November 23, 2024
गणित में 100 में से 20 नंबर लाकर भी पास हो जाएंगे बच्चे! जानें महाराष्ट्र में आ रहा क्या नया नियम

गणित में 100 में से 20 नंबर लाकर भी पास हो जाएंगे बच्चे! जानें महाराष्ट्र में आ रहा क्या नया नियम​

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक राहुल रेखावर के अनुसार, "यह बदलाव स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पहले से ही अप्रूव्ड नए पाठ्यक्रम ढांचे का हिस्सा है".

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक राहुल रेखावर के अनुसार, “यह बदलाव स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पहले से ही अप्रूव्ड नए पाठ्यक्रम ढांचे का हिस्सा है”.

महाराष्ट्र में मैथ्स और साइंस में स्ट्रगल करने वाले बच्चों को राज्य सरकार की ओर से बड़ी राहत मिली है क्योंकि सरकार ने एसएससी में दोनों सब्जेक्ट के 100 में से पासिंग मार्क्स को 35 से घटाकर 20 कर दिया है. लेकिन इसके साथ ही एक नियम भी है. दरअसल, जिन छात्रों को मार्कशीट में इस तरह से पास किया जाएगा उनकी मार्कशीट में एक नोट भी होगा, जिसमें लिखा होगा कि वो आगे मैथ्स या फिर साइंस की पढ़ाई नहीं कर सकते हैं.

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक राहुल रेखावर के अनुसार, “यह बदलाव स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पहले से ही अप्रूव्ड नए पाठ्यक्रम ढांचे का हिस्सा है”. हालांकि, राज्य माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष शरद गोसावी ने कहा, “यह बदलाव तब लागू होगा जब नए पाठ्यक्रम को राज्य में लागू किया जाएगा”.

रेखावर ने कहा कि यह फैसला उन छात्रों का समर्थन करेगा जो ह्यूमैनिटीज या फिर आर्ट्स करने में दिलचस्पी रखते हैं. उन्होंने कहा, “मैथ्स या फिर साइंस में फेल होने की वजह से या फिर एसएससी में फेल होने के कारण छात्रों के पास आगे की पढ़ाई के लिए ऑप्शन नहीं रह जाते हैं, फिर चाहे उनकी क्षमता किसी अन्य चीज में ही क्यों न हो. यह बदलाव सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है कि छात्रों को शिक्षा प्रणाली से अनुचित तरीके से बाहर नहीं किया जाए और वो अपनी शैक्षणिक और कैरियर संबंधी आकांक्षाओं को पूरा कर सकें”.

रेखावर ने यह भी कहा कि अगर छात्र चाहें त वो सप्लीमेंट्री परीक्षा या फिर अगले साल रेगुलर परीक्षा दे सकते हैं और सब्जेक्ट में पास होकर नई मार्कशीट प्राप्त कर सकते हैं. शिक्षा बोर्ड के इस फैसले पर लोगों के मिक्स रिएक्शन सामने आ रहे हैं जिसमें कुछ लोग इस पहल को पसंद कर रहे हैं तो वहीं कुछ अन्य लोग इसकी निंदा कर रहे हैं और कह रहे हैं इससे एजुकेशनल स्टैंडर्ड के साथ कोम्प्रोमाइज किया जा रहा है.

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