टेक जापान के फाउंडर नाओताका निशियामा ने हाल ही में लिंक्डइन पर भारत में शिफ्ट होने के बाद अपने अनुभव लिंक्डइन पर शेयर किए, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया. आइए जानते हैं कि भारत आने के बाद उनका अनुभव कैसा था?
टेक जापान के फाउंडर नाओताका निशियामा (Naotaka Nishiyama) ने हाल ही में लिंक्डइन (LinkedIn) पर भारत में शिफ्ट होने की अपनी “ट्रांसफॉर्मेटिव जर्नी” से जुड़ी कई जानकारी शेयर की, जिसे जानकार आप हैरान हो जाएंगे. बता दें, फाउंडर नाओताका निशियामा ने शेयर किया कि वह पिछले साल मार्च में एक सूटकेस और एक आइडिया के साथ भारत के बेंगलुरु पहुंचे थे. पिछले एक साल में, मेरे इस फैसले ने एंटरप्रेनशिप, कल्चर और पर्सनल ग्रोथ के बारे में उनके दृष्टिकोण (Perspective) को ऐसे तरीके से आकार दिया, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी. उन्होंने लिखा, “इस साल मेरे अंदर कुछ निश्चित रूप से बदल गया है, मैं चीजों की ज्यादा वैल्यू करने लगा हूं”. आज ये सब बातें मेरी मानसिकता का हिस्सा बन गई है.
फाउंडर नाओताका निशियामा ने अपनी पोस्ट में लिखा, “ठीक एक साल पहले, मैं सिर्फ एक सूटकेस और एक सपने के साथ भारत पहुंचा था. 25 मार्च, 2024 को मैं जापान के टोक्यो इंटरनेशनल एयरपोर्ट से रवाना हुआ था और 26 मार्च की सुबह मैं बेंगलुरु पहुंचा था. भारत आते हैं जैसे ही मैं अपना सूटकेस लेकर एयरपोर्ट से बाहर निकला, मैंने खुद को एक बिल्कुल नई दुनिया में खड़ा पाया महसूस किया था. ये मेरे लिए खास अनुभव था”
लिंक्डइन (LinkedIn) पोस्ट में सीईओ ने आगे कहा कि भारत में रहने वाले एक जापानी स्टार्टअप फाउंडर के रूप में, उन्हें जल्दी ही एहसास हो गया कि वे एक खास व्यक्ति हैं. उन्होंने कहा, भारत में बहुत ज्यादा जापानी लोग नहीं हैं, और यहां रहने वाले ज्यादातर लोग ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स या बैंकिंग इंडस्ट्री से जुड़े कॉर्पोरेट प्रवासी (Expats) हैं.”
नाओताका निशियामा ने बताया कि भारत आने के बाद जब मैं किसी से पहली बार मिलता हूं, तो अक्सर मुझसे पूछा जाता है, टोयोटा? सुजुकी? इसके बाद मैं मुस्कुराता हूं और जवाब देता हूं, नहीं, मैं टैलेंडी (Talendy) नाम की कंपनी चलाता हूं. फिर लोग मुझसे पूछते हैं कि आखिर ये क्या है? उन्होंने आगे बताया कि, भारत में रहते हुए पिछले एक साल में उन्हें अमूल्य जानकारी मिली है, जिसने उनके बिजनेस अप्रोच और पर्सनल माइंडसेट दोनों को बदल दिया है. जिसके बाद उन्होंने जरूरी बातें शेयर की है, जो उन्होंने भारत में सीखी.
उन्होंने कहा, “इस साल मेरे अंदर कुछ बदलाव जरूर आया है. स्टेबिलिटी के आधार पर खुद को चैलेंज देने की बजाय मैंने ‘परिवर्तन के भीतर मूल्य पैदा करना सीखा है. आज ये सब बातें मेरी माइंडसेट का एक हिस्सा बन गया है. निशियामा ने अपने पोस्ट के अंत में कहा, “बेशक, मैं अभी भी सीख रहा हूं… लेकिन भारत में जिन लोगों से मैं मिला हूं, खासकर से युवा पीढ़ी से मैं उनकी शानदार एनर्जी और एंबिशन से काफी प्रभावित हो रहा हूं.
आपको बता दें, लिंक्डइन पर शेयर किए गए इस पोस्ट पर 400 से अधिक कमेंट्स और 7,000 से अधिक रिएक्शन आ चुके हैं.
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