ISRO’s 100th Rocket Mission: इसरो का ये मिशन भारत के लिए रणनीतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण है. ये NavIC से जुड़ा हुआ है.
ISRO’s 100th Rocket Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के 100वें रॉकेट मिशन में बाधा आ गई है. बुधवार को प्रक्षेपित किए गए उसके नेविगेशन सैटेलाइट में रविवार को तकनीकी खराबी आ गई है. अपनी वेबसाइट पर मिशन पर एक अपडेट में, इसरो ने कहा कि “सैटेलाइट को डेसिगनेटेड ऑर्बिट स्लॉट में स्थापित करने की दिशा में ऑर्बिट रेजिंग ऑपरेशन नहीं चलाया जा सका, क्योंकि ऑर्बिट रेजिंग के लिए थ्रस्टर्स को फायर करने के लिए ऑक्सीडाइज़र को स्वीकार करने के लिए वाल्व नहीं खुले.”
यू आर राव सैटेलाइट सेंटर द्वारा निर्मित सैटेलाइट एनवीएस-02 को भारत में डेसिगनेटेड स्पॉट पर एक जियोस्टेशनरी सर्कुलर ऑर्बिट में स्थापित किया जाना था. चूंकि सैटेलाइट पर मौजूद तरल इंजन ठीक से काम नहीं कर रहा है, इसलिए इसे इसकी डेसिगनेटेड ऑर्बिट में भेजने के प्रयास में या तो देरी हो रही है या इसे पूरी तरह से छोड़ दिया जा सकता है.
इसरो ने कहा, “सैटेलाइट सिस्टम स्वस्थ हैं और सैटेलाइट वर्तमान में अण्डाकार ऑर्बिट में है. अण्डाकार ऑर्बिट में नेविगेशन के लिए उपग्रह का उपयोग करने के लिए वैकल्पिक मिशन रणनीतियों पर काम किया जा रहा है.”
बुधवार सुबह 6:23 बजे, इसरो ने अपने 100वें मिशन को चिह्नित करते हुए, आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में NVS-02 को ले जाने वाले अपने GSLV-F15 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. यह मिशन अंतरिक्ष एजेंसी के अध्यक्ष वी नारायणन के लिए भी पहला है, जिन्होंने हाल ही में पदभार संभाला है. यह इसरो का इस साल का पहला वेंचर भी है.
अंतरिक्ष विशेषज्ञों ने कहा कि सैटेलाइट पृथ्वी के निकटतम बिंदु पर लगभग 170 किलोमीटर की अत्यधिक अण्डाकार ऑर्बिट से और पृथ्वी से सबसे दूर बिंदु पर लगभग 36,577 किलोमीटर की दूरी पर अपने डेसिगनेटेड काम करने में सक्षम नहीं होगा.
2,250 किलोग्राम का ये सैटेलाइट नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन (NavIC) का हिस्सा था, जो ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम या जीपीएस का एक क्षेत्रीय समकक्ष है.
NavIC को भारत ने पाकिस्तान के साथ 1999 के कारगिल युद्ध के बाद विकसित किया था. उस युद्ध में, भारत को उच्च गुणवत्ता वाले जीपीएस डेटा देने से मना कर दिया गया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बाद में देश के रणनीतिक समुदाय के लिए जीपीएस का एक क्षेत्रीय संस्करण बनाने का वादा किया था.
हालांकि, NavIC सीरिज के कई सैटेलाइट उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे. 2013 के बाद से, NavIC के हिस्से के रूप में कुल 11 सैटेलाइट लॉन्च किए गए हैं और इनमें से छह विभिन्न कारणों से या तो पूरी तरह या आंशिक रूप से विफल हो गए हैं, और अब नवीनतम सैटेलाइट को भी प्रमुख तकनीकी गड़बड़ियों का सामना करना पड़ रहा है.
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