मतदान से पहले मनोहर लाल खट्टर ने कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा का कार्ड खेला था. उन्होंने कुमारी शैलजा के बीजेपी में शामिल होने के मुद्दे को उठाया था. बाद में शैलजा को इस मुद्दे पर सफाई देनी पड़ी थी लेकिन तब तक वोटर्स के एक बड़े वर्ग में मैसेज जा चुका था.
हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जीत की हैट्रिक लगाकर तमाम राजनीतिक पंडितों को हैरान कर दिया. मतदान के बाद सामने आए तमाम एग्जिट पोल ने कांग्रेस की जीत का दावा किया था. हालांकि नतीजे अलग आए और बीजेपी ने 48 सीटों पर जीत दर्ज कर ली. चुनाव के दौरान और उससे पहले जानकारों का मानना रहा था कि बीजेपी की कमजोर हालत के लिए मनोहर लाल खट्टर के 9 साल की शासन है. खट्टर ने बीजेपी की हालत हरियाणा में बेहद कमजोर कर दी है. हालांकि जब चुनाव परिणाम सामने आए तो मनोहर लाख खट्टर के आधार वाले इलाके में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया. मनोहर लाल खट्टर की लोकसभा सीट करनाल के अंतर्गत आने वाली सभी 9 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है. करनाल लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 सीटें करनाल जिले से और 4 पानीपत जिले में आते हैं.
चल पड़ा खट्टर का शैलजा कार्ड
मतदान से पहले मनोहर लाल खट्टर ने कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा का कार्ड खेला था. उन्होंने कुमारी शैलजा के बीजेपी में शामिल होने के मुद्दे को उठाया था. मनोहर लाल खट्टर ने कहा था कि राजनीति संभावनाओं का खेल है. संभावना तो हमेशा बनी रहती है. मनोहर लाख खट्टर के बयान के बाद कुमारी शैलजा को सफाई देनी पड़ी थी. हालांकि इतने ही दिनों में बीजेपी ने अपने पक्ष में माहौल सेट कर लिया. हालांकि कांग्रेस ने अशोक तंवर को पार्टी में शामिल करवाकर दलित वोटर्स को अंतिम समय में साधने की कोशिश की लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी.
पार्टी और संगठन के लिए खट्टर हमेशा रहे हैं वफादार
मनोहर लाल खट्टर आरएसएस की शाखा से निकलकर राजनीति के शिखर तक पहुंचे हैं. आरएसएस के नेताओं के बीच उनकी अच्छी पैंठ है. मनोहर लाल खट्टर के 2014 में मुख्यमंत्री बनने के पीछे भी इसे एक बड़ा कारण माना गया था. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी की इंटरनल सर्वे के आधार पर मनोहर लाल खट्टर को सीएम का पद छोड़ना पड़ा था. हालांकि उन्होंने पद छोड़ने के बाद पार्टी के लिए जमकर काम किया. लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने शानदार जीत दर्ज की और बाद में विधानसभा चुनाव में भी जमकर काम किया. हरियाणा में बीजेपी के कार्यकर्ता एकजुट होकर मैदान में डटे रहें. पार्टी के अंदर किसी भी तरह की गुटबाजी नहीं देखने को मिली.
खट्टर का मोदी कनेक्शन
1996 में जब नरेंद्र मोदी हरियाणा के बीजेपी प्रभारी थे उस समय मनोहर लाल खट्टर ने उनके साथ मिलकर काम किया था. दोनों ही नेता आरएसएस में अपने जीवन के प्रारंभिक दौर से रहे हैं. मुख्यमंत्री के तौर पर भी खट्टर के चयन में पीएम मोदी की भूमिका मानी जाती थी. पार्टी सूत्रों का कहना रहा है उन्हें राज्य में उनकी बहुत साफ छवि के लिए चुना गया था.
पीएम मोदी ने भी मनोहर लाल खट्टर के साथ अपने रिश्ते को लेकर कई बार सार्वजनिक तौर पर बयान दिया. उन्होंने एक बार कहा था कि “मनोहर लाल जी और मैं बहुत पुराने साथी हैं। दरी पर सोने का जमाना था, तब भी साथ काम करते थे। मनोहर लाल जी के पास एक मोटरसाइकल रहती थी। वो मोटरसाइकल चलाते थे और मैं पीछे बैठता था”
बेहद गरीब परिवार से निकले हैं मनोहर लाल खट्टर
मनोहर लाल खट्टर मूल रूप से रोहतक के रहने वाले हैं. उनके पिता जिंदगी की शुरुआती दिनों में मजदूरी करते थे बाद में उन्होंने एक कपड़े की दूकान खोल ली थी. एक नंबर कम रहने के कारण रोहतक मेडिकल कॉलेज में उनका दाखिला नहीं हो पाया था. बाद में उन्होंने दिल्ली के सदर बाजार में एक कपड़े की दूकान खोल ली थी. बाद में उन्होंने अपना व्यवसाय भाई को सौंप दिया और स्वयं आरएसएस के प्रचारक बन गए. बाद में उन्होंने बीजेपी के संगठन को संभाला और हरियाणा में पार्टी के संगठन को बेहद मजबूत कर दिया.
खट्टर का हरियाणा में नहीं है बहुत अधिक जातिगत आधार
खट्टर पंजाबी खत्री समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. उनके समुदाय का हरियाणा में बहुत अधिक जातिगत आधार नहीं है. हालांकि उन्होंने संगठन में काम करते हुए कार्यकर्ताओं के बीच अपने एक मजबूत आधार बना लिया है. मनोहर लाल खट्टर की जगह पर सीएम बनाए गए सैनी ओबीसी समुदाय से आते हैं उनका मजबूत जातिगत आधार है बीजेपी को उसका लाभ मिला. हालांकि संगठन के स्तर पर मनोहर लाल खट्टर ने कार्यकर्ताओं को एकजुट किया.
जाट बनाम गैर जाट की राजनीति को मनोहर लाल खट्टर ने किया मजबूत
2014 में जब मनोहर लाल खट्टर को सीएम बनाया गया था तो लोग हैरान थे. हरियाणा की राजनीति में जाट वोटर्स और नेताओं का ही दबदबा रहा था. हालांकि बीजेपी के प्रयोग को मनोहर लाल खट्टर ने 2019 में सही साबित करवाया. बाद में जब खट्टर के खिलाफ कुछ माहौल बने तो पार्टी के कहने पर उन्होंने अचानक सीएम पद छोड़ दिया. हालांकि वो पर्दे के पीछे से राजनीति में जमे रहे. गैर जाट वोटर्स के बीच बीजेपी की तरफ से मजबूत संदेश पहुंचे.
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