November 24, 2024
भारत से कुछ मतभेदों को कम करने में सहमति बनाने में हुए सफल : चीन का बड़ा बयान

भारत से कुछ मतभेदों को कम करने में सहमति बनाने में हुए सफल : चीन का बड़ा बयान​

चीनी रक्षा मंत्रालय ने अपने जारी बयान में कहा है कि दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण प्वाइंट्स से सैनिकों को हटाने पर भारत और चीन आम सहमति बनाने में सक्षम हुए हैं. दोनों देश एक तय तारीख पर दोनों पक्षों को स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने के लिए बातचीत बनाए रखने पर सहमत हुए हैं.

चीनी रक्षा मंत्रालय ने अपने जारी बयान में कहा है कि दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण प्वाइंट्स से सैनिकों को हटाने पर भारत और चीन आम सहमति बनाने में सक्षम हुए हैं. दोनों देश एक तय तारीख पर दोनों पक्षों को स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने के लिए बातचीत बनाए रखने पर सहमत हुए हैं.

भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद के बीच चीन का एक बड़ा बयान आया है. इस बयान में चीन ने कहा है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के मुद्दे पर मतभेद को कम करने की दिशा में बीते कुछ समय में काम किया गया है. चीनी रक्षा मंत्रालय ने मतभेद को कम करने की कोशिशों को आधिकारिक तौर पर माना भी है. गुरुवार को चीनी रक्षा मंत्रालय की तरफ जारी एक बयान में कहा गया है कि चीन और भारत पूर्वी लद्दाख में LAC पर गतिरोध को खत्म करने और मतभेद दूर करने पर सहमत हुए हैं.

चीन की तरफ जारी बयान में आगे कहा गया है कि दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण प्वाइंट्स से सैनिकों को हटाने पर भारत और चीन आम सहमति बनाने में सक्षम हुए हैं. दोनों देश एक तय तारीख पर दोनों पक्षों को स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने के लिए बातचीत बनाए रखने पर सहमत हुए हैं.

कुछ दिन पहले भारत और चीन के संबंधों पर विदेश मंत्री डॉ.एस जयशंकर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प ने दोनों देशों के संबंधों पर असर डाला है.पिछले चार सालों से नई दिल्ली का ध्यान सीमा पर सैनिकों की वापसी पर रहा है.

भारत-चीन संबंधों का दुनिया पर असर

न्यूयॉर्क में ‘भारत, एशिया और वर्ल्ड इवेंट में डॉ. जयशंकर ने कहा था कि भारत-चीन संबंध एशिया के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं जो कि पूरे विश्व को प्रभावित करेंगे. मुझे लगता है कि भारत-चीन संबंध एशिया के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं.अगर दुनिया को बहुध्रुवीय बनाना है,तो एशिया को भी बहुध्रुवीय बनाना होगा और इसलिए यह संबंध न केवल एशिया के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि इस तरह से, शायद दुनिया के भविष्य को भी प्रभावित करेगा. जिस कार्यक्रम में विदेश मंत्री ने हिस्सा लिया, उसकी मेजबानी एशिया सोसाइटी और एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट ने की थी.

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