Hindi Diwas 2024: नरेश सक्सेना के कविता संग्रह बहुत लोकप्रिय हुए. इस सादगी भरे कवि की पढ़ाई और लेखन का सफर भी बहुत सहज रहा लेकिन प्रेम और विवाह तक का सफर बेहद रोचक रहा, बिलकुल पुरानी हिंदी फिल्मों की कहानी की तरह.
Naresh Saxena Love Story: कवियों के लिए एक बात बहुत मशहूर है, कहते हैं जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि. लोकप्रिय कवि नरेश सक्सेना की कविताएं भी हर बंधन से आजाद हैं, उन्मुक्त है. जिसमें विज्ञान की बात मिलेगी तो इंजीनियरिंग का पुट भी दिखाई देगा. कविता गढ़ने का तरीका ऐसा कि हर पंक्ति एक समान प्रवाह में बहती नजर आएगी. नरेश सक्सेना के कविता संग्रह बहुत लोकप्रिय हुए. इस सादगी भरे कवि की पढ़ाई और लेखन का सफर भी बहुत सहज रहा लेकिन प्रेम और विवाह तक का सफर बेहद रोचक रहा, बिलकुल पुरानी हिंदी फिल्मों की कहानी की तरह.
फोटो देखकर मन में उतरी तस्वीर
नरेश सक्सेना ग्वालियर के रहने वाले थे जो पढ़ाई के लिए जबलपुर आए थे. अपने होस्टल में बैठ कर अखबार पढ़ रहे नरेश सक्सेना को उसमें एक तस्वीर दिखाई दी. इस तस्वीर में जबलपुर यूनिवर्सिटी के कुछ छात्र तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के साथ दिख रहे थे. इस तस्वीर में यूं तो बहुत सारे छात्रों का समूह था लेकिन नरेश सक्सेना की नजर एक खास चेहरे पर टिक गई. उस चेहरे पर कुछ उदासी सी दिख रही थी. जो शायद उस छात्रा के ग्रेस को और बढ़ा रही थी. बस वो तस्वीर देख कर नरेश सक्सेना इंप्रेस हुए. ये लड़की थीं विजय ठाकुर. जिन्हें शास्त्रीय संगीत में निपुण होने का पुरस्कार मिला था.
ऐसे बढ़ी नजदीकियां
उन्हीं दिनों के आसपास जबलपुर की सांस्कृतिक संस्था मिलन ने अपना एनुअल फंक्शन आयोजित किया था. इस फंक्शन में नरेश सक्सेना का भी आना जाना था. जहां वो साधना नाम की लड़की से मिले. साधना और विजय आपस में अच्छी सहलियां थीं. साधना के जरिए ही नरेश सक्सेना की मुलाकात विजय ठाकुर से पहली बार हुई. इसके बाद दोनों अक्सर अपने कॉलेज के दौरान एक दूसरे से मिलने लगे. विजय ठाकुर सागर की मशहूर तवायफ बेनी कुंवर की बेटी थी. लेकिन इस अतीत से दोनों की मित्रता पर कोई असर नहीं पड़ा. खुद विजय ठाकुर को उनकी मां ने अपने इस रवायत से दूर रखा था.
बिना खत बिना तार ढूंढा पता
इन मुलाकातों के बीच नरेश सक्सेना की पढ़ाई पूरी हो गई. वो पहले अपने घर ग्वालियर गए और वहां से नौकरी के लिए लखनऊ चले गए. विजय ठाकुर और नरेश सक्सेना की न मुलाकात हुई. न विजय ठाकुर के पास उनका कोई पता या नंबर था. इस बीच विजय ठाकुर को भी आकाशवाणी में इंटरव्यू देने का मौका मिला.
संयोग से शहर लखनऊ ही था. विजय ठाकुर ये तो जानती थीं कि नरेश सक्सेना लखनऊ में हैं. लेकिन कहां, इसकी उनके पास कोई जानकारी नहीं थी. याद थी तो बस कवि महोदय की एक बात कि कवियों की बैठक अक्सर कॉफी हाउस में होती है. इसे याद कर विजय ठाकुर शहर के बड़े कॉफी हाउस में पहुंची. इत्तेफाक देखिए नरेश सक्सेना वाकई वहां बैठे हुए मिल गए और मुलाकात का सिलसिला फिर चल निकला
ऐसे हुई शादी
जुदाई एक बार फिर दोनों के नसीब में लिखी थी. विजय ठाकुर की नौकरी आकाशवाणी लखनऊ में थी और नरेश सक्सेना का तबादला झांसी में हो गया. इस दौरान नरेश सक्सेना की बहन ने विजय ठाकुर का ध्यान रखा. फिर उनका रिश्ता विजय ठाकुर की मां को भेजा गया. मां ने पूरी तफ्तीश करवाई और जब रिश्ता ठीक लगा तब 16 मई 1970 को दोनों का धूमधाम से विवाह करवा दिया गया. विजय ठाकुर का कन्यादान भवानी प्रसाद तिवारी ने किया.
NDTV India – Latest
More Stories
भारतीय महिला ने पाकिस्तानी दोस्त की शादी को FaceTime पर देखा, कुछ इस तरह बयां किया दिल का हाल, इमोशनल कर देगा VIDEO
ऑटो ड्राइवर के साथ रोजाना सफर करता है उसका पालतू कुत्ता, दोनों का प्यार देख दिल हार बैठे लोग
फ्लाइट अटेंडेंट ने किया गजब का कारनामा, हवा में था प्लेन, तभी प्रेग्नेंट महिला को शुरू हो गया लेबर पेन और फिर…