गांव-देहात में रहने वाले गरीबों को ध्यान में रखकर बनाई गई इस योजना के तहत सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्के मकान (जगह का न्यूनतम आकार 25 वर्ग मीटर) उपलब्ध कराए जाते हैं.
बिहार सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के 1.50 लाख से अधिक लाभार्थियों को उनके निजी बैंक खातों में आवश्यक राशि जमा होने के बाद भी पक्के मकान न बनाने या पूरा न करने के लिए नोटिस जारी किया है. बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि विभाग ने उन 19,495 बकाएदारों के खिलाफ ‘सर्टिफिकेट केस’ भी दर्ज किया है, जिन्होंने कई महीने पहले सरकार द्वारा कुल राशि (सभी किस्तों) को मंजूरी दिए जाने के बावजूद योजना के तहत मकान नहीं बनाए हैं.
कुमार ने कहा, “कुल 82,441 लाभार्थियों को ‘व्हाइट’ नोटिस दिया गया, जो विभागीय कार्रवाई से बचने के लिए पक्के मकान बनाने हेतु एक चेतावनी है. इसके अलावा 67,733 लाभार्थियों को ‘रेड’ नोटिस दिया गया है, जिसका अर्थ है कि बार-बार चेतावनी देने के बावजूद निर्माण पूरा न करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.”
मंत्री ने कहा, “रेड’ नोटिस के बाद भी अगर लोग नहीं बाज आते हैं तो उनके खिलाफ ‘सर्टिफिकेट केस’ दायर किया जाता है। विभाग ने 19,495 लोगों के खिलाफ ‘सर्टिफिकेट केस’ भी दायर किया है.”
गांव-देहात में रहने वाले गरीबों को ध्यान में रखकर बनाई गई इस योजना के तहत सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्के मकान (जगह का न्यूनतम आकार 25 वर्ग मीटर) उपलब्ध कराए जाते हैं.
मैदानी क्षेत्रों में मकाने बनाने के लिए 1,20,000 रुपये प्रति इकाई की वित्तीय सहायता दी जाती है, जबकि पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों जैसे हिमालयी व पूर्वोत्तर राज्यों तथा जम्मू-कश्मीर जैसे केंद्र शासित प्रदेश के लिए 1,30,000 रुपये प्रति इकाई की वित्तीय सहायता दी जाती है. योजना की 60 प्रतिशत राशि केंद्र द्वारा प्रदान की जाती है, जबकि शेष 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकारें वहन करती हैं.
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