चीन में एक कपल के बीच बच्चों के सरनेम को लेकर हुआ विवाद उनके तलाक का कारण बन गया. यह मामला सोशल मीडिया पर इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है.
China husband divorces wife over surname dispute: चीन (China) के शांघाई (Shanghai) में एक पति ने अपने बच्चों के नाम पर विवाद के चलते अपनी पत्नी से तलाक (divorce) ले लिया. यह मामला सोशल मीडिया पर इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, कपल के बीच बच्चों के उपनाम (सरनेम) (surname) को लेकर हुआ विवाद उनके तलाक का कारण बन गया. दक्षिण चीन मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, दंपति शाओ और जी की शादी 2019 में हुई थी. उनकी एक बेटी (daughter) 2019 में पैदा हुई, जिसका सरनेम शाओ (Shao) रखा गया, जबकि 2021 में जन्मे बेटे (son) को जी (Ji) का सरनेम दिया गया. पति शाओ बार-बार पत्नी जी से बेटे का उपनाम बदलने और अपना सरनेम देने के लिए कहता रहा, लेकिन पत्नी ने इससे इनकार कर दिया. इनके बीच का यही बढ़ता विवाद तलाक का कारण बन गया.
बताया जा रहा है कि, यह विवाद इतना बढ़ गया कि, 2023 में दोनों ने तलाक ले लिया. तलाक के बाद दोनों बच्चे मां के साथ रहने लगे. हालांकि, शाओ ने अपनी बेटी की कस्टडी के लिए दावा ठोका, लेकिन बेटे की जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया. दूसरी ओर, जी ने दोनों बच्चों की कस्टडी अपने पास रखने की मांग की. दोनों के बीच बढ़ते विवादा का यह मामला कोर्ट तक पहुंचा, जहां अदालत ने यह फैसला सुनाया कि क्योंकि मां लंबे समय से बच्चों की देखभाल कर रही थी, इसलिए बच्चों की कस्टडी उसी के पास रहेगी.
चीनी अदालतें आमतौर पर बच्चों के सर्वोत्तम हित को प्राथमिकता देती हैं और अधिकतर मामलों में मां को ही कस्टडी मिलती है, जब तक कि पिता यह साबित न कर सके कि वह बेहतर देखभाल कर सकता है. वहीं शाओ इस फैसले से नाखुश था और उसने उच्च अदालत में अपील की, लेकिन वहां भी उसकी याचिका खारिज कर दी गई. अदालत ने उसे आदेश दिया कि वह दोनों बच्चों को 18 साल की उम्र तक आर्थिक सहायता देता रहे.
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी बहस शुरू हो गई. एक यूजर ने अदालत के फैसले का समर्थन करते हुए शाओ को “संकीर्ण सोच वाला” बताया और कहा कि उसने सिर्फ सरनेम के लिए अपनी शादी तोड़ दी. एक अन्य यूजर ने लिखा, “बच्चे का सरनेम क्या होना चाहिए, इससे ज्यादा जरूरी पति-पत्नी का आपसी रिश्ता होता है.” वहीं, एक अन्य व्यक्ति ने टिप्पणी की, “बच्चों को जन्म देने और पालने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी मां की होती है, इसलिए उसे यह अधिकार मिलना चाहिए.”
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