हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दो घटक दलों जम्मू और कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) और जेएंडके डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट (JKKPM) ने अलगाववाद से अपने सभी संबंध तोड़ने की घोषणा की है.
पाकिस्तान का मोहरा रहे हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की जड़े कश्मीर से उखड़ रही हैं. जम्मू-कश्मीर में हुर्रियत की दुकान अब बंद होने की कगार पर पहुंच गई है. यहां के लोग अब अलगाववाद से तौबा कर रहे हैं और भारत के संविधान के प्रति अपनी निष्ठा दिखा रहे हैं. कश्मीर में हो रहा ये बदलाव जल्द ही अलगाववाद पर ताला लगा देगा. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को बताया कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दो घटक दलों जम्मू और कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) और जेएंडके डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट (JKKPM) ने अलगाववाद से अपने सभी संबंध तोड़ने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि इससे भारत की एकता मजबूत होगी. जेकेपीएम का नेतृत्व शाहिद सलीम कर रहे हैं, जबकि जेकेडीपीएम का नेतृत्व वकील शफी रेशी कर रहे हैं. सलीम ने एक बयान में कहा कि उन्होंने खुद को और अपने संगठन को अलगाववादी विचारधारा से अलग कर लिया है और भारत और संविधान के प्रति निष्ठा का संकल्प लिया है.
हुर्रियत से जुड़े दो संगठनों ने अलगाववाद से सभी संबंध तोड़े
सलीम ने मीडिया को दिए एक बयान में कहा, ‘मैं भारत का एक वफादार नागरिक हूं, और मेरा संगठन और मैं, दोनों भारत के संविधान के प्रति निष्ठा रखते हैं.’ सलीम और रेशी के फैसलों का स्वागत करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा कि यह कदम भारत की एकता को मजबूत करेगा और मोदी सरकार की एकीकरण नीतियों ने जम्मू-कश्मीर से अलगाववाद को ‘खत्म’ कर दिया है. उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘हुर्रियत से जुड़े दो संगठनों ने अलगाववाद से सभी संबंध तोड़ने की घोषणा की है. मैं भारत की एकता को मजबूत करने की दिशा में इस कदम का स्वागत करता हूं और ऐसे सभी समूहों से आग्रह करता हूं कि वे आगे आएं और अलगाववाद को हमेशा के लिए खत्म कर दें.’

Separatism has become history in Kashmir.
The unifying policies of the Modi government have tossed separatism out of J&K. Two organizations associated with the Hurriyat have announced the severing of all ties with separatism.
I welcome this step towards strengthening Bharat’s…
— Amit Shah (@AmitShah) March 25, 2025

अमित शाह ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित, शांतिपूर्ण और एकीकृत भारत के निर्माण के सपने की बड़ी जीत है. ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों का एक समूह है. इसके अधिकांश घटकों पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है.
‘मैं भारत का एक वफादार नागरिक…’
सलीम ने अपने संदेश में कहा कि उन्हें और उनके संगठन को ‘ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस’ की विचारधारा से कोई सहानुभूति नहीं है, जो ‘जम्मू-कश्मीर के लोगों की वैध आकांक्षाओं और शिकायतों को दूर करने में सक्षम नहीं है.’ सलीम ने कहा, ‘मैं भारत का एक वफादार नागरिक हूं. मेरा संगठन और मैं किसी ऐसे संगठन या संघ से संबद्ध नहीं हैं, जिसका एजेंडा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारत और उसके हितों के खिलाफ हो. मेरा संगठन और मैं, दोनों भारत के संविधान के प्रति निष्ठा रखते हैं.’
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी शाह फैसल ने मार्च, 2019 में जब नौकरी छोड़ दी थी, और उसी नाम एवं शैली से अपनी पार्टी शुरू की, तो सलीम ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा था कि उनकी जेकेपीएम की स्थापना चार अप्रैल, 2000 को प्रेस क्लब जम्मू में की गई थी और यह ‘ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस’ (एपीएचसी) की घटक दल थी. लेकिन फैसल ने बाद में अपना इस्तीफा वापस ले लिया और सेवा में बहाल हो गए. फैसल 2022 में पर्यटन विभाग में उपसचिव के पद पर तैनात हुए.
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