हाल ही भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित सीएआर टी-सेल थेरेपी लॉन्च किया गया है. इस थेरेपी में कैंसर को रोकने और इलाज के लिए ह्युमन जीन का उपयोग किया जाता है. आइए जानते हैं इस थेरेपी के बारे में एक्सपर्ट का क्या कहना है.
What Is CAR T-Cell Therapy: कैंसर के इलाज में जीन थेरेपी ने बड़ी सफलता हासिल की है. इस दिशा में सीएआर-टी सेल थेरेपी को काफी खास माना जा रहा है. हाल ही भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित सीएआर टी-सेल थेरेपी (CAR T-cell Therapy) लॉन्च की गई है. इस थेरेपी में कैंसर को रोकने और इलाज के लिए ह्यूमन जीन का उपयोग किया जाता है. सेल्स में मौजूद जीन को मॉडिफाई किया जाता है. सीएआर टी-सेल थेरेपी में यूज किए जाने वाले टी सेल्स व्हाइट ब्लड सेल्स होते हैं जिन्हें लिंफोसाइट कहा जाता है. यह इम्यून सिस्टम को बीमारियों से लड़ने में मदद करती है. थेरेपी मॉंडिफाई टी सेल्स कैंसर वाले सेल्स को नष्ट कर देती हैं. आइए जानते हैं इस थेरेपी के बारे में एक्सपर्ट्स का क्या कहना है.
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बार बार होने वाले कैंसर के इलाज में उपयोगी:
कैंसर के कई मामलों में यह ठीक होने के बाद फिर हो जाता है. इस तरह के मामलों में इलाज की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं, क्योंकि सेल्स में इम्यून पावर विकसित हो जाती है. ब्लड कैंसर इसमें शामिल है. सीएआर टी-सेल थेरेपी से अब ऐसे मामलों में उपचार संभव हुआ है.
क्या है जीन मॉडिफिकेशन? (What Is Gene Modification?)
सेल्स में मौजूद जीन रंग रूप और लंबाई से लेकर हमारे इम्यून सिस्टम के लिए जिम्मेदार होते हैं. कैंसर के उपचार में किए जाने वाले जीन थेरेपी में खास सेल्स को बॉडी के बाहर निकाल कर उन्हें मॉडिफाई कर फिर से बॉडी में डाला जाता है.
भारत में उपलब्ध सस्ती तकनीक:
विदेशों में सीएआर टी-सेल थेरेपी का उपयोग किया जा रहा था लेकिन यह काफी खर्चीला था. उपचार में तीन से चार करोड़ तक का खर्च आता था. भारत में लॉन्च किए जाने के बाद यह अपेक्षाकृत सस्ता है. इस मामले में अब भी रिसर्च जारी है और भविष्य में इसके और सस्ते होने की संभावना है.
क्या हैं इस तकनीक के साइड इफैक्ट्स?
कैंसर के उपचार में कई तरह के साइड इफैक्ट्स का खतरा रहता है. विशेषज्ञों के अनुसार सीएआर टी-सेल थेरेपी में मॉडिफाई जीन का कैंसरयुक्त सेल्स के अलावा अन्य सेल्स पर भी असर होने का खतरा रहता है. इसके साथ ही इसमें रिएक्शन का भी खतरा होता है.
किन लोगों को दी जाती है सीएआर टी-सेल थेरेपी?
भारत में यह थेरेपी उन्हीं मरीजों का दिए जाने की अनुमति है जिन पर कैंसर उपचार के शुरुआती उपचार काम नहीं करते हैं. हालांकि रिसर्च किए जा रहे हैं कि इस थेरेपी को कैंसर के शुरुआती स्टेज में दिया जा सके तो ताकि कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स को कम करने में मदद मिले.
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सॉडिल ट्यूमर का इलाज
भविष्य में इस थेरेपी का उपयोग ब्लड कैंसर के अलावा सॉडिल कैंसर जैसे ब्रेन कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर में किया जा सकेगा. इसके अलावा जीन मॉडिफिकेशन के कारण होने वाले साइड इफैक्ट्स को कम करने पर भी काम चल रहा है.
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