हाल ही में वायरल इस लिंक्डइन पोस्ट में एक कंपनी के डायरेक्टर ने एम्प्लॉई को ऑफर की गई सैलरी के अंदर ठीक से काम करने की हिदायत देते हुए कुछ बातें सोशल मीडिया पर शेयर की हैं, जिस पर यूजर्स की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.
Boss savage reply to woman on salary increment: किसी भी कर्मचारी (एंप्लॉय ऑफिस) की मेहनत और उसके प्रदर्शन का सीधा संबंध उसकी सैलरी से होता है या नहीं? इस सवाल को लेकर लिंक्डइन पर एक दिलचस्प बहस छिड़ गई है. यह चर्चा तब शुरू हुई जब मुंबई की एक कंपनी के बिजनेस डेवलपमेंट डायरेक्टर, दुष्यंत मिश्रा का एक पोस्ट वायरल हुआ. उन्होंने अपनी एक एम्प्लॉई वेदिका के साथ हुई बातचीत को साझा किया, जो सोशल मीडिया पर तेजी से चर्चा का विषय बन गई. लिंक्डइन पोस्ट के मुताबिक, वेदिका नाम की एक एम्प्लॉई से बातचीत के दौरान जब दुष्यंत मिश्रा ने उनके काम की गुणवत्ता पर सवाल किया, तो उन्होंने जवाब दिया, इतने पैसे में ऐसा ही काम होगा.
एंप्लॉय से मिले जवाब को सुनकर दुष्यंत मिश्रा ने उनसे पूछा कि, अगर कंपनी उसकी सैलरी बढ़ा दे, तो क्या वह और अच्छ काम करेंगी? डायरेक्टर ने एम्प्लॉई पर तंज कसते हुए बोला कि अगर तुम्हारी सैलरी 1.5 लाख या इससे ज्यादा बढ़ा जी जाए तो क्या तुम्हें लगता है तुम्हारे काम की क्वालिटी इससे बढ़ जाएगी? उन्होंने सवाल किया कि क्या सैलरी ही एकमात्र फैक्टर है जो कर्मचारी को बेहतर परफॉर्म करने के लिए प्रेरित करता है या फिर यह उसकी खुद की प्रोफेशनल एथिक्स और मेहनत पर निर्भर करता है?
सैलरी vs काम की गुणवत्ता – कौन सा पहलू ज्यादा महत्वपूर्ण? (Viral Debate on LinkedIn)
अपने पोस्ट में दुष्यंत मिश्रा ने कर्मचारियों को सलाह देते हुए लिखा, आपको जो पैसा मिलता है, वह आपकी काम की क्वालिटी के अनुसार दिया जाता है. अपनी क्षमताओं पर काम करें और उच्च गुणवत्ता का काम करें, फिर आपको अपने योग्य सैलरी जरूर मिलेगी. यह पोस्ट वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई. कुछ लोग मिश्रा की इस सोच से सहमत नजर आए और बोले कि सैलरी खुद ही क्वालिटी वर्क का नतीजा होती है, जबकि कुछ लोगों का मानना था कि अच्छी सैलरी मिलने से कर्मचारी को बेहतर काम करने की प्रेरणा मिलती है.
सोशल मीडिया पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया (Salary or Performance What Comes First?)
इस पोस्ट पर हजारों लाइक्स और कमेंट्स आ चुके हैं. कुछ यूजर्स ने लिखा कि, हर कर्मचारी को उतनी ही सैलरी मिलती है, जितना उसके स्किल्स और अनुभव के अनुसार सही होता है. वहीं कुछ ने कहा कि, कम सैलरी होने पर कर्मचारी का मनोबल गिर सकता है और वह केवल न्यूनतम प्रयास से ही काम करेगा. इस बहस के बाद एक बड़ा सवाल उठता है कि, क्या सैलरी वाकई किसी कर्मचारी की परफॉर्मेंस सुधार सकती है या फिर परफॉर्मेंस बेहतर होने पर सैलरी अपने आप बढ़ती है?
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