March 15, 2025
इन 7 बीमारियों के लिए काल से कम नही हैं 'कालमेघ' की पत्तियां, शरीर के अंदर जाते है बन जाता है अमृत

इन 7 बीमारियों के लिए काल से कम नही हैं ‘कालमेघ’ की पत्तियां, शरीर के अंदर जाते है बन जाता है अमृत​

दुनियाभर में कई ऐसे पेड़-पौधे और जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं, जिनका इस्तेमाल आयुर्वेद में होता है. इन्हीं में से एक ‘कालमेघ’ है, जो न केवल अपनी सुंदरता के लिए मशहूर है, बल्कि इसके औषधीय गुणों के कारण यह प्राचीन काल से ही इंसान के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

दुनियाभर में कई ऐसे पेड़-पौधे और जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं, जिनका इस्तेमाल आयुर्वेद में होता है. इन्हीं में से एक ‘कालमेघ’ है, जो न केवल अपनी सुंदरता के लिए मशहूर है, बल्कि इसके औषधीय गुणों के कारण यह प्राचीन काल से ही इंसान के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

दुनियाभर में कई ऐसे पेड़-पौधे और जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं, जिनका इस्तेमाल आयुर्वेद में होता है. इन्हीं में से एक ‘कालमेघ’ है, जो न केवल अपनी सुंदरता के लिए मशहूर है, बल्कि इसके औषधीय गुणों के कारण यह प्राचीन काल से ही इंसान के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. सर्दी-जुकाम हो या बुखार या फिर शुगर या शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाना हो, इसे हर एक चीज में रामबाण माना गया है. जानते हैं कालमेघ से जुड़ी खासियतों के बारे में.

कालमेघ के फायदे

दरअसल, कालमेघ एक बहुवर्षीय शाक जातीय औषधीय पौधा है. इसका वैज्ञानिक नाम एंडोग्रेफिस पैनिकुलाटा है. यह पौधा भारत और श्रीलंका में मूल रूप से पाया जाता है. उत्तरी भारत और पश्चिम बंगाल में यह काफी मिलता है. खास बात यह है कि इसका स्वाद जितना कड़वा होता है, उतना ही इसे सेहत के लिए लाभकारी माना गया है. कहते हैं कि गुणों के मामले में कालमेघ किसी अन्य जड़ी-बूटी से कम नहीं है, क्योंकि इसका पौधा सर्दी-जुकाम, बुखार और शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने में कारगर माना गया है. यह पेट से जुड़ी कई बीमारियों का इलाज करने में फायदेमंद माना गया है.

होली पर ज्यादा पी ली है भांग तो नशा और हैंगओवर उतारने के लिए करें ये उपाय, मिलेगा आराम

इसके अलावा, कालमेघ की पत्तियों से बना काढ़ा शुगर कंट्रोल करने में भी उपयोगी माना गया है. बताया जाता है कि इसका सेवन करने से शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ती है और वजन घटाने में भी मदद मिलती है. इसके अलावा, त्वचा पर होने वाली फुंसियां-मुंहासे और चर्म रोग (दाद, खुजली) जैसी बीमारियों में भी यह किसी वरदान से कम नहीं है.

कालमेघ की पत्तियों के पानी से त्वचा पर होने वाली जलन, रूखेपन और खुजली की समस्या से निजात मिलती है. साथ ही, यह पेट से जुड़ी समस्याओं (एसिडिटी, अपच, कब्ज) को भी खत्म करने का काम करता है.

कालमेघ के पौधे को लेकर कई शोध भी किए जा चुके हैं. अलग-अलग शोध में इसके लाभकारी गुणों के बारे में बताया गया है. साल 2015 में कालमेघ पर किए शोध के बारे में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बताया था कि यह पेट की बीमारी, शुगर और ब्लड प्रेशर समेत अन्य बीमारियों के उपचार में काफी उपयोगी है.

History of Samosa- Swaad Ka Safar | समोसे का इतिहास | जानें ईरान से भारत कैसे पहुंचा समोसा

NDTV India – Latest

Copyright © asianownews.com | Newsever by AF themes.