April 19, 2025

कामदा एकादशी के दिन जरूर करें व्रत कथा का पाठ, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी​

Kamada ekadashi 2025 : एकादशी के दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही इस दिन पूजा के दौरान कामदा एकादशी की व्रत कथा जरूर पढ़िए. इससे एकादशी का फल दोगुना हो जाता है.

Kamada ekadashi 2025 : एकादशी के दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही इस दिन पूजा के दौरान कामदा एकादशी की व्रत कथा जरूर पढ़िए. इससे एकादशी का फल दोगुना हो जाता है.

Kamada ekadashi vrat katha : आज कामदा एकादशी का व्रत है. आपको बता दें कि कामदा एकादशी रामनवमी के बाद ग्यारस तिथि पर मनाई जाती है. इस एकादशी का शाब्दिक अर्थ होता है ‘कामनाएं पूर्ण करने वाली’. इसलिए इस एकादशी के दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही इस दिन पूजा के दौरान कामदा एकादशी की व्रत कथा (kanada ekadashi vrat 2025) जरूर पढ़िए. इससे एकादशी का फल दोगुना हो जाता है.

कामदा एकादशी पर भगवान विष्णु को राशि अनुसार अर्पित करें ये चीजें, इस व्रत का फल मिलेगा दोगुना

कामदा एकादशी व्रत कथा

विष्णु पुराण के अनुसार, प्राचीन काल में भोगीपुर नामक एक गांव था, जहां पुंडरीक नामक राजा राज करते थे. यहां पर कई अप्सरा, किन्नर और गंधर्व का भी वास था. उनमें से ललिता और ललित नाम के पति-पत्नी भी थे, जिनके बीच अटूट प्रेम था.

एक दिन ललित राजा पुंडरीक के दरबार में गायन कर रहा था कि अचानक उसे पत्नी ललिता की याद आ गई, जिसके कारण उसका स्वर बिगड़ गया. ऐसे में राजा पुंडरीक क्रोधित हो गए और ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया. जिसके बाद ललित मांस खाने वाला राक्षस बन गया.

पुंडरीक के श्राप के बाद ललित के मुख से अग्नि निकलने लगी, सूर्य और चंद्रमा की तरह शरीर जलने लगा. उसके बाल पर्वत समान खड़े हो गए और शरीर की भुजाएं वृक्ष के समान बड़ी हो गईं. अपने पाप को भोगते हुए ललित जंगल-जंगल भटकने लगा. ललित के साथ पत्नी ललिता भी भटक रही थी. इस दौरान ललिता विंध्याचल पर्वत पहुंच गई, जहां उसे एक ऋषि मिले, जिन्होंने ललिता से उसका हाल पूछा, जिसके बाद ललिता ने अपने पति को लगे श्राप के बारे में विस्तार से बताया. साथ ही श्राप से मुक्ति का उपाय भी पूछा. तब ऋषि ने बताया कामदा एकादशी आने वाली है, अगर तुम यह व्रत रख लो और पति को अपना पुण्य दे दो तो उसे श्राप से छुटकारा मिल जाएगा.

जिसके बाद ललिता ने इस व्रत को विधि-पूर्वक किया और अपने पुण्य को पति को दे दिया और ललित ठीक हो गया. इसके बाद वशिष्ठ मुनि ने कहा यह व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है साथ ही, सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं. संसार में इसके बराबर कोई व्रत नहीं है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

NDTV India – Latest

Copyright © asianownews.com | Newsever by AF themes.