अपने असाधारण संगठनात्मक कौशल के लिए जाने जाने वाले, धर्मेंद्र प्रधान को पीएम मोदी के ‘उज्ज्वला मैन’ के रूप में भी जाना जाता है. उन्होंने NET-NEET पेपर-लीक विवाद को सफलतापूर्वक संभालने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
हरियाणा में 10 साल से शासन कर रही भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एक बार फिर से विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल की है. राजनीतिक विश्लेषकों और एग्जिट पोल के कांग्रेस की जीत के दावे को धत्ता बताते हुए बीजेपी ने यहां जीत की हैट्रिक लगाई है और इसका श्रेय काफी हद तक बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को जाता है. हालांकि राजनीतिक जीवन में ये उनकी पहली उपलब्धि नहीं है. कई मौकों पर उन्होंने इसको साबित किया है.
इस साल की शुरुआत में, ओडिशा में भाजपा को ऐतिहासिक जीत हासिल हुई. यहां धर्मेंद्र प्रधान की अगुवाई में ही विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी के घोषणापत्र का मसौदा तैयार हुआ. उत्कल विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर 55 साल के प्रधान पिछले एक दशक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के प्रमुख सहयोगी रहे हैं. धर्मेंद्र प्रधान ओडिशा में भाजपा का सबसे प्रमुख चेहरा भी हैं. उन्होंने ओडिशा चुनाव अभियान के दौरान शीर्ष नेतृत्व को राज्य के दो अहम मुद्दे को लेकर जानकारी दी, जिसके इर्द-गिर्द चुनाव प्रचार की रणनीति बनाकर बीजेपी ने जीत हासिल की.
ये दो मुद्दे थे- आईएएस अधिकारी से नेता बने वीके पांडियन के ‘बाहरी व्यक्ति’ का मुद्दा और पुरी जगन्नाथ मंदिर में पवित्र रत्न भंडार की ‘लापता चाबियों’ का भावनात्मक मुद्दा.
2019 की तरह, एक बार फिर से 2024 में भी धर्मेंद्र प्रधान ने हरियाणा में भाजपा की चुनावी रणनीति के प्रबंधन, दैनिक कार्यों की देखरेख और घोषणापत्र तैयार करने में अग्रणी भूमिका निभाई.
हालांकि हरियाणा एक छोटा राज्य है, लेकिन ये चुनाव बहुत महत्वपूर्ण थे, क्योंकि ये आम चुनावों के बाद पहला विधानसभा चुनाव था. यहां लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने की कोशिश में जुटी भाजपा को सत्ता विरोधी लहर का भी सामना करना पड़ा. इस दौरान एक रणनीतिक कदम के तौर पर धर्मेंद्र प्रधान की टीम ने सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने के लिए कई वरिष्ठ नेताओं को टिकट नहीं दिया.
हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज के चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री पद को लेकर खुद के लिए दावा पेश करने पर प्रधान ने तुरंत फटकार भी लगाई.
अपने असाधारण संगठनात्मक कौशल के लिए जाने जाने वाले, धर्मेंद्र प्रधान को पीएम मोदी के ‘उज्ज्वला मैन’ के रूप में भी जाना जाता है. उन्होंने NET-NEET पेपर-लीक विवाद को सफलतापूर्वक संभालने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
धर्मेंद्र प्रधान ने 1983 में एबीवीपी के साथ अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. 2000 में उन्होंने पहली बार अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र पल्लालहारा से चुनाव लड़ा. 2004 में वो देवगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़े. ये सीट पहले उनके पिता देबेंद्र प्रधान के पास थी. हालांकि वो 2009 का चुनाव हार गए, लेकिन 2010 में उन्हें भाजपा महासचिव नियुक्त किया गया. ये पद उनकी संगठनात्मक क्षमता को उजागर करता है.
2012 में उन्हें बिहार से राज्यसभा भेजा गया. 2024 के आम चुनाव में प्रधान ने एक प्रमुख बीजद उम्मीदवार को हराकर संबलपुर सीट एक लाख से भी अधिक मतों के अंतर से जीती.
भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी जल्द ही खाली होने वाली है, अब देखना ये है कि नरेंद्र मोदी क्या जेपी नड्डा की जगह भरने के लिए धर्मेंद्र प्रधान को चुनते हैं.
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