छापेमारी के दौरान एसिटोन, सोडियम हाइड्रॉक्साइड, मिथाइलीन क्लोराइड, प्रीमियम ग्रेड इथेनॉल, टोल्यून, लाल फॉस्फोरस, ईथाइल एसीटेट जैसे रसायन और आयातित मशीनरी भी बरामद हुए हैं.
दिल्ली-एनसीआर में एक गुप्त मेथामफेटामाइन मैन्युफैक्चरिंग लैब का भंडाफोड़ हुआ है. नशा मुक्त भारत अभियान के तहत एनसीबी की ऑपरेशन यूनिट और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मिलकर ये काम किया.
गौतम बुद्ध नगर के कसाना इंडस्ट्रियल एरिया में 25 अक्टूबर 2024 को छापेमारी की गई थी, जिसमें लगभग 95 किलोग्राम मेथामफेटामाइन सॉलिड और लिक्विड, दोनों रूपों में पाया गया. इसके अलावा एसिटोन, सोडियम हाइड्रॉक्साइड, मिथाइलीन क्लोराइड, प्रीमियम ग्रेड इथेनॉल, टोल्यून, लाल फॉस्फोरस, ईथाइल एसीटेट जैसे रसायन और आयातित मशीनरी भी बरामद हुई.
शुरुआती जांच में पता चला है कि दिल्ली के एक कारोबारी जो छापेमारी के समय फैक्ट्री में मौजूद था, और तिहाड़ जेल के एक वार्डन ने अवैध फैक्ट्री स्थापित करने, रसायनों की खरीद और मशीनरी के आयात में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
कारोबारी को पहले डीआरआई द्वारा एनडीपीएस मामले में गिरफ्तार किया गया था और तिहाड़ जेल में रखा गया था, जहां वो वार्डन से मिला और उसका साथी बन गया.
मुंबई के एक कैमिस्ट को भी दवा बनाने के लिए शामिल किया गया था और दवा की क्वालिटी की जांच दिल्ली में रहने वाले मैक्सिकन कार्टेल के एक सदस्य द्वारा की गई थी.
सभी चार आरोपियों को एनसीबी ने गिरफ्तार कर लिया और 27 अक्टूबर को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया, जिन्होंने उन्हें तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया.
इस साल एनसीबी ने गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में पांच स्थानों पर ऐसी गुप्त लैब्स का भंडाफोड़ किया है. एनसीबी ने स्थानीय पुलिस को सिंथेटिक दवाओं के निर्माण और तस्करी के रुझानों के बारे में जागरूक और गुप्त लैब का पता लगाने की उनकी क्षमता बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं.
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