75-80 साल की आयु के दंपति गुजारा भत्ता पाने के लिए एक दूसरे से कानूनी लड़ाई लड़ रहे है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बुजुर्ग दंपति की याचिका पर सुनवाई करते हुए गंभीर टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि बुजुर्ग दंपति एक दूसरे के खिलाफ भरण-पोषण के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे है, इससे ऐसा लगता है कि कलियुग आ गया है. 75-80 साल की आयु के दंपति गुजारा भत्ता पाने के लिए एक दूसरे से कानूनी लड़ाई लड़ रहे है. इस उम्र में बुजुर्ग दंपत्ति की गुजारा भत्ता की लड़ाई हाईकोर्ट पहुंची है, जिस पर कोर्ट ने चिंता भी जताई है.
बुजुर्ग दंपति के बीच आपसी लड़ाई हाईकोर्ट पहुंचने पर हाईकोर्ट ने कहा कि ये चिंता का विषय है. कोर्ट ने बुजुर्ग दंपती को सुनवाई के दौरान नसीहत देने की भी कोशिश की. दरअसल, पति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है.
हालांकि, कोर्ट ने पति की याचिका पर पत्नी को नोटिस जारी किया है और कहा है कि उम्मीद है कि अगली तारीख पर दोनों किसी समझौते के साथ आएंगे. यह आदेश जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की सिंगल बेंच ने अलीगढ़ के मुनेश कुमार गुप्ता की याचिका पर दिया है.
याचिका दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत पारित आदेश की वैधता की चुनौती में दाखिल की गई है. धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता की अर्ज़ी में पत्नी ने पति से गुजारा भत्ता की मांग की है. कोर्ट ने पति की याचिका पर पत्नी को नोटिस तो जारी कर दिया लेकिन उम्मीद जताई कि दोनों समझौता कर लेंगे. कोर्ट ने एक हफ्ते के अंदर कार्यवाई करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने सामान्य सेवा के अलावा दस्ती सेवा की भी अनुमति दी है. कोर्ट ने नोटिस में तय तिथि को दोपहर 3.30 बजे अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है. इस उम्मीद के साथ कि पक्षकार समझौता कर लें.
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