इस आयोजन में मुस्लिम समाज के लोगों ने एकजुटता दिखाते हुए बिल के समर्थन में अपनी खुशी जाहिर की. सभी ने इसे गरीबी और पिछड़ेपन से उबारने वाला कदम बताया और केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना की.
वरिष्ठ भाजपा नेता जमा खान ने जबलपुर के औमती चौक पर मुस्लिम समाज के सैकड़ों धर्मावलंबियों के साथ वक्फ बिल के पास होने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने की खबरों के बीच खुशी में मिठाई बांटी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया. इस बिल को राष्ट्रहित में बताते हुए मुस्लिम समाज के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया. कार्यक्रम में मौजूद एस के मुद्दीन ने कहा कि वक्फ संशोधन बिल मुसलमानों की दशा और दिशा बदलने में अहम भूमिका निभाएगा. उन्होंने इसे समुदाय के कल्याण के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि यह बिल निश्चित रूप से मुस्लिम समाज के विकास में योगदान देगा.
कुछ लोग वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग किया
इस दौरान जमा खान ने कहा कि वक्फ बिल मुसलमानों का भविष्य सुधारेगा. उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले 70 सालों से कुछ लोग वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग कर लाभ उठाते रहे हैं. यह संपत्तियां गरीबों, मजदूरों और बेसहारा लोगों की मदद के लिए थीं, न कि नेताओं और उनके रिश्तेदारों के लिए.
जमा खान ने आगे कहा कि देश में 9 लाख एकड़ से अधिक वक्फ संपत्तियां होने के बावजूद मुस्लिम समुदाय के लोग सड़कों पर व्यवसाय करने को मजबूर हैं. इसके लिए उन्होंने पिछले 70 साल तक देश पर शासन करने वाली पार्टी को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष वक्फ बिल को लेकर मुस्लिम समाज को गुमराह कर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहा है, जो पूरी तरह गलत है.
इस आयोजन में मुस्लिम समाज के लोगों ने एकजुटता दिखाते हुए बिल के समर्थन में अपनी खुशी जाहिर की. सभी ने इसे गरीबी और पिछड़ेपन से उबारने वाला कदम बताया और केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना की. संसद के दोनों सदनों से बजट सत्र में पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई. इस संबंध में गजट अधिसूचना जारी होने के साथ ही वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम भी बदलकर यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, इम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) अधिनियम, 1995 हो गया है.
विपक्षी दलों और कई मुस्लिम संगठनों के विरोध के बावजूद लोकसभा ने 3 अप्रैल को तड़के और राज्यसभा ने 4 अप्रैल को तड़के इसे मंजूरी प्रदान की. लोकसभा में इसके समर्थन में 288 और विरोध में 232 वोट पड़े थे जबकि ऊपरी सदन में इसके पक्ष में 128 और विरोध में 95 वोट पड़े.
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