सरकार ने राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में कहा कि बच्चों के लिए सीखे जाने वाली तीन भाषाएं, उनके राज्यों, क्षेत्रों और पाठ्यक्रमों से जुड़ी होंगी.
डीएमके सांसदों के हिन्दी को लेकर विरोध के बीच सरकार ने संसद में साफ किया कि कोई भी भाषा किसी भी राज्य पर थोपी नहीं जाएगी और राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भाषा को लेकर लचीला रुख अपनाया गया है. सरकार ने राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में कहा कि बच्चों के लिए सीखे जाने वाली तीन भाषाएं, उनके राज्यों, क्षेत्रों और पाठ्यक्रमों से जुड़ी होंगी. गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तीन भाषा फार्मुला को अपनाया गया है. सरकार का मानना है कि इससे क्षेत्रीय आंकाक्षाओं और बहुभाषा को बढ़ावा देने के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता को और मजबत करने में मदद मिलेगी.
अपने जवाब में केन्द्रीय शिक्षा राज्यमंत्री जयंत चौधरी ने यह भी कहा कि जो छात्र पढ़ाई के दौरान तीन भाषाओं में से किसी एक या अधिक को बदलना चाहते है, वह ऐसा कक्षा 6 या 7 में कर सकेंगे हालांकि उन्हें पूर्व में चयन की गई भाषाओं में माध्यमिक विद्यालय के अंत में बुनियादी दक्षता दिखानी होगी.
डीएमके इस मुद्दे को लेकर सरकार पर लगातार हमलावर है और सदन के अंदर और बाहर राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़े तीन भाषा फार्मुले का लगातार विरोध कर रही है.केन्द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकान्तो मजूमदार ने इससे संबंधित एक अन्य प्रश्न में कहा कि एनईपी 2020 छात्रों को उनकी इच्छा अनुसार भाषा चुनने का विकल्प देती है बर्शते कि तीन भाषाओं में कम से कम दो भारतीय मूल की भाषा हों.
इससे पहले बजट सत्र के दूसरे भाग की शुरुआत में ही लोकसभा में तमिलनाडु में एनईपी के लागू करने को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के बयान को लेकर डीएमके सांसदों ने जबरदस्त हंगामा किया था. केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने इस मुद्दे पर डीएमके पर राजनीति करने और छात्रों के हितों के अनदेखी का आरोप लगाया था हालांकि डीएमके सांसदों के विरोध के बाद धर्मेद्र प्रधान अपने कुछ वक्तव्यों पर खेद ही व्यक्त करना पड़ा था.
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