एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि यह बिल मुस्लिमों की धार्मिक आजादी पर हमला है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह बिल वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को सदस्य बनाकर इसके प्रशासन में बाधा डालता है, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 26 और 225 का उल्लंघन है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब दूसरे धर्मों के बोर्ड में सिर्फ उसी धर्म के लोग सदस्य बन सकते हैं, तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम क्यों?
वक्फ संशोधन बिल को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन थमता नहीं दिख रहा है. आज जब पूरे देश में भाईचारे और खुशियों का त्योहार ईद बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है, तब भी वक्फ संशोधन बिल का विरोध देखने को मिल रहा है. कई शहरों में नमाजियों ने ईद की नमाज भी काली पट्टी बांधकर अदा की. जिन शहरों में ईद के मौके पर नमाजियों ने काली पट्टी बांधकर नमाज अदा की, उनमें दिल्ली, जयपुर, भोपाल, विजयवाड़ा समेत और भी कई प्रमुख जगह शामिल है.
वक्फ बिल का सांकेतिक विरोध
इसे वक्फ संशोधन बिल के विरोध में सांकेतिक विरोध माना जा रहा है. अलविदा जुमा की नमाज भी कई जगहों पर नमाजियों ने काली पट्टी बांधकर नमाज अदा की. जिस पर भारतीय जनता पार्टी ने ऐतराज जताया था. बीजेपी के कई नेताओं ने कहा था कि जब आप मस्जिद में नमाज के लिए जा रहे हैं, ऐसे में आप काली पट्टी बांधकर क्या जताना चाहते हैं. ये कोई आंदोलन के लिए थोड़े ही मस्जिद में जा रहे हैं. मस्जिद में तो प्रार्थना करनी होती है.
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NDA सहयोगियों पर बनाया जा रहा दबाव
गृह मंत्री अमित शाह साफ कह चुके हैं इसी सत्र में वक्फ बिल को लाया जाएगा. ऐसे में नमाजियों के काली पट्टी बांधने को सांकेतिक विरोध माना जा रहा है. सिर्फ इतना ही नहीं एनडीए की सहयोगी पार्टी टीडीपी, जेडीयू, एलजेपी और अन्य दलों पर भी दबाव बनाया जा रहा है. हालांकि सरकार किसी दबाव में आती नहीं दिख रही है. उनका साफ कहना है कि वो इस पर पीछे नहीं हटने वाले हैं.
CAA पर भी इस तरह का विरोध देखने को मिला था. कई लोग तो ये धमकी तक दे चुके हैं कि शाहीन बाग जैसा प्रोटेस्ट किया जाएगा. वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेता शाहनवाज हुसैन इस मसले पर पहले ही कह चुके हैं कि मुसलमान होने के नाते मैं देश के सारे मुसलमानों को भरोसा दिला रहा हूं कि वक्फ संशोधन बिल से ना किसी की मस्जिद छीनी जाएगी ना ही कोई प्रोपर्टी.
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ओवैसी के निशाने पर नीतीश, चिराग और चंद्रबाबू
बिहार में 5 महीने के बाद ही चुनाव है और ऐसे में जो विपक्षी दल हैं, विशेषकर आरेजडी इसे भुनाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही. तेजस्वी यादव जैसे नेता वक्फ बोर्ड बिल के ऊपर हो रहे किसी भी आंदोलन का चेहरा बनने को हमेशा तैयार रहते हैं. ऐसे में बिहार की राजनीति में ओवैसी ने भी नया पांसा फेंक दिया है. सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ बोर्ड के मुद्दे पर नीतीश कुमार, चिराग पासवान और चंद्रबाबू नायडू पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि अगर ये नेता मुसलमानों के हितैषी होने का दावा करते हैं, तो उन्हें केंद्र सरकार में अपनी ताकत का इस्तेमाल करके वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को रोकना चाहिए. ओवैसी ने चेतावनी दी है कि अगर यह विधेयक कानून बन गया, तो मुस्लिम समुदाय इन नेताओं को उनके ‘विश्वासघात’ के लिए माफ नहीं करेगा.
संशोधित कानून की प्रमुख बातें
- मौजूदा संपत्तियों को नियमित करने का प्रावधान
- 6 महीने के अंदर देनी होगी जानकारी
- पोर्टल, डेटाबेस पर मौजूदा संपत्तियों की जानकारी
- संपत्तियों की सीमा, पहचान, उपयोग और इस्तेमाल की जानकारी
- बनाने वाले का नाम, पता, तरीके और तारीख की जानकारी
- देखरेख और प्रबंधन करने वाले की जानकारी
- संपत्ति से सालाना आमदनी की जानकारी
- कोर्ट में लंबित मामलों की जानकारी
सब हेडर: वक्फ के अधिकार पर अंकुश
- संपत्ति किसकी ये फैसला राज्य वक्फ बोर्ड नहीं कर सकेंगे
- हर नई वक्फ संपत्ति का रजिस्ट्रेशन, वेरिफिकेशन अनिवार्य
- बिना दस्तावेज नहीं बनेगी वक्फ संपत्ति
- संपत्ति के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन जरूरी
- आवेदन की जांच ज़िला कलेक्टर करेंगे
- कलेक्टर की रिपोर्ट के बाद ही रजिस्ट्रेशन
- जमीन विवादित या सरकारी तो रजिस्ट्रेशन नहीं
- कोई भी सरकारी जमीन वक्फ संपत्ति नहीं
- मौजूदा सरकारी संपत्ति वापस होगी
ज्यादा समावेशी होगा काउंसिल
- अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री होंगे चेयरमैन
- तीन सांसद भी होंगे काउंसिल के सदस्य
- केंद्रीय काउंसिल में 2 महिला सदस्य अनिवार्य
- काउंसिल में 2 गैर मुस्लिम सदस्य भी
- मैनेजमेंट, वित्त , प्रशासन, इंजीनियरिंग क्षेत्र से सदस्य
- राज्य वक्फ बोर्डों में अधिकतम 11 सदस्य
- राज्य वक्फ बोर्ड में 2 महिला, 2 गैर मुस्लिम
- बोहरा, आगाखानी समुदाय से भी सदस्य बन सकेंगे
- शिया, सुन्नी, ओबीसी से कम से कम एक प्रतिनिधि
वक्फ के फैसलों को कोर्ट में चुनौती संभव
- फ़ैसले को ऊंची अदालतों में चुनौती का प्रवधान
- 90 दिनों के भीतर हाइकोर्ट में चुनौती
- पुराने क़ानून में ट्रिब्यूनल का फ़ैसला ही अंतिम
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