‘अश्वबोट’ एक खास किस्म का रोबोट है, जो भारत में बनाया गया है. यह रोबोट देश की कंपनी डेफटेक एंड ग्रीन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने बनाया है. यह एक ऐसा रोबोट है जिसका इस्तेमाल हथियार ढोने से लेकर अन्य समान ले जाने तक में किया जा सकता है. इसके अलावा निगरानी और आपदा के दौरान मदद के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है. यह सभी मौसमों में कारगर है.
‘अश्वबोट’ एक खास किस्म का रोबोट है, जो भारत में बनाया गया है. यह रोबोट देश की कंपनी डेफटेक एंड ग्रीन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने बनाया है. यह एक ऐसा रोबोट है जिसका इस्तेमाल हथियार ढोने से लेकर अन्य समान ले जाने तक में किया जा सकता है. इसके अलावा निगरानी और आपदा के दौरान मदद के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है. यह सभी मौसमों में कारगर है.
अश्वबोट रोबोट 100 किलोग्राम तक वजन उठा सकता है. इसमें स्पीकर भी लगे हैं जो कि अलर्ट करते हैं. इसकी कीमत फिलहाल 65 से 70 लाख रुपये है. इसमें 70 फीसदी से ज्यादा कम्पोनेन्ट स्वदेशी हैं. यह एक घंटे में 10 किलोमीटर तक जा सकता है. यह आर्डर देने पर खुद ही मूव करता है और किसी भी तरह की बाधा आने पर अपना नया रास्ता खोज लेता है.
रोबोट में लगे हैं कई तरह के सेंसर
डेफटेक एंड ग्रीन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ विंग कमांडर (सेवानवृत्त) मनीष चौधरी ने NDTV को बताया कि, यह अश्वबोट, ऑटोनामस रोबोट है. लेबल 4 ऑटोनामी का यह दुनिया का पहला इकलौता रोबोट है. यह हिंदुस्तान में ही निर्मित है. यह अलग-अलग सेंसरों से अपना मार्गदर्शन करता है. हमको एक जगह से दूसरी जगह पर कोई चीज भेजनी है, उसकी कोई मैपिंग नहीं की गई है, इसके बावजूद यह अपने सेंसर, लेडार सेंसर, लेजर डिटेक्शन एंड रेजिंग सेंसर, अलग-अलग तरह के कैमरों के जरिए आगे बढ़ता है.
उन्होंने बताया कि इसके अंदर चार कैंटीलीवर पहिये हैं. चारों पहिये मुड़ सकते हैं, आगे भी घूम सकते हैं, पीछे भी घूम सकते हैं. ताकि यह रोबोट मूव कर सके, आगे चला जाए, पीछे चला जाए..या पूरा घूम जाए. इसके अंदर लगेज के लिए बॉक्स है. हमारा यह मॉडल 100 किलोग्राम का वजन ढो सकता है. इसके अंदर हम फौज के लिए अलग-अलग तरीके के इक्विपमेंट रख सकते हैं. बाद में हमारा हजार किलो और तीन हजार किलो की क्षमता का मॉडल आएगा. उसमें मिसाइल, रॉकेट रख सकेंगे. वह स्टोर से सारा सामान जहाज के पास ले जाएगा.
ओटीपी से ही खुलता और बंद होता है
अश्वबोट में कंटेनर खुलते हैं. इसके आगे ओटीपी है जो डालते हैं, उसी से यह बंद होता है और खुलता है. जब यह ट्रैवल कर रहा हो तो इससे कोई आदमी कोई सामान नहीं निकाल सकता. जिसके पास ओटीपी होगा, वही निकाल पाएगा.
उन्होंने कहा कि, इसको कंट्रोल करने की जरूरत नहीं है. यह ऑटोमैटिक है. उसको सिर्फ कहना है कि मैं यहां खड़ा हूं, यहां से तीन किलोमीटर बॉम डंप है, वहां जाओ.. यह यहां से अपने आप जाएगा. इसमें सेंसर हैं. वह देखते हैं कि नीचे कोई गड्ढा तो नहीं है. इसमें लाइट डिटेक्शन और रेंजिंग का सेंसर है. इससे यह पता करता है कि क्या पिक्चर बन रही है. यदि तीन फुट दूर तक कोई आदमी होगा तो यह रुक जाएगा. गड्ढा आने पर यह अपने आप रास्ता बदलेगा. इसमें आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस है. यह नया रास्ता लेकर फायनल डेस्टिनेशन तक जाएगा. वहां अपना काम खत्म करने के बाद अपने आप ही यहां वापस आएगा.
70 प्रतिशत से ज्यादा कम्पोनेंट हिंदुस्तानी
यह सिर्फ सामान ले जाने के लिए है. इसमें 70 प्रतिशत से ज्यादा हिंदुस्तानी कम्पोनेंट हैं. यह पूरी तरह भारत में डिजाइन और डेवलप किया गया है. कुछ साल बाद हम इसको पूरी तरह स्वदेशी कर लेंगे. इसके अंदर लेबल 4 ऑटोनामी हार्ट है. इसे चाहे जिस गाड़ी में लगाओ, अभी हमने इसमें लगाया है. हम साढ़े चार साल पुराने स्टार्टअप ही हैं. फंड्स आएंगे, हम और करेंगे. हम चाह रहे हैं कि बाद में हम इसे रोड पर भी लेकर आएं. अभी भारत में ऑटोनामस ड्राइविंग के लिए रेगुलेशन इजाजत नहीं देते.
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