लोकसभा चुनाव में बीजेपी के ख़राब प्रदर्शन के बाद से ही योगी हिंदुत्व के एजेंडे पर है. पर समाजवादी पार्टी के दलित सांसद के घर हमले ने अखिलेश यादव को मुद्दा दे दिया.
Rana Sanga controversy: राजपूत राजा राणा सांगा पर सपा सांसद रामजी लाल सुमन की विवादित टिप्पणी के बाद शुरू हुआ सियासी घमासान जारी है. लेकिन सपा के लिए आपदा साबित हो रहे इस प्रकरण को अखिलेश यादव ने अवसर में बदलने की चाल चल दी है. अब यह चाल कितनी सटीक साबित होगी, पार्टी को इसका कितना फायदा मिलेगा… यह तो आने वाला वक्त बताएगा. लेकिन फिलहाल यह तो तय है कि अखिलेश ने आगरा में सांसद के घर पर हुए हमले की घटना से UPअ की पॉलिटिक्स का प्लेग्राउंड ही बदल दिया. यह सब कैसे हुआ, जानिए इस रिपोर्ट में.
बात 26 मार्च की है. राणा सांगा विवाद को लेकर आगरा में करणी सेना के समर्थक रामजी लाल सुमन के घर जुटने लगे थे. यूपी के CM योगी आदित्यनाथ भी शहर में एक कार्यक्रम में थे. ठीक उसी समय अखिलेश यादव भी कन्नौज पहुंच चुके थे. अखिलेश एक यज्ञ के समापन समारोह में शामिल होने आए थे. पत्रकारों ने उनसे राणा सांगा पर रामजी लाल सुमन के बयान पर सवाल किए. अखिलेश यादव ने इसका कोई सीधा जवाब नहीं दिया.
उधर आगरा में करणी सेना के लोगों की भीड़ बढ़ने लगी थी. इसी दौरान रामजी लाल सुमन की तरफ से एक लिखित बयान जारी हुआ. कहा गया कि उनके बयान से समाज के कुछ लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं. इसकी उन्हें पीड़ा है. वे तो सभी जातियों, धर्मों और वर्गों का सम्मान करते हैं.
रामजी लाल सुमन के बयान के बाद अखिलेश यादव का जवाब आया. वे बोले समाजवादी पार्टी मेवाड़ के राजा राणा सांगा की वीरता और राष्ट्रभक्ति पर कोई सवाल नहीं कर रही.
सीएम योगी मंच से भाषण दे रहे थे. ठीक उसी समय करणी सेना के समर्थकों ने रामजी लाल सुमन के घर के बाहर हंगामा शुरू कर दिया. सेना समर्थकों के बवाल की खबर अखिलेश यादव तक पहुँची. उनके पास समाजवादी पार्टी के दलित नेताओं के फोन और मैसेज आने लगे.
बस यहीं से अखिलेश यादव को आपदा में अवसर मिल गया. संभल से लेकर औरंगज़ेब.. बाबर से लेकर गाजी.. जुमे से लेकर होली तक .. यूपी में माहौल हिंदू बनाम मुसलमान का चल रहा था. सीएम योगी आदित्यनाथ इसी बहाने हिंदुत्व को एकजुट करने में लगे हैं.
लोकसभा चुनाव में बीजेपी के ख़राब प्रदर्शन के बाद से ही योगी हिंदुत्व के एजेंडे पर है. पर समाजवादी पार्टी के दलित सांसद के घर हमले ने अखिलेश यादव को मुद्दा दे दिया. यूपी के राजनैतिक विमर्श को बदलने का चांस दे दिया.
अखिलेश को याद आ गया अयोध्या की रिज़ल्ट. वो चुनावी नतीजा जिसकी चर्चा अब भी जारी है. समाजवादी पार्टी के दलित उम्मीदवार ने बीजेपी को हरा दिया. वो भी हिंदुत्व की प्रयोगशाला अयोध्या में.
राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के बावजूद पिछले साल बीजेपी अयोध्या की लोकसभा चुनाव हार गई. अयोध्या न काशी, इस बार अवधेश पासी. ये नारा हिट रहा. समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के लल्लू सिंह को हरा दिया.
अवधेश दलित में पासी समाज के हैं. लल्लू का संविधान बदलने वाला नारा भी बीजेपी को डैमेज कर गया. अब अखिलेश यादव की तैयारी यूपी को अयोध्या बनाने की है. उनका फोकस बीजेपी को दलित विरोधी पार्टी साबित करने की है. इसीलिए रामजी लाल सुमन के घर हमले को ठाकुर बनाम दलित संघर्ष बनाया जा रहा है.
अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव में पीडीए का दम दिखा चुके हैं. यादव, मुसलमान के साथ अगर दलित उनके साथ जुड़ गए तो फिर उनकी जीत तय है. वोटों का ये हिसाब किताब पचास प्रतिशत के आस-पास बैठता है. वैसे भी मायावती की पार्टी बीएसपी के जाटव वोटर दोराहे पर खड़े हैं. बीएसपी की ताकत लगातार कमजोर हो रही है. पार्टी का वोट शेयर पिछले लोकसभा चुनाव में घट कर 9.4 फ़ीसदी रह गया.
अखिलेश यादव के लिए यही सही समय है. ये बात अलग है कि मायावती के साथ हुए गेस्ट हाउस कांड से लेकर दलितों के ख़िलाफ़ काम करने के कई तरह के आरोप हैं. पर समय बदल चुका है. अच्छे समय की चाह में अखिलेश ने दलित बनाम ठाकुर का दांव चल दिया है.
आगरा दलित राजनीति का नया सेंटर बन गया है. रामजी लाल सुमन तो दिल्ली में है. पर आगरा में उनके घर समाजवादी पार्टी के नेताओं का ताँता लगा हुआ है. पार्टी के सीनियर लीडर राम गोपाल यादव आज सुमन के परिवार से मिले.
राम गोपाल यादव ने कहा कि अगर करणी सेना के लोगों पर एक्शन नहीं हुआ तो फिर ईद के बाद बड़ा आंदोलन होगा. अवधेश प्रसाद लोकसभा चुनाव के हीरो रहे. अब यूपी के अगले विधानसभा चुनाव से पहले सुमन को दलित राजनीति का नया चेहरा बनाने की तैयारी है. मतलब अयोध्या पार्ट टू.
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