हर फिल्म की कहानी के पीछे कोई न कोई इंस्पिरेशन जरूर होती है. कई हिंदी फिल्मों के पीछे हिंदी साहित्य ने इंस्पिरेशन का काम किया है.
हर फिल्म की कहानी के पीछे कोई न कोई इंस्पिरेशन जरूर होती है. कई हिंदी फिल्मों के पीछे हिंदी साहित्य ने इंस्पिरेशन का काम किया है. आपने ऐसी बहुत सी फिल्मों के नाम सुने होंगे जो हिंदी के लिखे मशहूर नॉवेल्स पर बेस्ड हैं. हिंदी साहित्य से जुड़ी ऐसी बहुत सी कहानियां हैं जो हिंदी फिल्म जगत के डायरेक्टर, राइटर और स्क्रीन प्ले राइटर्स को पसंद आती हैं. और, वो उस पर फिल्म भी बनाते हैं. आपको बताते हैं ऐसी ही कुछ किताबों के बारे में. जिन पर बॉलीवुड में फिल्में बनी और वो खूब पसंद भी की गईं.
चित्रलेखा
इस नाम से बॉलीवुड में दो बार मूवीज बनाई गईं. एक बार साल 1941 में मूवी बनी और दूसरी बार साल 1964 में फिल्म बनी. दोनों ही बार इसे किदार शर्मा नाम के डायरेक्टर ने बताया. दूसरी बार बनी चित्रलेखा में अशोक कुमार, मीना कुमारी, प्रदीप कुमार और महमूद जैसे दिग्गज कलाकारों ने काम किया. फिल्म चित्रलेखा नाम के ही हिंदी नॉवेल पर बेस्ड थी. जिसे साल 1934 में लिखा था भगवती चरण वर्मा ने.
कटी पतंग
इस फिल्म को अधिकांश लोगों ने देखा ही होगा. जिसने नहीं देखे उसने कम से कम फिल्म के हिट गाने जरूर सुने होंगे. जैसे ये शाम मस्तानी, मेरी जिंदगी है क्या एक कटी पतंग है. 1971 में रिलीज हुई इस फिल्म में राजेश खन्ना, आशा पारेख लीड रोल में थे. फिल्म को डायरेक्ट किया ता शक्ति सामंत ने. फिल्म के गाने इसकी जान थे जिन्हें आरडी बर्मन और किशोर कुमार की जोड़ी ने हिट बना दिया था. फिल्म गुलशन नंदा के हिंदी साहित्य पर बेस्ड थी.
शतरंज के खिलाड़ी
ये हिंदी फिल्म क्रिएटिविटी का एक नायाब नमूना है जो साल 1977 में रिलीज हुई. फिल्म में अमजद खान, संजीव कुमार, सईद जाफरी और शबाना आजमी जैसे कलाकार दिखाई दिए. फिल्म मुंशी प्रेमचंद की शॉर्ट स्टोरी पर बेस्ड थी. जिसे मुंशी जी ने 1856 के समय के आसपास के हिसाब से रचा था. जिसमें पहले विश्व युद्ध का भी जिक्र था.
देवदास
देवदास नाम की मूवी जिस दौर में आई खूब हिट रही. साल 2002 में संजय लीला भंसाली ने शाहरुख खान, ऐश्वर्या राय और माधुरी दीक्षित को लेकर ये फिल्म बनाई. देवदास नाम की फिल्म शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास देवदास पर ही बेस्ड है. इससे पहले देवदान नाम की मूवी 1955 में रिलीज हुई थी. तब दिलीप कमार, वैजयंती माला और सुचित्रा सेन फिल्म में लीड रोल में थे. सबसे पहले देवदास नाम से मूवी 1928 में बनी थी. ये एक साइलेंट मूवी थी.
पति पत्नी और वो
हिंदी साहित्य पर हमेशा सिर्फ संजीदा मूवीज ही नहीं बनी. कुछ मजेदार और कॉमेडी मूवीज भी बनी है. जिसमें से एक है 1978 में रिलीज हुई फिल्म पति, पत्नी और वो. इस फिल्म में संजीव कुमार, विद्या सिन्हा और रंजीता लीड रोल दिखे. फिल्म की कहानी कमलेश्वर की लिखी कहानी पति पत्नी और वो पर ही बेस्ड थी.
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