November 22, 2024
काल भैरव को लगाया जाता है इस चीज का भोग, जानिए क्या है भगवान शिव और भैरव बाबा का संबंध

काल भैरव को लगाया जाता है इस चीज का भोग, जानिए क्या है भगवान शिव और भैरव बाबा का संबंध​

Kaal Bhairav Bhog: मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर काल भैरव जयंती मनाई जाती है. इस शुभ अवसर पर जानिए काल भैरव को किस चीज का भोग लगाया जाता है और भगवान शिव का काल भैरव से क्या रिश्ता है.

Kaal Bhairav Bhog: मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर काल भैरव जयंती मनाई जाती है. इस शुभ अवसर पर जानिए काल भैरव को किस चीज का भोग लगाया जाता है और भगवान शिव का काल भैरव से क्या रिश्ता है.

Kaal Bhairav Jayanti: पंचांग के अनुसार, हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर काल भैरव जयंती मनाई जाती है. माना जाता है कि काल भैरव की पूजा करने से सभी तरह की नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा मिल जाता है, भय से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति शत्रुओं पर विजय पा लेता है. इस साल 22 नवंबर, शुक्रवार के दिन काल भैरव जयंती है. ऐसे में जानिए भैरव बाबा को किन चीजों का भोग लगाया जाता है, किस तरह पूजा संपन्न होती है, भगवान शिव (Lord Shiva) से भैरव बाबा का क्या संबंध है और काल भैरव को काशी का कोतवाल क्यों कहते हैं.

Masik Krishna Janmashtami: कब है मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, जानिए इस व्रत का महत्व

काल भैरव का भोग | Kaal Bhairav Bhog

काल भैरव जयंती पर भैरव बाबा को सूजी का हलवा, दूध, काला चना, मीठी रोटी और साथ ही मदिरा यानी शराब का भोग लगाया जाता है. वाराणसी के प्रसिद्ध काल भैरव मंदिर में इस साल शराब की बोतलों से भैरव बाबा का श्रृंगार किया गया है और भोग में बाबा को शराब (Liquor) चढ़ाई गई है. इस भोग को ही प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा भी गया है. इस मंदिर में काल भैरव को शराब का ही भोग लगाया जाता है. माना जाता है कि शराब को भोग के रूप में चढ़ाने पर सारी समस्याओं से निजात मिलता है. मदिरा को संकल्प और शक्ति का प्रतीक मानकर भी इसे भोग के रूप में चढ़ाया जाता है. कहते हैं इससे ग्रहों के दोष भी दूर हो जाते हैं. शराब को भोग के रूप में शारीरिक कष्ट और रोगों को दूर करने के लिए भी चढ़ाया जाता है.

भैरव बाबा को क्यों कहते हैं काशी का कोतवाल

मान्यतानुसार काल भैरव की अनुमति के बिना भगवान विष्णु भी काशी में नहीं आ सकते हैं. इसीलिए काल भैरव को काशी का कोतवाल कहा जाता है.

भगवान शिव और काल भैरव का रिश्ता

शिव महापुराण के अनुसार, काल भैरव भगवान शिव के क्रूर रूप हैं, यानी भगवान शिव के रोद्र रूप को काल भैरव के नाम से जाना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव भगवान ब्रह्मा के झूठ से क्रोधित हुए थे और काल भैरव बनकर उन्होंने भगवान ब्रह्मा के पांचवे सिर को काट दिया था. इसके बाद से ही अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती के रूप में मनाया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

NDTV India – Latest

Copyright © asianownews.com | Newsever by AF themes.