माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit) के पति डॉक्टर श्रीराम नेने ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्हें ग्रीन म्यूकस के बारे में बताया है. खासतौर उन्होंने इस बारे में बात की है कि हरे बलगम के मामले में एंटीबायोटिक्स लेना जरूरी होता है या नहीं?
हममें से लगभग सभी लोग सीजनल बीमारियों की चपेट में आते ही हैं. खासी जुकाम होना काफी आम है, लेकिन एक चीज जो इन दिनों परेशान करती है वह है बलगम बनना. ये न सिर्फ छाती में जकड़न का कारण बनता है बल्कि अक्सर हमें डरा भी देता है जब हम हरा बलगम देखते हैं. प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेत्री माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit) के पति और जाने-माने कार्डियक सर्जन, डॉक्टर श्रीराम नेने (Shriram Nene) ने एक जरूरी वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया, जिसमें उन्होंने “ग्रीन म्यूकस” और इसके इलाज से जुड़े कई जरूरी फैक्ट्स के बारे में बताया. यह वीडियो खासतौर से इस बात पर केंद्रित था कि क्या हरा बलगम के मामले में एंटीबायोटिक्स लेना जरूरी होता है या नहीं?
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ग्रीन बलगम क्या है?
हमारी श्वसन प्रणाली में जब कोई संक्रमण या सूजन होती है, तब बलगम (म्यूकस) बनता है. सामान्य रूप से बलगम का रंग सफेद या हल्का पीला होता है, लेकिन जब संक्रमण ज्यादा गंभीर होता है, तो यह बलगम हरा या गाढ़ा हो सकता है. ग्रीन बलगम अक्सर यह संकेत देता है कि शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए व्हाइट ब्लड सेल्स का उत्पादन कर रहा है. आमतौर पर सर्दी, खांसी या अन्य श्वसन संबंधी संक्रमणों के दौरान ग्रीन बलगम देखा जा सकता है.
क्या ग्रीन बलगम में एंटीबायोटिक्स लेना आवश्यक है?
डॉ. नेने ने इस मुद्दे पर विशेष ध्यान दिया और बताया कि ग्रीन बलगम का मतलब हमेशा बैक्टीरियल संक्रमण नहीं होता। अक्सर लोग मानते हैं कि जब बलगम हरा हो जाता है, तो उन्हें एंटीबायोटिक्स की ज़रूरत है, लेकिन यह एक सामान्य गलतफहमी है।
डॉ. नेने ने समझाया कि ज्यादातर मामलों में ग्रीन बलगम वायरस के कारण होता है, जैसे कि सर्दी या फ्लू और वायरस पर एंटीबायोटिक्स का कोई असर नहीं होता. एंटीबायोटिक्स केवल बैक्टीरियल संक्रमणों के लिए प्रभावी होते हैं. इसलिए केवल बलगम के रंग के आधार पर एंटीबायोटिक्स लेने का निर्णय लेना सही नहीं है.
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कब लें डॉक्टर से सलाह?
हालांकि हर बार ग्रीन बलगम का मतलब गंभीर संक्रमण नहीं होता, लेकिन अगर आपको नीचे बताए गए कुछ लक्षण दिखते हैं, तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए:
तेज बुखार जो कई दिनों तक बना रहे.सांस लेने में दिक्कत या सीने में भारीपन.बलगम में खून आना.10-12 दिनों से ज्यादा समय तक खांसी या बलगम बने रहना.पहले से कोई गंभीर श्वसन संबंधी बीमारी, जैसे अस्थमा या सीओपीडी (COPD).
एंटीबायोटिक्स का दुरुपयोग
डॉ. नेने ने वीडियो में एक और मुद्दा उठाया- एंटीबायोटिक्स का अति प्रयोग. उन्होंने कहा कि एंटीबायोटिक्स का जरूरत से ज्यादा या गलत उपयोग एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस (एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस) को बढ़ावा देता है. इससे भविष्य में संक्रमण के इलाज में कठिनाई हो सकती है, क्योंकि बैक्टीरिया एंटीबायोटिक्स के प्रभाव को बेअसर करना सीख लेते हैं.
नेचुरल ट्रीटमेंट और केयर:
भरपूर मात्रा में पानी पिएं.आराम करें और शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए समय दें.हल्की गर्म चीजें, जैसे सूप या अदरक-तुलसी की चाय, कफ को पतला कर सकती हैं और आराम प्रदान कर सकती हैं.अगर जरूरत हो, तो डॉक्टर द्वारा सुझाई गई ओवर-द-काउंटर दवाओं का उपयोग करें.
डॉ. नेने के इस वीडियो ने ग्रीन म्यूकस और एंटीबायोटिक्स के संबंध में लोगों की कई गलत धारणाओं को दूर किया है. हर बार ग्रीन बलगम दिखने पर एंटीबायोटिक्स लेना जरूरी नहीं होता. सही कदम यह है कि लक्षणों पर ध्यान दें और डॉक्टर की सलाह लें. अगर किसी को लंबे समय से खांसी, बुखार या सांस लेने में दिक्कत हो रही है, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें.
एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल सोच-समझकर और डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए ताकि हम एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस जैसी बड़ी समस्या से बच सकें.
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