एंटी रेप बिल कोलकाता विधानसभा में पास, ममता बोलीं- बंगाल की महिलाओं को अदालतों में मिलेगा न्याय​

 अपराजिता विधेयक में BNS और BNSS के साथ-साथ 2012 के पोक्सो अधिनियम के कुछ हिस्सों में संशोधन करने और पीड़िता की उम्र चाहे जो हो, कई तरह के यौन उत्पीड़न के मामलों में मौत की सजा का प्रावधान है.

पश्चिम बंगाल विधानसभा में एंटी रेप बिल सर्वसम्मति से पारित हो गया. इस बिल को विपक्ष का पूर्ण समर्थन मिला. हालांकि सदन ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा विधेयक में प्रस्तावित संशोधन स्वीकार नहीं किए.अपराजिता विधेयक को कानून बनाने के लिए राज्यपाल, राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत होगी. विधानसभा में अपराजिता बिल पारित हो चुका है, अब इसे हस्ताक्षर के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा. इसके बाद इसे राष्ट्रपति से मंजूरी मिलना जरूरी है. विधानसभा में बिल का समर्थन करते हुए सीएम ममता बनर्जी ने साल 2020 में उत्तर प्रदेश के हाथरस में 20 साल की दलित महिला के साथ रेप का उदाहरण दिया. उन्होंने साल 2013 में बंगाल के उत्तरी 24 परगना जिले में एक कॉलेज छात्रा की रेप और बर्बर हत्या के साथ ही पिछले हफ्ते जयपुर में एक सरकारी अस्पताल में एक बच्चे के रेप का जिक्र किया. ममता बनर्जी ने कहा, “यूपी और गुजरात जैसे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर असामान्य रूप से ज्यादा है. वहां न्याय नहीं है, लेकिन बंगाल की महिलाओं को अदालतों में न्याय मिलेगा.”सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि कामदुनी मामले (उत्तर 24 परगना रेप) में हमने मृत्युदंड की मांग की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट  हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ था. मामला अभी भी लंबित है. उन्होंने कहा कि उन्नाव में क्या हुआ था, हाथरस की पीड़िता को न्याय नहीं मिला, कोई भी इस बारे में बात नहीं करता. सीएम ममता बनर्जी ने तीन नए आपराधिक कानूनों के बहुप्रतीक्षित सेट पर कटाक्ष करते हुए कहा, अपराजिता कानून केंद्र द्वारा पारित कानूनों में “खामियों को दूर” करेगा. ममता बनर्जी ने कोलकाता पुलिस और केंद्रीय एजेंसी के बीच गतिरोध को रेखांकित करते हुए कहा, “हम सीबीआई से न्याय चाहते हैं. CBI को अपराधी को फांसी देनी चाहिए.” बता दें कि यह दरार पिछले महीने कलकत्ता हई कोर्ट द्वारा मुख्यमंत्री के फैसले को खारिज करने और मामले को CBI को सौंपने के बाद उभरी.नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा था कि हम चाहते हैं कि यह कानून तत्काल प्रभाव से लागू हो. इसे लागू करवाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. हमें परिणाम चाहिए. हम आपका पूरा समर्थन करते हैं, हम मुख्यमंत्री के बयान को आराम से सुनेंगे, वह जो चाहें कह सकती हैं लेकिन आपको गारंटी देनी होगी कि यह बिल तुरंत लागू किया जाएगा.इस विधेयक के मसौदे में रेप पीड़िता की मौत होने या उसके स्थायी रूप से अचेत होने की हालत में दोषियों के लिए मृत्युदंड के प्रावधान का प्रस्ताव है. साथ ही रेप और गैंगरेप के दोषियों के लिए आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. उनको पेरोल की सुविधा नहीं दी जाएगी. इस बिल के कानून बनने की राहत इतनी भी आसान नहीं है. साल 2019 के आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक और 2020 के महाराष्ट्र शक्ति विधेयक को राज्य विधानसभाओं में सर्वसम्मति से पारित किया गया था, लेकिन आज तक किसी को भी राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली है. इससे पता चलता है कि अपराजिता बिल का कानून बनना कितना मुश्किल भरा हो सकता है.

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