अशांति के दौर से गुजर रहे मणिपुर में एक ताजा और महत्वपूर्ण घटनाक्रम में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने इस पूर्वोत्तर राज्य में सुरक्षा अभियानों की देखरेख करने वाली यूनीफाइड कमांड का नियंत्रण सौंपने की मांग की है. सूत्रों ने बताया कि वर्तमान में कमान का नियंत्रण केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी गण, राज्य के सुरक्षा सलाहकार और सेना की एक टीम के हाथ में है. मणिपुर सरकार ने केंद्र से आठ मांगें की हैं.
अशांति के दौर से गुजर रहे मणिपुर में एक ताजा और महत्वपूर्ण घटनाक्रम में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने इस पूर्वोत्तर राज्य में सुरक्षा अभियानों की देखरेख करने वाली यूनीफाइड कमांड का नियंत्रण सौंपने की मांग की है. सूत्रों ने बताया कि वर्तमान में कमान का नियंत्रण केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी गण, राज्य के सुरक्षा सलाहकार और सेना की एक टीम के हाथ में है. मणिपुर सरकार ने केंद्र से आठ मांगें की हैं.
सूत्रों ने बताया है कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और राज्य के सभी विधायकों ने राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य को मांगों की एक सूची सौंपी है. एक सूत्र ने एनडीटीवी को बताया कि इस सूची में “एकीकृत कमान सौंपकर संविधान के अनुसार निर्वाचित राज्य सरकार को पर्याप्त अधिकार और जिम्मेदारियां देने” की मांग शामिल है.
सूची में एक और प्रमुख मांग सरकार और कुकी विद्रोही समूहों के बीच ऑपरेशन एग्रीमेंट सस्पेंशन को खत्म करने की है ताकि सुरक्षा बल कड़ी कार्रवाई कर सकें. इस साल जनवरी में मणिपुर में एक सर्वदलीय बैठक में केंद्र और राज्य सरकार से इस समझौते को खत्म करने के लिए कहा गया था ताकि सुरक्षा बल कुकी विद्रोहियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान शुरू कर सकें.
मुख्यमंत्री सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में विपक्षी विधायकों ने यह भी सवाल उठाया था कि केंद्र और राज्य सरकार ने यह क्यों नहीं बताया कि मणिपुर में संविधान का अनुच्छेद 355 लागू है. अनुच्छेद 355 में कहा गया है कि हर राज्य को बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से बचाना केंद्र का कर्तव्य है और इस प्रावधान के लागू होने का मतलब है कि राज्य राष्ट्रपति शासन से एक कदम दूर है.
पिछले साल मई से जारी हैं जातीय संघर्ष की घटनाएं
सूची में केंद्र से राज्य में शांति सुनिश्चित करने का भी आह्वान किया गया है. मणिपुर में पिछले साल मई से जातीय समूहों के बीच हिंसक संघर्ष की घटनाएं हो रही हैं. सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री और बीजेपी विधायकों ने राज्य की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने, सीमा पर बाड़ लगाने का काम पूरा करने, राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर का काम पूरा करने और सभी अवैध प्रवासियों को वापस भेजने की भी मांग की है.
मणिपुर में कुछ पहाड़ी इलाकों में प्रमुख रूप से रहने वाली कुकी नाम की करीब दो दर्जन जनजातियों और मैतेई समुदाय के बीच जारी संघर्ष में 220 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और लगभग 50,000 लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हो गए हैं.
सामान्य श्रेणी के मैतेई समुदाय के लोग अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल होना चाहते हैं, जबकि पड़ोसी म्यांमार के चिन राज्य और मिजोरम के लोगों के साथ जातीय संबंध रखने वाले कुकी मणिपुर से अलग प्रशासन चाहते हैं. वे मैतेई के साथ भेदभाव और संसाधनों और सत्ता के असमान बंटवारे का हवाला देते हैं.
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