झारखंड में पहले चरण का मतदान 13 नवंबर को होगा. जिन इलाकों में मतदान होगा, उनमें कोल्हान का इलाका भी शामिल है. यह एक ऐसा इलाका है, जहां पिछले चुनाव में बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली थी. आइए जानते हैं कोल्हान के लिए इस बार बीजेपी की रणनीति क्या है.
झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण का प्रचार खत्म हो गया है. सभी राजनीतिक दलों ने जोर-शोर से अभियान चलाया. झारखंड में सत्तारूढ़ जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी और वामदलों का गठबंधन अपनी सरकार की वापसी के प्रयास कर रहा है. वहीं बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए राज्य की हेमंत सोरेन सरकार को हटाने के लिए जोर-शोर से लगा हुआ है. लेकिन बीजेपी की सबसे बड़ी चुनौती कोल्हान है. यह झारखंड का एक ऐसा इलाका है, जहां बीजेपी काफी कमजोर है. पिछले विधानसभा चुनाव में उसे इस इलाके से एक सीट भी नहीं मिली थी.
कोल्हान का समीकरण क्या है
कोल्हान में पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला खरसावा जिले शामिल हैं. इन तीनों जिलों में विधानसभा की 14 सीटें हैं. इनमें पूर्वी सिंहभूम में 6, पश्चिमी सिंहभूम में 5 और सरायकेला खरसावा में 3 सीटें हैं. इनमें से 9 सीटें अनुसूचित जाति और एक सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. इन सभी सीटों पर विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 13 नवंबर को मतदान कराया जाएगा.
साल 2019 के चुनाव में यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 11, कांग्रेस ने दो और एक सीट निर्दलीय ने जीती थीं. लेकिन बीजेपी का खाता भी नहीं खुल पाया था. हालत यह थी कि मुख्यमंत्री रघुवर दास का विधानसभा क्षेत्र भी कोल्हान में ही आता है. लेकिन वो पिछला चुनाव निर्दलीय सरयू राय से हार गए थे. कोल्हान में मिली हार को बीजेपी ने काफी गंभीरता से लिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोल्हान का इस बार दो बार दौरा कर चुके हैं. इसके अलावा सितंबर में पीएम मोदी पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर आए थे. उस दौरान पीएम ने 6 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रनों को हरी झंडी दिखाई. इसके अलावा उन्होंने 660 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी थी.
कोल्हान में बीजेपी की रणनीति
इस चुनाव में अब तक इस इलाके में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की रैलियां हो चुकी हैं. इस दौरान घुसपैठ और धर्म से जुड़े मुद्दे उठाए गए. कोल्हान को जीतने के लिए बीजेपी ने बड़ी तैयारी की है. इसी के तहत कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को बीजेपी में शामिल कराया गया. वो अपनी परंपरागत सरायकेला सीट से चुनाव मैदान में हैं. उनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को भी बीजेपी में शामिल कराया गया है. गीता कोड़ा 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सिंहभूम से चुनाव जीता था. लेकिन 2024 में उन्हें झारखंड मुक्ति मोर्चा की जोबा माझी से हार का सामना करना पड़ा था. बीजेपी ने अब उन्हें जगन्नाथपुर विधानसभा सीट से टिकट दिया है. बीजेपी के कद्दावर नेता रहे सरयू राय ने रघुवर दास से मनमुटाव की वजह से पार्टी छोड़ दी थी. बाद में उन्होंने अपनी अलग पार्टी बनाई. लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने अपनी पार्टी का नीतीश कुमार की जेडीयू में विलय कर दिया. जेडीयू ने उन्हें जमशेदपुर पश्चिम से टिकट दिया है.
कोल्हान के इलाके से कई और हाई प्रोफाइल लोग चुनाव मैदान में हैं. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा पोटका, ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की बहू पूर्णिमा साहू जमशेदपुर पूर्व से, चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन घाटशिला से चुनाव लड़ रहे हैं.
बीजेपी के कितना काम आएंगे चंपाई सोरेन
कोल्हान जीतने की राह को आसान बनाने के लिए ही बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को झारखंड मुक्ति मोर्चा से तोड़कर अपने में मिलाया है. सोरेन को कोल्हान टाइगर के नाम से जाना जाता है. कोल्हान जीतने के लिए बीजेपी ने कई तरह की रणनीतियां बनाई हैं. इनमें से एक है उम्मीदवार बदलने की. इसके अलावा बीजेपी ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा बनाया है. वो बेरोजगारी और चंपाई सोरेन को उनके पद से हटाने को भी चुनावी मुद्दा बना रही है.
बीजेपी इस बार जिन 10 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहां उसने अपने उम्मीदवार बदल दिए हैं. जिन लोगों को टिकट दिए गए हैं, वे दूसरे दलों से आए नेता और बड़े नेताओं के रिश्तेदार हैं. कोल्हान में बीजेपी की सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन तीन और जनता दल (यूनाइटेड) एक सीट पर चुनाव लड़ रही है.
झारखंड की राजनीति
झारखंड को आमतौर पर पलामू, संथाल परगना, उत्तर छोटानागपुर, दक्षिण छोटानागपुर, और कोल्हान में बांटा जाता है. सबसे अधिक 25 विधानसभा सीटें उत्तरी छोटानागपुर में हैं. इसके अलावा संथाल परगना में 18, दक्षिण छोटानागपुर में 15, कोल्हान में 14, पलामू में नौ सीटें हैं. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में संथाल परगना में बीजेपी को 36 फीसदी, जेएमएम प्लस को 40 और अन्य को 24 फीसदी वोट मिले थे. वहीं उत्तरी छोटानागपुर में बीजेपी को 32, जेएमएम प्लस को 31 और अन्य को 37 फीसदी वोट मिले थे. दक्षिणी छोटानागपुर में बीजेपी को 37, जेएमएम प्लस को 38 और अन्य को 25 फीसद वोट मिले थे. पलामू में बीजेपी को 37 फीसदी, जेएमएम प्लस को 30 फीसदी और अन्य को 33 फीसदी वोट मिले थे. बीजेपी को 30.1 फीसदी वोट कोल्हान में मिले थे. यहां जेएमएम प्लस को 42.7 फीसदी वोट मिले थे. अन्य के खाते में 27.2 फीसदी वोट गए थे. यानि की झारखंड में बीजेपी के लिए यही इलाका सबसे कमजोर है. इसलिए वह इस बार इस इलाके में अधिक से अधिक सीटें जीतना चाहती है.
कोल्हान में कौन कितना मजबूत है
साल 2019 के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कोल्हान में 11, कांग्रेस ने 2 और 1 सीट निर्दलीय ने जीती थीं. जेएमएम ने अपने 9 विधायकों को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने अपने दोनों विधायकों बन्ना गुप्ता को जमशेदपुर पश्चिम और सोनाराम सिंकु को जगन्नाथपुर से फिर उम्मीदवार बनाया है. वहीं जमशेदपुर ईस्ट में कांग्रेस ने अपने प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार को मैदान में उतारा है. साल 2019 के चुनाव में जमशेदपुर पूर्व में बीजेपी के बागी सरयू राय ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने उस समय के मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराया था. इस सीट पर बीजेपी ने इस बार रघुवर की पुत्रवधू पूर्णिमा दास साहू को उम्मीदवार बनाया है. वहीं पिछली बार जीते सरयू राय इस साल जदयू में शामिल हो गए हैं. वो इस बार जमशेदपुर पश्चिम से चुनाव लड़ रहे हैं.
झारखंड में इस बार दो चरण में विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं. इसके तहत पहले चरण का मतदान 13 नवंबर और दूसरे चरण का मतदान 20 नवंबर को कराया जाएगा. मतों की गिनती का काम 23 नवंबर को होगा.
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