February 24, 2025
कार्टरपुरी, अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर के नाम पर क्यों पड़ा हरियाणा के गांव का नाम!

कार्टरपुरी, अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर के नाम पर क्यों पड़ा हरियाणा के गांव का नाम!​

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता जिमी कार्टर का कल निधन हो गया है. जिमी कार्टर ने साल 1977 से 1981 तक देश का नेतृत्व किया था. बतौर अमेरिका के राष्ट्रपति रहते हुए वो जब भारत के दौरे पर आए थे, तो हरियाणा के दौलतपुर नसीराबाद गांव गए थे.

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता जिमी कार्टर का कल निधन हो गया है. जिमी कार्टर ने साल 1977 से 1981 तक देश का नेतृत्व किया था. बतौर अमेरिका के राष्ट्रपति रहते हुए वो जब भारत के दौरे पर आए थे, तो हरियाणा के दौलतपुर नसीराबाद गांव गए थे.

अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति जिमी कार्टर का निधन हो गया है. अमेरिका में जन्मे जिमी कार्टर का भारत से एक खास नाता रहा है. भारत के हरियाणा राज्य के एक गांव का नाम तो इनके नाम पर रखा गया है. दरअसल, साल 1978 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जिमी कार्टर भारत आए थे. अपने इस दौरे के दौरान जब उन्होंने गुरुग्राम जिले के दौलतपुर नसीराबाद गांव जाने की इच्छा जाहिर की तो हर कोई हैरान रह गया और यही सोचने लगा कि आखिर अमेरिका में जन्मे जिमी कार्टर को दौलतपुर नसीराबाद गांव के बारे में कैसा पता और आखिर क्यों वहां जाना चाहते हैं?

जिमी कार्टर साल 1978 में बतौर अमेरिका के राष्ट्रपति भारत दौरे पर आए थे.उस दौरान मोरारजी देसाई भारत के प्रधानमंत्री थे.जिमी कार्टर अपनी मां और पत्नी के साथ दौलतपुर नसीराबाद गांव गए थे.जिमी कार्टर की मां ने कई समय इस गांव में बिताया था.

जब जिमी कार्टर अपनी मां बेस्सी लिलियन कार्टर (Bessie Lillian Carter ) और रोज़लिन कार्टर (Rosalynn Carter) के साथ दौलतपुर नसीराबाद गांव पहुंच तो वहां का पूरा माहौल ही बदल गया. गांव वालों ने सोचा तक नहीं था कि अमेरिका के राष्ट्रपति उनसे इतने अच्छे से मुलाकात करें.

दौलतपुर नसीराबाद गांव से क्या था नाता

जिमी कार्टर की मां एक नर्स थी और वर्ल्‍ड वार के दौरान भारत आई थी. दौलतपुर नसीराबाद गांव में उनकी मां का आना जाना था और अक्सर जेलदार सरफराज की हवेली पर आती थीं. इस दौरान उनके गर्भ में जिमी थे. कुछ साल भारत रहने के बाद वो वापस अमेरिका चले गई थी. लेकिन उनके दिल में दौलतपुर नसीराबाद गांव बस गया था. ऐसे में जब उन्हें पता चला कि उनका बेटा भारत दौरे पर जा रहा है. तो उन्होंने दौलतपुर नसीराबाद गांव जाने की इच्छा जाहिर की. जिसे जिमी कार्टर ने पूरा किया और अपनी मां को दौलतपुर नसीराबाद गांव लेकर आए.

दौलतपुर नसीराबाद गांव के लोगों को जिमी कार्टर इतने पसंद आए कि उन्होंने अपने गांव का नाम ही बदल दिया और ‘कार्टरपुरी’ गांव रख दिया. जब जिमी कार्टर यहां आए थे तो उनके साथ तत्‍कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई भी थे. गांव वालों ने धूमधाम से उनका स्वागत किया था और हरियाणवी पोशाक भेंट की थी. जिसे उन्होंने पहना भी.

कार्टर ने विश्व कूटनीति के अपने दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए 1982 में कार्टर सेंटर की स्थापना की थी. सामाजिक और आर्थिक न्याय को बढ़ावा देने के उनके अथक प्रयासों के लिए उन्हें 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया.साल 2015 में उन्होंने खुलासा किया था उन्हें ब्रेन कैंसर है.

100 साल की आयु में हुआ निधन

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता जिमी कार्टर का कल निधन हो गया है. जिमी कार्टर ने साल 1977 से 1981 तक देश का नेतृत्व किया था. कार्टर की 77 वर्षीय पत्नी रोज़लिन का 19 नवंबर 2023 में 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. कार्टर के कुल चार बच्चे हैं, जिनमें तीन बेटे और एक बेटी है.

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