निलेश शाह से समझिए इनकम टैक्स से बचे पैसे को कहां खर्च करेगा मीडिल क्लास, क्या है बजट की त्रिवेणी​

 अरबन कंजप्शन बढ़ने का फायदा जिस क्लास को मिलेगा उसके पास रोटी, कपड़ा और मकान पहले से है. इसलिए वो अब अपने पैसे को हेल्थ, एजुकेशन, इंटरटेनमेंट और कंज्यूमर ड्यूरेबल पर खर्च करेगा.

इन दिनों आस्था का एक महाकुंभ प्रयागराज में चल रहा है, वहां त्रिवेणी संगम है, एक महाकुंभ बजट में भी नजर आया, यहां भी एक त्रिवेणी संगम है.सरकार का इस साल और अगले साल के लिए फिस्कल डेफिसिट अनुमान से कम है. सरकार का दूसरा बड़ा कदम अरबन कंजप्शन को बढ़ावा देना और मीडिल क्लास को सपोर्ट करने का है. सरकार ने 12 लाख रुपये तक की आय तो टैक्स फ्री करके इस काम को कर दिया है. इससे अरबन कंजप्शन को फायदा मिलेगा.इसका फायदा जिस क्लास को मिलेगा, उसके पास रोटी, कपड़ा और मकान पहले से है. इसलिए वो अब अपने पैसे को हेल्थ, एजुकेशन, इंटरटेनमेंट और कंज्यूमर ड्यूरेबल पर खर्च करेंगे. 

बजट भाषण के साथ वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण.

क्या है बजट की त्रिवेणी

तीसरी बात यह थी कि प्राइवेट कैपेक्स बैकफुट पर खेल रहे थे, इसलिए उम्मीद की जा रही थी कि सरकार केंद्र सरकार, राज्य सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच कैपेक्स पर लीड लेगी. उन्होंने कहा कि इस बजट में जो टोटल कैपेक्स इंक्रीज हुआ है, वह करीब 17 फीसदी के आसपास होगा. इसमें सेंट्रल का हिस्सा करीब 10 फीसदी का है, उससे अधिक पब्लिक सेक्टर का है और राज्य सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर इसे बढ़ाएंगे. इस तरह से फिस्किल डेफिसिट को नियंत्रित करना, कंजप्शन को बढाना और कैपेक्स पर सरकार का लीड लेना त्रिवेणी की ही तरह है.

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— NDTV India (@ndtvindia) February 1, 2025

मीडिल क्लास बचा हुआ पैसा कहां खर्च करेगा

मुझे लगता है कि सरकार ने मीडिल क्लास के लिए जो घोषणा की है, उससे कुछ बचत होगी और कुछ खर्चा होगा.मीडिल क्लास जो खर्च करेगा वह इंटरटेनमेंट, टूरिज्म, ट्रेवल और कंज्यूमर ड्यूरेबल, एजुकेशन और हेल्थकेयर पर ज्यादा होगा.इसमें खास बात यह है कि यह खर्च भारत में ही होगा. दरअसल जब अमीरों के पास पैसा आता है तो वह अपने बच्चों को पढ़ने के लिए विदेश भेजते हैं, वहीं मीडिल क्लास अपने बच्चों के भारत में ही पढ़ाता है. वहीं अमीर छुट्टियां मनाने विदेश जाते हैं जबकि मीडिल क्लास महाकुंभ में जाता है. जब मीडिल क्लास भारत में पैसा खर्च करेगा तो डिमांड बढ़ेगा और कैपिसिटी यूटिलाइजेशन बढ़ेगा. इससे निवेश बढ़ेगा और जब निवेश बढ़ेगा तो रोजगार के अवसर पैदा होंगे. 

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