के हाई कमिश्नर रहे संजय वर्मा ने कहा, "कनाडा के जरिए कट्टरपंथी रिश्ते बिगाड़ना चाहते हैं. मैं खालिस्तानियों को सिख नहीं मानता हूं. वो खालिस्तानी हैं और आतंकवादी हैं. सिख दूसरों को नहीं मारते."

कनाडा में भारत के हाई कमिश्नर रहे संजय वर्मा ने कहा, “कनाडा के जरिए कट्टरपंथी रिश्ते बिगाड़ना चाहते हैं. मैं खालिस्तानियों को सिख नहीं मानता हूं. वो खालिस्तानी हैं और आतंकवादी हैं. सिख दूसरों को नहीं मारते.”

कनाडा में भारत के हाई कमिश्नर रहे संजय वर्मा (Sanjay Verma) ने जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) सरकार पर खालिस्तानियों को पनाह देने का आरोप लगाया है. कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयानों के बाद भारत सरकार ने संजय वर्मा को वापस बुला लिया था. गुरुवार को NDTV के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में संजय वर्मा ने कहा, “कनाडा के जरिए कट्टरपंथी रिश्ते बिगाड़ना चाहते हैं. मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का कोई हाथ नहीं है.” संजय वर्मा ने कहा कि मैं खालिस्तानियों को सिख नहीं मानता हूं. वो खालिस्तानी हैं और आतंकवादी हैं. सिख दूसरों को नहीं मारते.

कैसे हैं भारत और कनाडा के रिश्ते?
संजय वर्मा ने कहा, “कनाडा और भारत का रिश्ता हमेशा से अच्छा था. आगे भी अच्छा रहेगा. इस समय थोड़ा सा विवाद हो गया है. ये वहां के PM जस्टिन ट्रूडो और उनकी टीम की सोच के कारण है. ऐसा नहीं है कि मामला अचानक से बढ़ गया है. कनाडा में बैठे खालिस्तानी और कट्टरपंथी हमेशा से ही भारत पर वार कर रहे थे. वो हमेशा से ये चाहते थे कि कनाडा और भारत के रिश्ते में खटास आए. लेकिन सरकारों का ये काम है कि वो ऐसी स्थितियों को अच्छे से संभाले और चीजों को बैलेंस करे. फिर रिश्तों के आगे लेकर जाए. आखिरकार हम दोनों जनतंत्र हैं. लेकिन, बदकिस्मती से ऐसा नहीं हो रहा है.”

खालिस्तानी भारतीय नहीं, बल्कि कनाडा के नागरिक
कनाडा के हाई कमिश्नर संजय वर्मा ने कहा कि कनाडा में रहने वाले खालिस्तानी आतंकी भारतीय नहीं, बल्कि कनाडा के नागरिक हैं. ये लोग कनाडा की जमीन से भारत के खिलाफ काम कर रहे हैं. हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि कनाडा सरकार ऐसे लोगों के साथ काम नहीं करे. ये भारत की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती दे रहे हैं.

ट्रूडो सरकार ने निज्जर की हत्या को लेकर शेयर नहीं किए सबूत
संजय वर्मा ने एक बार फिर दोहराया कि कनाडाई अधिकारियों ने निज्जर की हत्या को लेकर एक भी सबूत शेयर नहीं किया है. यह वास्तव में भारत था, जिसने जस्टिन ट्रूडो सरकार के साथ कनाडा की धरती पर सक्रिय कट्टरपंथी और चरमपंथी समूहों के बारे में डिटेल सबूत शेयर किए थे. लेकिन, वहां की सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की.

संजय वर्मा ने कहा, “भारत से जब बच्चों को कनाडा भेजा जाता है, तो यह समझकर भेजा जाता है कि वो वहां सुरक्षित रहेंगे. कनाडा की सोसाइटी बिल्कुल भारत की सोसाइटी जैसी ही है. वो अपने मेहमानों का स्वागत करते हैं. लेकिन, अभी की सरकार से हमें ऐसा महसूस हुआ कि भारत का वहां स्वागत नहीं है.”

खालिस्तानी आतंकियों के बारे में डिटेल खंगालते रहेंगे
संजय वर्मा ने कहा, “हम खालिस्तानी आतंकियों के बारे में सूचनाएं इकट्ठा कर रहे थे और करते रहेंगे. क्योंकि ये हमारे दुश्मन हमारे देश की सुरक्षा का मसला है. कनाडा में कुछ मुट्ठीभर खालिस्तानी वहां का सिस्टम खराब कर रहे हैं. खालिस्तानी भारतीय लोगों को डराते-धमकाते हैं. ताकि भारत के लिए अलग इमेज बने.”

क्या है मामला?
दरअसल, खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच हाल के समय में रिश्ते बिगड़े हैं. कनाडा से रिश्तों में तनाव के बीच भारत ने सोमवार (14 अक्टूबर) को कार्यकारी हाई कमिश्नर स्टीवर्ट रॉस व्हीलर समेत 6 कनाडाई डिप्लोमैट्स को देश से वापस जाने का आदेश दे दिया. इन अधिकारियों को देश छोड़ने के लिए 19 अक्टूबर की रात 12 बजे तक का समय दिया गया है. उधर, कनाडा ने भी भारत के 6 डिप्लोमैट्स को देश छोड़कर जाने के लिए कहा है.

ट्रूडो सरकार की एक चिट्ठी के बाद हुई कार्रवाई
यह कार्रवाई कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो सरकार की एक चिट्ठी के बाद हुई. इसमें भारतीय हाई कमिश्नर और कुछ दूसरे डिप्लोमैट्स को कनाडाई नागरिक की हत्या में संदिग्ध बताया गया था. हालांकि, कनाडाई नागरिक की जानकारी नहीं दी, लेकिन इसे खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जोड़कर देखा जा रहा है.

एस जयशंकर ने कहा, “मुझे लगता है कि भारत के टैलेंट और स्किल की अहमियत दिन प्रति दिन बढ़ रही है. इस बात पर बहुत दिलचस्पी है कि हम भारत से टैलेंट की इस सुचारू आवाजाही को कैसे कर सकते हैं. इसे लेकर भी कुछ देशों को दिक्कत है.”

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