ईरान और इजरायल के बीच तनाव जारी है. दोनों ओर से एक दूसरे पर जवाबी कार्रवाई की बात हो रही है. ईरान ने अप्रैल और फिर अक्तूबर में एक साथ करीब 200 मिसाइलों से इजरायल पर हमला किया. इजरायल ने इसके जवाब में ईरान के सैन्य ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की. लेकिन, मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. तनाव बढ़ता जा रहा है. ईरान के हमले के बाद इजरायल तेहरान पर बड़ी कार्रवाई करना चाहता था लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सीमित हमले के लिए ही हामी भरी. इजरायल कहीं ज्यादा बड़ी कार्रवाई न कर दे इसके लिए अमेरिका की ओर से सहायता में कमी की धमकी भी दी गई. दबाव में ही सही इजरायल ने ईरान पर हमला सीमित दायरे में किया.
Israel Iran War or conflict: ईरान और इजरायल के बीच तनाव जारी है. दोनों ओर से एक दूसरे पर जवाबी कार्रवाई की बात हो रही है. ईरान ने अप्रैल और फिर अक्तूबर में एक साथ करीब 200 मिसाइलों से इजरायल (Iran attack on Israel) पर हमला किया. इजरायल ने इसके जवाब में ईरान (Israel Attack on Iran) के सैन्य ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की. लेकिन, मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. तनाव बढ़ता जा रहा है. ईरान के हमले के बाद इजरायल तेहरान पर बड़ी कार्रवाई करना चाहता था लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Jo Biden pressure on Israel) ने सीमित हमले के लिए ही हामी भरी. इजरायल कहीं ज्यादा बड़ी कार्रवाई न कर दे इसके लिए अमेरिका की ओर से सहायता में कमी की धमकी भी दी गई. दबाव में ही सही इजरायल ने ईरान पर हमला सीमित दायरे में किया.
ट्रंप की वापसी से बदले तेवर
एक महीने बाद स्थिति में काफी बदलाव आ चुका है. अमेरिकी चुनाव में जो बाइडेन की पार्टी चुनाव हार गई है और अब वहां डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump President Elect for US) की सत्ता में वापसी हो रही है. इससे साफ है कि बाइडेन का दवाब अब बेकार हो गया है. अमेरिकी मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक बाइ़डेन यह प्रयास कर रहे हैं कि वह जाते-जाते ट्रंप को अपनी बातें समझा सकें. लेकिन ट्रंप ईरान के मुद्दे पर पहले से ही कठोर रुख अख्तियार करते रहे हैं.
ट्रंप पर जानलेवा हमले में ईरान पर शक
हाल ही में अमेरिकी चुनाव के दौरान ट्रंप हुए जानलेवा हमले की जांच के बाद अमेरिका की ओर से दावा किया गया है कि इस हमले के पीछे ईरान का हाथ था. इससे भी संबंधों के तल्ख होने के आसार हैं. इसे इस बात से समझा जा सकता है कि पूर्व सीआईए प्रमुख लियोन पेनेटा का कहना है कि ट्रंप के सत्ता में आने पर इजरायल को ईरान पर कार्रवाई की खुली छूट मिल जाएगी. इससे यह अंदेशा है कि इजरायल और ईरान में युद्ध होगा.
चिंता में मुस्लिम दुनिया
इधर, अमेरिका डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद मुस्लिम वर्ल्ड में भी चिंता बढ़ गई है. सभी को लग रहा है कि ईरान पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है. ऐसे में यूएई और सउदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने उम्मीद जताई है कि पिछले एक साल से ज्यादा समय में युद्ध के खतरे में फंसे मिडिल ईस्ट में शांति के लिए माहौल बनेगा. हालांकि मिडिल ईस्ट में कई देश ट्रंप की वापसी की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन ईरान से इजरायल के तनाव के बीच इन देशों में यह भी आशंका है कि ट्रंप इजरायल को ईरान पर कार्रवाई में कोई अंकुश नहीं लगाएंगे.
अमेरिका कैबिनेट के नए सदस्य से चिंता
साथ ही अमेरिका में जिस प्रकार की कैबिनेट के अगले साल डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद सत्ता में आने के आसार हैं उससे भी यही लग रहा है कि ईरान के लिए आने वाले दिन अच्छे नहीं होंगे.
इजरायल की खुली धमकी
अब इजरायल ने ईरान को खुली धमकी देना भी शुरू कर दिया है. इजरायल में बेंजामिन नेतन्याहू के नए रक्षा मंत्री ने सेना के जनरल स्टाफ के साथ पहली ही बैठक में ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की सीधी चेतावनी दी है. रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने एक बयान में कहा है कि ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले का खतरा अब पहले से कहीं ज्यादा है.
ईरान के साथ क्या करेगा इजरायल
अब यह जरूरी हो जाता है कि यह समझा जाए कि आखिर इजरायल ईरान को लेकर क्या करेगा. क्या गाज़ा जैसी स्थिति हो सकती है या फिर इजरायल कुछ नया सोच रहा है. इस बात का खुलासा खुद इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने किया है. नेतन्याहू ने ईरान की सरकार से बातचीत की कोई बात भले ही नहीं की हो, लेकिन उन्होंने ईरान की जनता से सीधे एक संदेश के जरिए संवाद किया है.
A special message from me to the Iranian people: there’s one thing Khamenei’s regime fears more than Israel. It’s you — the people of Iran. Don’t lose hope.
پیام ویژهای از من برای مردم ایران: یک چیز هست که رژیم خامنهای بیش از اسرائیل از آن میترسد. آن شما هستید — مردم ایران.… pic.twitter.com/iADxSjNXCs
— Benjamin Netanyahu – בנימין נתניהו (@netanyahu) November 12, 2024
बेंजामिन ने चल दी बड़ी चाल
बेंजामिन नेतन्याहू ने खामनेई शासन की नीतियों पर तीखा हमला बोला है. ईरानी जनता को भेजे संदेश में कहा कि जनता को अपने अधिकारों के प्रति जागरूग होना चाहिए. साथ ही देश के संसाधनों के खर्च के प्रति भी जागरूक होना चाहिए. उन्होंने कहा कि खामनेई सरकार को इजरायल से ज्यादा इस समय ईरान की आम जनता से डर लग रहा है. इसलिए नेतन्याहू ने कहा कि ईरान की जनता उम्मीद बनाए रखे. नेतन्याहू ने कहा कि इजरायल पर मिसाइल हमले में ईरान ने 2.3 अरब डॉलर खर्च कर दिए. इस हमले से इजरायल में मामूली नुकसान हुआ. लेकिन ईरान की जनता का काफी नुकसान हुआ है.
जनता से क्या बगावत की कर रहे अपील
इसी के साथ जो अलगा संदेश नेतन्याहू ने अपने बयान में ईरान की जनता को दिया वो काफी महत्वपूर्ण है. इसमें उन्होंने कहा कि ईरान की जनता को अपने अधिकारों और आजादी के लिए लड़ना चाहिए और इस सरकार के अन्याय के खिलाफ संघर्ष करना चाहिए. नेतन्याहू के इस बयान से साफ है कि इजरायल का अगला कदम क्या होने वाला है. इजरायल किस सोच के साथ ईरान के खिलाफ कार्रवाई करेगा.
ट्रंप की टीम से क्यों घरबाया ईरान
इधर, ट्रंप ने जिस प्रकार की कैबिनेट की संरचना की है उससे साफ है कि इजरायल के हर कार्रवाई में अमेरिका का साथ मिलने वाला है. ट्रंप की ओर से एलिज स्टेफनिक (Elise Stefanik) को संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधि के रूप में चुना गया है. माइक वाल्ट्ज को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया है. मार्को रुबियो को विदेश मंत्री बनाया है. इससे साफ है कि ईरान पर अमेरिका का काफी दबाव बढ़ने वाला है. स्टेफनिक ने अपना नाम घोषित होने से पहले एक ट्वीट में ईरान पर सख्त कार्रवाई की वकालत की है. उनका तो यह भी कहना है कि बाइडेन के कमजोर शासन की वजह से हमारे दुश्मन काफी मजबूत हुए हैं. वहीं, रुबियो ने पिछले महीने कहा था कि इजरायल को किसी भी संभावित खतरे का जवाब देने के लिए खुली आजादी है.
ट्रंप के जीतने के बाद नेतन्याहू से तीन बार बात
इतना ही नहीं बेंजामिन नेतन्याहू ने खुद ही जानकारी दी है कि राष्ट्रपति चुने जाने के बाद उनके और ट्रंप के बीच में तीन बार बात हो चुकी है. नेतन्याहू का कहना है कि ट्रंप भी उसी सिद्धांत को मानते जिस पर इजरायल चल रहा हैं. यह बात उन्होंने ईरान के संबंध में ही कही है. गौरतलब है कि पिछली सरकार में ट्रंप ने ईरान पर परमाणु कार्यक्रम के चलते कई प्रतिबंध लगाए थे. इन प्रतिबंधों पर परोक्ष रूप से जो बाइडेन शासन में कुछ ढिलाई दी गई थी.
ईरान ने नहीं दी प्रतिक्रिया
हालांकि इस बयान पर ईरान की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. गौरतलब है कि ईरान में अभी भी तमाम लोग है जो खामनेई के शासन से खुश नहीं है. 1979 में ईरान में तख्तापलट के बाद शरिया कानून लागू किया गया था. ईरान में जिस प्रकार के प्रतिबंध और कट्टरता से लोगों को दोचार होना पड़ रहा है वह कई लोगों को पसंद नहीं है जिसका कई बार विरोध होता रहता है.
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