मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने शनिवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर 1 लाख से अधिक पशुपालक महिला किसानों को अलग-अलग जूनोटिक बीमारियों के बारे में जानकारी दी गई है.
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने शनिवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर 1 लाख से अधिक पशुपालक महिला किसानों को अलग-अलग जूनोटिक बीमारियों के बारे में जानकारी दी गई है. विशेषज्ञों और पशु चिकित्सकों द्वारा महिलाओं को एक वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से स्वच्छ दूध उत्पादन और रोग की रोकथाम में एथनोवेटरनरी दवाओं की भूमिका के बारे में जानकारी दी गई. पशुपालन और डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने वर्चुअल सेशन की अध्यक्षता करते हुए कहा, “डेयरी सहकारी समितियों (डीसीएस) में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.”
उपाध्याय ने कहा, “महिला डेयरी किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), समुदाय से जुड़े किसानों (सीएलएफ) और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से खुद को संगठित करने में सक्षम रही हैं, जहां डेयरी सहकारी समितियां (डीसीएस) मौजूद नहीं थीं.” उन्होंने कहा, “डेयरी क्षेत्र में महिलाओं का योगदान बहुत बड़ा है, उन्हें इस क्षेत्र में केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए.” उन्होंने कहा कि बकरी और भेड़ पालन की योजनाएं महिला किसानों को कम लागत पर अच्छा रिटर्न पाने में मदद कर सकती हैं.
कोविड महामारी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पशुओं से मनुष्यों में बीमारी फैलने और उत्पादकता में कमी को रोकने के लिए जूनोटिक बीमारियों की रोकथाम पर ध्यान देने की जरूरत है. वर्चुअल सेशन में 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की महिलाओं ने भाग लिया. ग्राम स्तरीय उद्यमियों (विलेज लेवल एंटरप्रेन्योर) द्वारा लगभग 2,050 शिविर आयोजित किए गए.
डीएएचडी की अतिरिक्त सचिव वर्षा जोशी ने कहा, “महिला किसानों को पशुपालन प्रैक्टिस और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच संबंध पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.” उन्होंने इस क्षेत्र में स्वच्छ, सस्टेनेबल प्रैक्टिस की जरूरत पर जोर दिया और स्वच्छ दूध उत्पादन के महत्व और पशुओं से मनुष्यों में बीमारियों के फैलने को रोकने के लिए जैव सुरक्षा उपाय करने पर चर्चा की. हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3,880 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण योजना (एलएचडीसीपी) के संशोधन को मंजूरी दी.
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