कथित शराब घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूछताछ के लिए मंगलवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को तलब किया है.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित शराब घोटाला मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के बेटे के खिलाफ धनशोधन जांच के तहत उनके (पूर्व मुख्यमंत्री के) परिसरों पर सोमवार को छापे मारे तथा कुछ दस्तावेजों के अलावा 33 लाख रुपये नकदी जब्त की. दुर्ग जिले में भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल के भिलाई परिसर, चैतन्य बघेल के कथित करीबी सहयोगी लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल और कुछ अन्य के परिसरों समेत 14 ठिकानों की धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत तलाशी ली गई. सूत्रों के अनुसार चैतन्य बघेल 15 मार्च को बयान दर्ज करवाने वाले हैं.
- सोमवार को छापेमारी सुबह करीब सात बजे शुरू हुई थी.
- ईडी के तलाशी दल के साथ सीआरपीएफ का सुरक्षा दल भी था.
- चैतन्य बघेल अपने पिता के साथ भिलाई में रहते हैं, इसलिए उस परिसर पर भी छापेमारी की गई थी.
- आठ घंटे तक चली तलाशी के शाम में समाप्त हुई.
- ईडी पूर्व मुख्यमंत्री के आवास पर नकदी गिनने की मशीन भी लेकर आई थी.
आखिर कौन है चैतन्य बघेल
चैतन्य कांग्रेस से जुड़े हुए हैं, लेकिन उन्होंने राजनीति से फिलहाल दूरी बनाई हुई है. अभी तक उन्होंने पार्टी में कोई भी पद नहीं संभाला है. कहा जाता है कि जब भूपेश बघेल 2018 से 2023 तक राज्य की सत्ता पर थे, उस दौरान चैतन्य के चुनावी राजनीति में प्रवेश की योजना थी. लेकिन ये साकार नहीं हो सकी. सूत्र के अनुसार पिछले लोकसभा में जब बघेल को राजनांदगांव सीट से टिकट मिला तो, ये अटकलें लगाई जा रही थीं कि चैतन्य को पाटन विधानसभा सीट, जिसका प्रतिनिधित्व उनके पिता करते हैं, वहां से से मैदान में उतारा जाएगा. लेकिन बघेल के हारने के बाद ऐसे नहीं हो सका. चैतन्य पहले रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़े थे. लेकिन अब परिवार की सब्जी की खेती का काम देख रहे हैं.
भूपेश बघेल क नेतृत्व वाली सरकार में हुआ घोटाला: ईडी
ईडी के अनुसार, कथित शराब घोटाला 2019 से 2022 के बीच हुआ था. जब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी. इस जांच के तहत ईडी ने अब तक विभिन्न आरोपियों की लगभग 205 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है. शीर्ष अदालत ने 2024 में इस मामले में ईडी की पहली ईसीआईआर (प्राथमिकी) खारिज कर दी थी, जो आयकर विभाग की शिकायत पर आधारित थी. तब ईडी ने उसके द्वारा जुटाये गए सबूतों के आधार पर आरोपियों के विरूद्ध छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू)/भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को नई प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया और फिर उसने खुद नया मामला दर्ज किया.
ईओडब्ल्यू/एसीबी ने पिछले साल 17 जनवरी को प्राथमिकी दर्ज की थी तथा लखमा और पूर्व सचिव विवेक धंड समेत 70 व्यक्तियों एवं कंपनियों को नामजद किया था. उससे करीब एक माह पहले भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस को हराया था.
ईडी ने पहले कहा था कि छत्तीसगढ़ शराब ‘घोटाले’ के कारण राज्य के राजस्व को ‘‘भारी नुकसान” हुआ और इस अपराध से प्राप्त 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेब में गई. इस मामले में ईडी ने जनवरी में पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता कवासी लखमा के अलावा रायपुर के महापौर और कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) के अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी और कुछ अन्य को गिरफ्तार किया था.
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