महाराष्ट्र की बीजेपी की विधायक पंकजा मुंडे (Pankaja Munde) ने NDTV मराठी कॉन्क्लेव में अपने पिता स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे को याद किया, उन्होंने कहा कि, ”मैंने अपने पिता का हाथ पकड़कर संघर्ष किया है. उस दौर में मुंडे साहब (गोपीनाथ मुंडे) के साथ इतने नेता नहीं थे. धनंजय के साथ जिले के कई नेता तत्कालीन एनसीपी में शामिल हो गए थे. मेरे पिता उस समय अकेले थे और मैं उनके साथ अकेले काम कर रही थी. तब कार्यकर्ताओं को एकजुट किया गया. तो उनसे ही हमने सीखा कि लड़ना कैसे है.” उन्होंने कहा कि, ”हम महाराष्ट्र में सत्ता की स्थापना और प्रत्येक राज्य कैसे प्रगति करेगा, इसमें योगदान दे रहे हैं और देंगे.”
महाराष्ट्र की बीजेपी की विधायक पंकजा मुंडे (Pankaja Munde) ने NDTV मराठी कॉन्क्लेव में अपने पिता स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे को याद किया, उन्होंने कहा कि, ”मैंने अपने पिता का हाथ पकड़कर संघर्ष किया है. उस दौर में मुंडे साहब (गोपीनाथ मुंडे) के साथ इतने नेता नहीं थे. धनंजय के साथ जिले के कई नेता तत्कालीन एनसीपी में शामिल हो गए थे. मेरे पिता उस समय अकेले थे और मैं उनके साथ अकेले काम कर रही थी. तब कार्यकर्ताओं को एकजुट किया गया. तो उनसे ही हमने सीखा कि लड़ना कैसे है.” उन्होंने कहा कि, ”हम महाराष्ट्र में सत्ता की स्थापना और प्रत्येक राज्य कैसे प्रगति करेगा, इसमें योगदान दे रहे हैं और देंगे.”
पंकजा मुंडे ने कहा कि, ”मैं इस बात का अनुकरणीय उदाहरण नहीं बन सकी थी कि लड़ना अपने लिए नहीं, जनता के लिए है. मैंने अपने चुनाव क्षेत्र को चेहरे पर मुस्कान के साथ छोड़ दिया. मैंने अपनी अनिच्छा के बावजूद पार्टी के आदेश पर लोकसभा का चुनाव लड़ा. मुंडे साहब के दिए गए संस्कारों से अनुकरणीय उदाहरण बनने का अवसर मिला.”
उन्होंने कहा कि, ”मुंडे साहब के निधन के कारण हुए उपचुनाव के दौरान प्रीतम ताई राजनीति में आईं. उन्होंने बहुत अच्छा काम किया. लेकिन पार्टी ने मेरे लोकसभा चुनाव की घोषणा कर दी. फैसले मोदीजी की सहमति से घोषित होते हैं, उसे कैसे खारिज किया जा सकता है? मेरा कभी भी केंद्र में जाने का कोई इरादा नहीं था.”
उन्होंने कहा कि, ”अजित पवार मेरे प्रचार के लिए आए. मैंने कभी नहीं सोचा था कि हम और एनसीपी एक मंच पर नजर आएंगे. तो अब राजनीति जिस तरह से लीक से हटकर चल रही है, वह केवल परली में ही नहीं बल्कि सभी राज्यों में चल रही है.”
पंकजा मुंडे ने कहा कि, अब मैं उतना समय प्रीतम मुंडे के भविष्य के बारे में सोचने में नहीं बिता पाऊंगी. हालांकि मुझे उनके भविष्य की चिंता है, क्योंकि मैं उसकी बड़ी बहन हूं. मुंडे साहब के बाद परिवार की जिम्मेदारी मुझ पर है. लेकिन मुंडे साहब ने मुझे अपने परिवार की एकमात्र जिम्मेदारी नहीं दी है.
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