अनन्या पांडे को है ‘Imposter Syndrome’, यहां जानिए क्या है इम्पोस्टर सिंड्रोम के बारे में सब कुछ इसके कारण, लक्षण और उपचार​

 Imposter Syndrome: इम्पोस्टर सिंड्रोम ( Imposter Syndrome ) एक मेंटल कंडीशन है जिसमें व्यक्ति को सेल्फ डाउट होता है. वो अपने हुनर और कामयाबियों को सही मानने में कठिनाई महसूस करता है.

Imposter Syndrome: बॉलीवुड एक्ट्रेस अनन्या पांडे (Ananya Pandey) को सेहत को लेकर हाल ही में एक बड़ा खुलासा हुआ है. दरअसल अनन्या पांडे ने एक इंटरव्यू में बताया कि वो इम्पोस्टर सिंड्रोम ( Imposter Syndrome) से जूझ रही हैं. बता दें कि यह सिंड्रोम जिसे होता है उनके मन में हमेशा एक अजीब सा डर बना रहता है. उन्हें खुद को पहचानने में परेशानी होती है. उन्होंने बताया कि कई बार उनको लगता है कि उनका नाम सच में उनका नहीं है, जिस वजह से उन्हें तीसरे इंसान जैसा फील होता है. इसके साथ ही वो जब खुद को किसी पोस्टर में या फिल्म में देखती हैं तो उन्हें लगता है कि ये वो नहीं है. अपनी फिल्म में खुद को देखते हुए वो भूल जाती हैं कि सामने जो दिख रहा है वो कोई और नहीं बल्कि वो खुद हैं. वो खुद को दूसरों से कम समझती हैं.

बता दें कि इस सिंड्रोम से सिर्फ अनन्या ही नहीं बल्कि बॉलीवुड की एक और एक्ट्रेस ग्रस्त हैं. कुछ समय पहले सान्या मल्होत्रा ( Sanya Malhotra Imposter Syndrome) ने भी अपनी इस बीमारी के बारे में लोगों को बताया था. सान्या ने बताया था कि उन्हें खुद पर कांफिडेंस नहीं रहता था. वो खुद के काम पर शक करती थीं. लेकिन थेरेपी के बाद उनको इस परेशानी को दूर करने में काफी मदद मिली है. 

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इम्पोस्टर सिंड्रोम क्या है? ( What is Imposter Syndrome)

इम्पोस्टर सिंड्रोम ( Imposter Syndrome ) एक मेंटल कंडीशन है जिसमें व्यक्ति को सेल्फ डाउट होता है. वो अपने हुनर और कामयाबियों को सही मानने में कठिनाई महसूस करता है और उसे लगता है कि ये जो भी है सब गलत है. इस कंडीशन से जूझ रहे व्यक्ति को हमेशा यह डर रहता है कि लोग कभी न कभी उसकी “सच्चाई” जान लेंगे कि वह उसकी योग्यता और सफलता के योग्य नहीं है. यह व्यक्ति की सेल्फ-डाउट और अनसेफ्टी की भावना को बढ़ा सकता है.

इम्पोस्टर सिंड्रोम के लक्षण ( Imposter Syndrome Symptoms)

सेल्फ – डाउट: व्यक्ति अपनी कैपेबिलीटी पर डाउट करता है, चाहे उसने कितनी भी सक्सेस क्यों न पा ली हों.

सक्सेस को ना मानना: व्यक्ति अपनी सक्सेस को किस्मत, दूसरे लोगों की मदद या बाहरी कारकों का नतीजा मानता है, न कि अपनी मेहनत या कैपेबिलीटी का.

सक्सेस ना पाने का डर: व्यक्ति को हमेशा यह डर रहता है कि वह फेल हो जाएगा और लोग उसे इनेलिजबल समझेंगे.

परफेक्शन: ऐसा व्यक्ति हर काम को बिना कोई गलती किए पूरा करने की कोशिश करता है, क्योंकि उसे डर होता है कि छोटी-छोटी गलतियां भी उसकी वीकनेस को सबसे सामने ला सकती हैं.

ज्यादा काम करना: इम्पोस्टर सिंड्रोम से पीड़ित लोग अक्सर बहुत ज्यादा काम करते हैं, ताकि वो अपनी रियल पोटेंशियल को साबित कर सकें

कंपेरिसन करना: व्यक्ति अपनी क्षमताओं और सफलताओं की तुलना दूसरों से करता रहता है और खुद को कमतर मानता है.

इम्पोस्टर सिंड्रोम के कारण ( Imposter Syndrome Cause)

इम्पोस्टर सिंड्रोम के पीछे कई कारण हो सकते हैं:

ज्यादा एक्सपेक्टेशन: जिन लोगों से बहुत ज्यादा उम्मीदें रखी जाती हैं, वे खुद को उन एक्सपेक्टेशन के लायक साबित करने में प्रेशर फील कर सकते हैं.

सोशल कंपेरिसन: आज के समय में सोशल मीडिया और पब्लिक में खुद का कंपेरिसन दूसरों से करना बहुत नॉर्मल हो गया है, जिससे व्यक्ति अपनी सक्सेस को कम आंक सकता है.

आत्मसम्मान की कमी: जिन लोगों में आत्म-सम्मान कम होता है, उन्हें लगता है कि वे अपनी सफलता के लायक नहीं हैं.

फैमिली या सोसाइटी का प्रेशर: फैमिली या सोसाइटी से मिले मैसेज भी इस सिंड्रोम का कारण बन सकते हैं, जैसे “तुम्हें सबसे अच्छा होना चाहिए”.

इम्पोस्टर सिंड्रोम से निपटने के उपाय ( Imposter Syndrome Treatment)

अपनी सक्सेस को एक्सेप्ट करें: अपनी सक्सेस को मानें और खुद को यह याद दिलाएं कि आपने इसे अपनी मेहनत और काबिलियत से हासिल किया है.

दूसरे लोगों से सपोर्ट लें: अपने दोस्तों, फैमिली से बात करें. वो आपकी सक्सेस को पहचानने और आपकी योग्यता की सराहना करने में मदद कर सकते हैं.

मनोचिकित्सक से परामर्श: यदि इम्पोस्टर सिंड्रोम गंभीर रूप ले लेता है, तो मनोचिकित्सक या थेरेपिस्ट की मदद ली जा सकती है.

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