अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में टाई मतलब न तो कमला हैरिस और न ही डोनाल्ड ट्रम्प जीत के लिए आवश्यक 270 इलेक्टोरल वोटों तक पहुंच पाए. ऐसा होना लगभग असंभव है. फिर भी यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, जिसके घटित होने की संभावना न के बराबर है, तो क्या होगा. अमेरिका में ऐसी स्थिति को इलेक्टोरल कॉलेज डेडलॉक कहा जाता है. चुनाव परिणाम के लिए इसका क्या मतलब है इसे समझना जरूरी है.
US Presidential Election 2024 Donald Trump and Kamala Harris: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में टाई मतलब न तो कमला हैरिस और न ही डोनाल्ड ट्रम्प जीत के लिए आवश्यक 270 इलेक्टोरल वोटों तक पहुंच पाए. ऐसा होना लगभग असंभव है. फिर भी यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, जिसके घटित होने की संभावना न के बराबर है, तो क्या होगा. अमेरिका में ऐसी स्थिति को इलेक्टोरल कॉलेज डेडलॉक कहा जाता है. चुनाव परिणाम के लिए इसका क्या मतलब है इसे समझना जरूरी है.
इसके लिए सबसे पहले इलेक्टोरल कॉलेज (निर्वाचक मंडल) क्या है इसे समझना होगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में, राष्ट्रपति को राष्ट्रीय लोकप्रिय वोट द्वारा नहीं, बल्कि 538-सदस्यीय इलेक्टोरल कॉलेज द्वारा चुना जाता है. प्रत्येक राज्य के चुनावी वोट उसके कांग्रेस (अमेरिकी संसद) के प्रतिनिधित्व को दर्शाते हैं: दो सीनेटर और जनसंख्या के आधार पर कई सदन प्रतिनिधि बनाए जाते हैं. इस प्रकार, प्रत्येक राज्य में अलग-अलग संख्या में चुनावी वोट होते हैं. मेन और नेब्रास्का को छोड़कर अधिकांश राज्य में एक सिद्धांत चलता है. इस सिद्धांत के अनुसार जीतने वाले प्रत्याशी को सारे वोट दिए जाते हैं. यानी “विजेता-सब कुछ लेता है”. राज्य के लोकप्रिय वोट जीतने वाले उम्मीदवार को सभी चुनावी वोट मिल जाते हैं.
इसे एक उदाहरण के रूप में समझा जा सकता है.
फ्लोरिडा के चुनावी वोट कैसे आवंटित किए जाते हैंकांग्रेस में फ्लोरिडा को 29 इलेक्टोरल वोटों वाले राज्य के रूप में देखा जाता है. फ्लोरिडा में कांग्रेस के प्रतिनिधित्व (2 सीनेटर + 27 प्रतिनिधि) के कारण 29 चुनावी वोट हैं.चुनाव के दिन फ्लोरिडा के वोटर्स राष्ट्रपति के लिए वोट करेंगे. मान लीजिए की कमला हैरिस को 5 मिलियन वोट मिलते हैं और डोनाल्ड ट्रंप को 4.8 मिलियन वोट मिलते हैं. इससे साफ है कि यहां हैरिस की जीत हुई. ऐसी स्थिति में कमला हैरिस की खाते में सभी 29 वोट जाएंगे. यानि फ्लोरिडा से राष्ट्रपति चुनाव के लिए जरूरी 29 वोट कमला हैरिस के खाते में जाएंगे. ऐसे में जो भी प्रत्याशी 270 के आंकड़े को छू लेता है वह जीत जाएगा.
यदि दोनों ही प्रत्याशी को 269 वोट तो टाई होगा
लेकिन सवाल उठता है कि यदि दोनों ही प्रत्याशी को 269 वोट मिलते हैं. तो ऐसे में दोनों प्रत्याशियों में टाई हो जाएगा. तब क्या होगा. अमेरिका के संविधान के हिसाब से ऐसी स्थिति में फैसला कांग्रेस के हाथ में चला जाएगा. खासतौर पर कांग्रेस में चुने गए नए प्रतिनिधि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चयन करेंगे.
वह कौन सी स्थिति होगी जब 269 की बराबरी वाली स्थिति बनेगी
सवाल यह है कि वह कौन सी स्थिति होगी जब 269 की बराबरी वाली स्थिति बन जाएगी. अमेरिका में ऐसी संभावना लगभग कम ही है. लेकिन ऐसी स्थिति कब बन सकती है. अगर कमला हैरिस को विस्कॉन्सिन, मिशिगन, पेनसिलवेनिया में जीत हासिल हो जाए. उधर, ट्रंप को जॉर्जिया, एरिजोना, नेवादा, नॉर्थ केरोलिना में जीत के साथ नेब्रास्का से एक कांग्रेस का वोट मिले तो ऐसी स्थिति में दोनों में टाई होने की संभावना हो जाती है. ऐसी स्थिति में अमेरिका में कंटिनजेंसी इलेक्शन वाली स्थिति बन जाती है जिसमें 538 में से किसी को भी 270 वोट न मिलें.
कंटिनजेंसी इलेक्शन का प्रावधान
जानकारों का कहना है कि ऐसी स्थिति कंटिनजेंसी इलेक्शन कराना होता है. यह इलेक्शन वर्तमान स्थिति में 6 जनवरी 2025 को आयोजित किया जा सकता है.
कंटिनजेंसी इलेक्शन में एक राज्य के पास एक वोट का अधिकार होता है. हर राज्य के प्रतिनिधियों को मिलकर एक वोट कास्ट करना होता है. इस परिस्थिति में अमेरिकी संविधान के हिसाब से चाहे राज्य छोटा हो या बड़ा उसे एक वोट का ही अधिकार होता है.
कंटिनजेंसी इलेक्शन में भी बहुमत का ही सिद्धांत लागू होता है. यानी अमेरिका में 50 राज्यों में से 26 राज्यों के वोट हासिल करने वाले को राष्ट्रपति चुना जाता है. यदि ऐसी स्थिति बनी तो वर्तमान परिदृश्य के हिसाब से ट्रंप को फायदा होगा.
कांग्रेस हाउस राष्ट्रपति और सिनेट उपराष्ट्रपति चुनेगा
एक तरफ जहां कांग्रेस या हाउस राष्ट्रपति को चुनता है वहीं सीनेट उपराष्ट्रपति का चुनाव करता है. हर सिनेटर के पास एक मताधिकार होता है और जो यहां पर जीतता है वह उपराष्ट्रपति बन जाता है.
गौरतलब है कि पिछला कंटिनजेंसी इलेक्सशन 1800 में हुआ था. इस समय थॉमस जेफरसन और जॉन एडम्स में टाई हुआ था.
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