सुप्रीम कोर्ट के पूर्व वकील और संवैधानिक मामलों के एक्सपर्ट एजी नूरानी का निधन​

 जाने-माने राजनीतिक टिप्पणीकार, वकील और लेखक एजी नूरानी का गुरुवार को निधन हो गया है. नूरानी 94 साल के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उन्हें संवैधानिक मामलों का बड़ा जानकार माना जाता था.

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व वकील, विद्वान और राजनीतिक टिप्पणीकार अब्दुल गफूर नूरानी (A G Noorani) का गुरुवार को मुंबई में निधन हो गया.वह 93 वर्ष के थे. नूरानी को कानून, इतिहास और राजनीति विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता था. उन्होंने कई किताबें लिखीं, जिनमें द कश्मीर क्वेश्चन, कॉन्स्टिट्यूशनल क्वेश्चन इन इंडिया और द आरएसएस एंड द बीजेपी: ए डिवीजन ऑफ लेबर, बदरुद्दीन तैयबजी मिनिस्टर्स मिसकंडक्ट, ब्रेझनेव्स प्लान फॉर एशियन सिक्योरिटी, द प्रेसिडेंशियल सिस्टम, द ट्रायल ऑफ भगत सिंह शामिल हैं.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स का सहारा लिया. उमर अब्दुल्ला ने लिखा, “आज सुबह ए जी नूरानी के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ. नूरानी एक विद्वान व्यक्ति, एक कुशल वकील, एक विद्वान और एक राजनीतिक टिप्पणीकार थे. उन्होंने कानून के मामलों और कश्मीर, आरएसएस और संविधान जैसे विषयों पर विस्तार से लिखा. अल्लाह उन्हें जन्नत में सर्वोच्च स्थान दे. ”

Sorry to hear about the demise of A G Noorani Sb earlier today. Noorani Sb was a man of letters, an accomplished lawyer, a scholar & a political commentator. He wrote extensively on matters of law and on subjects like Kashmir, RSS and the constitution. May Allah grant him highest…

— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) August 29, 2024

सिद्धार्थ नाम के उनके दोस्त होने का दावा करने वाले एक यूजर ने एक्स पर लिखा, “महान एजी नूरानी नहीं रहे. उनकी देखभाल करने वाले का कहना है कि आज दोपहर मुबई में उनकी मृत्यु हो गई. गफूर, जैसा कि उनके दोस्त उन्हें बुलाते थे और मुझे उनके बीच होने पर गर्व है, कुछ समय से बीमार थे, लेकिन अभी भी सुप्रीम कोर्ट के नृशंस बाबरी मस्जिद फैसले पर एक किताब पर काम कर रहे थे, जिसे पूरा करने की उन्हें उम्मीद थी. उनकी मृत्यु के साथ, भारत ने अपने बेहतरीन कानूनी विद्वानों, इतिहासकारों, राजनीतिक विश्लेषकों और मानवाधिकार रक्षकों में से एक को खो दिया है. वह भारत के कूटनीतिक इतिहास, जम्मू-कश्मीर प्रश्न, भारतीय संविधान और बहुत कुछ का चलता-फिरता विश्वकोश थे. कश्मीर, भारत-चीन संबंध, हैदराबाद, मौलिक अधिकार, बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व पर उनकी पुस्तकों ने क्लासिक दर्जा हासिल किया है. वह (अवर्गीकृत लेकिन खोजने में कठिन) आधिकारिक दस्तावेज़ों और बढ़िया भोजन का निरंतर खोजी था.  मुझे पुरानी दिल्ली में गोला कबाब बनाने वाली कंपनी या कोरमा की जंगली हंस-एस्क पीछा करने पर एक से अधिक बार उनके साथ जाने का सौभाग्य मिला.

The great A.G. Noorani is no more. His caregiver says he died this afternoon in Bombay. Ghafoor, as his friends called him—and I am proud to have been among their ranks—had been ailing for some time but was still working furiously on a book he had hoped to complete, on the…

— Siddharth (@svaradarajan) August 29, 2024

एजी नूरानी के निधन की खबर मिलते ही उनको जानने वाले लोगों में गम का माहौल है. देश के शीर्ष नेताओं की तरफ से भी उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है. नूरानी ने देश को कई मौकों पर संविधान के हिसाब से राह दिखाई है. उनकी बातों को देश के बड़े से बड़े वकील बड़ी गंभीरता से लेते थे.

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