किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास का ने यह फैसला लिया है. ऋषि अजय दास ने बताया कि जल्द ही नए आचार्य महामंडलेश्वर का ऐलान किया जाएगा.
बॉलीवुड अदाकारा रहीं ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से हटा दिया गया है. साथ ही लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से भी आचार्य महामंडलेश्वर का पद छीन लिया गया है. लक्ष्मी ने ही ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाया था. किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास का ने यह फैसला लिया है. ऋषि अजय दास ने बताया कि जल्द ही नए आचार्य महामंडलेश्वर का ऐलान किया जाएगा.
ऋषि अजय दास कहा, ‘आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी तथा कथित ने असंवैधानिक ही नहीं अपितु सनातन धर्म व देश हित को छोड़कर ममता कुलकर्णी जैसे देशद्रोह के मामले में लिप्त महिला जो कि फिल्मी ग्लैमर से जुड़ी हुई हैं, उसे बिना किसी धार्मिक व अखाड़े की परंपरा को मानते हुए वैराग्य की दिशा के बजाय सीधे महामंडलेश्वर की उपाधि व पट्टा अभिषेक कर दिया गया. जिस कारण से मुझे आज बेमन से मजबूर होकर देश हित में सनातन एवं समाज हित में इन्हें पद से मुक्त करना पड़ रहा है.’
ममता कुलकर्णी ने शुक्रवार (24 जनवरी) को प्रयागराज महाकुंभ में पहुंचकर संगम में आस्था की डुबकी लगाई और गृहस्थ जीवन से संन्यास लेने की घोषणा की थी. किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरि उर्फ टीना मां ने बताया कि ममता कुलकर्णी ने आज गंगा में डुबकी लगाई और गंगा के तट पर अपना पिंडदान किया. उनके मुताबिक, शाम करीब आठ बजे किन्नर अखाड़ा में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महामंडलेश्वर के रूप में उनका पट्टाभिषेक किया गया. उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी महेंद्रानंद गिरि, किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और अन्य किन्नर महामंडलेश्वरों की उपस्थिति में सबसे पहले पांच महामंडलेश्वरों- गिरनारी नंद गिरि, कृष्णानंद गिरि, राजेश्वरी नंद गिरि, विद्या नंद गिरि और नीलम नंद गिरि का पट्टाभिषेक किया गया.
पट्टाभिषेक के बाद लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने घोषणा की कि ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़ा की महिला शाखा में महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक किया गया और उन्हें नया नाम यमाई ममता नंद गिरि दिया गया. पट्टाभिषेक के बाद ममता कुलकर्णी ने बताया कि उन्होंने कुपोली आश्रम में जूना अखाड़ा के चैतन्य गगन गिरि महाराज से 23 साल पूर्व दीक्षा ली थी और वह दो साल से लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के संपर्क में हैं. उन्होंने बताया था, ‘लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने मेरी 23 साल की तपस्या को समझा और स्वामी महेंद्रानंद गिरि महाराज ने मेरी परीक्षा ली जिसमें मैं उत्तीर्ण हुई. मुझे नहीं पता था कि पिछले तीन दिनों से मेरी परीक्षा ली जा रही है. मुझे कल ही महामंडलेश्वर बनाने का न्यौता मिला.
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