February 21, 2025
अल नकबा का वो खौफ... ट्रंप के 'गाजा प्लान' पर एक हो रहे मुस्लिम देश, सऊदी में जुटेंगे!

अल-नकबा का वो खौफ… ट्रंप के ‘गाजा प्लान’ पर एक हो रहे मुस्लिम देश, सऊदी में जुटेंगे!​

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप अपने गाजा प्‍लान को लेकर किसी भी स्थिति में पीछे हटना नहीं चाहते हैं. इसलिए ट्रंप ने लंबे समय से सहयोगी रहे जॉर्डन और मिस्र को सहायता में कटौती करने की धमकी दे दी है, अगर उन्होंने उनके प्‍लान को नहीं माना.

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप अपने गाजा प्‍लान को लेकर किसी भी स्थिति में पीछे हटना नहीं चाहते हैं. इसलिए ट्रंप ने लंबे समय से सहयोगी रहे जॉर्डन और मिस्र को सहायता में कटौती करने की धमकी दे दी है, अगर उन्होंने उनके प्‍लान को नहीं माना.

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के गाजा प्‍लान से प्रमुख सहयोगी नाराज हो गए हैं. मुस्लिम देश जुट रहे हैं. सऊदी अरब ने आपातकालीन ‘अरब शिखर सम्मेलन’ का ऐलान किया है, जो सऊदी अरब में होने जा रहा है. दरअसल, मुस्लिम देशों को ‘अल-नकबा’ का खौफ सता रहा है, जब लाखों लोगों को विस्‍थापित होना पड़ा था. अपनी मातृभूमि को हमेशा के लिए छोड़ना पड़ा था. इस शिखर सम्‍मेलन की तैयारियों की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया कि सऊदी अरब 20 फरवरी को एक शिखर सम्मेलन में चार अरब देशों के नेताओं की मेजबानी करेगा, जिसमें गाजा पर अमेरिकी कब्जे के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी.

क्‍यों एकजुट होने का मजबूर हुए अरब देश?

अरब शिखर सम्मेलन से जुड़े सूत्र ने बताया कि मिस्र, जॉर्डन, कतर और संयुक्त अरब अमीरात के नेता डोनाल्‍ड ट्रंप के गाजा प्‍लान के मुद्दे पर एक सप्ताह बाद काहिरा में अरब लीग की बैठक से पहले होने वाले शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. नाम न छापने की शर्त पर एक अन्य सूत्र ने बताया कि फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास भी इसमें भाग लेंगे. बता दें कि इजरायल और हमास के बीच जारी जंग के बाद फिलिस्‍तीन में लाखों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है. उत्‍तरी फिलिस्‍तीन में तो सिर्फ मलबा ही मलबा नजर आ रहा है. इस क्षेत्र को फिर से बसाने के लिए काफी समय लगेगा. यहां से घर छोड़कर गए इन लाखों लोगों को अब किसी अन्‍य जगह बसाने की योजना बनाई जा रही है.

ट्रंप ने इजरायली प्रधानमंत्री के सामने रखा प्रस्‍ताव

ट्रंप ने संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए गाजा पट्टी पर ‘कब्जा’ करने और संभावित गंतव्यों के रूप में मिस्र या जॉर्डन का हवाला देते हुए दो मिलियन से अधिक फिलिस्तीनियों को युद्ध से तबाह हुए क्षेत्र से बाहर निकालने के अपने प्रस्ताव से वैश्विक आक्रोश फैलाया. ट्रंप ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की वाशिंगटन यात्रा के दौरान यह प्रस्ताव रखा. फ़िलिस्तीनियों को बड़े स्‍तर पर विस्थापित करने के विचार से नाराज़ अरब देश एक साथ आए हैं. फ़िलिस्तीनियों के लिए कोई भी जबरन विस्थापन ‘अल-नकबा’ या तबाही की यादें ताज़ा करता है, जब 1948 में इज़राइल के निर्माण के दौरान उनके पूर्वजों का सामूहिक विस्थापन हुआ था.

ट्रंप की जॉर्डन और मिस्र की ‘धमकी’

ऐसा लग रहा है कि डोनाल्‍ड ट्रंप अपने गाजा प्‍लान को लेकर किसी भी स्थिति में पीछे हटना नहीं चाहते हैं. इसलिए ट्रंप ने लंबे समय से सहयोगी रहे जॉर्डन और मिस्र को सहायता में कटौती करने की धमकी दे दी है, अगर उन्होंने उनके प्‍लान को अस्वीकार कर दिया. बता दें कि जॉर्डन पहले से ही दो मिलियन से अधिक फिलिस्तीनी शरणार्थियों का घर है. देश की 11 मिलियन की आबादी में से आधे से अधिक फिलिस्तीनी मूल के हैं. वहीं, मिस्र ने एक ऐसे ढांचे के तहत गाजा के पुनर्निर्माण के लिए अपना प्रस्ताव रखा, जो फिलिस्तीनियों को क्षेत्र में बने रहने की अनुमति देगा.

क्‍या है खौफ का दिन ‘अल-नकबा’?

अल नकबा का अरबी में अर्थ होता है ‘आपदा’, फिलिस्तीन के इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण घटना है. यह शब्द 1948 के फिलिस्तीन युद्ध के दौरान हुई घटनाओं और उसके बाद के वर्षों में फिलिस्तीनी लोगों के साथ हुए विस्थापन को दर्शाता है. 1948 के युद्ध के दौरान, 700,000 से अधिक फिलिस्तीनियों को उनके घरों और गांवों से विस्थापित कर दिया गया था. उन्हें अपनी मातृभूमि से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा और वे पड़ोसी देशों में शरणार्थी बन गए. अल-नकबा की इस घटना ने फिलिस्तीनी समाज, संस्कृति और पहचान को गहरा आघात पहुंचाया था. इस दौरान कई फिलिस्तीनी शहर और गांव नष्ट हो गए, और ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों को क्षति पहुंची. ऐसे में अल-नकबा फिलिस्तीनी लोगों के लिए एक राष्ट्रीय त्रासदी का प्रतीक है. फिलिस्तीनी हर साल 15 मई को अल नकबा की वर्षगांठ मनाते हैं, जिसे वे ‘आपदा दिवस’ के रूप में याद करते हैं. अल नकबा का मुद्दा आज भी इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के केंद्र में है.

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