November 24, 2024
ग्लोबल क्लाइमेट चेंज से निपटने में मदद कर सकती हैं भारतीयों की खान पान की आदतें : रिपोर्ट

ग्लोबल क्लाइमेट चेंज से निपटने में मदद कर सकती हैं भारतीयों की खान-पान की आदतें : रिपोर्ट​

एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि भोजन की बर्बादी को सीमित करने, शाकाहारी भोजन को प्राथमिकता देने के अलावा भारतीयों की खान-पान की आदतें वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकती हैं.

एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि भोजन की बर्बादी को सीमित करने, शाकाहारी भोजन को प्राथमिकता देने के अलावा भारतीयों की खान-पान की आदतें वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकती हैं.

एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि भोजन की बर्बादी को सीमित करने, शाकाहारी भोजन को प्राथमिकता देने के अलावा भारतीयों की खान-पान की आदतें वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकती हैं. वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की हाल ही में जारी लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट से पता चला है कि भारतीयों द्वारा अपनाए जाने वाला भोजन जी 20 देशों में सबसे अधिक जलवायु-अनुकूल है. डेटा एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबलडेटा की उपभोक्ता विश्लेषक श्रावणी माली ने कहा कि भारत ने हाल के वर्षों में विशेष रूप से महानगरों में शाकाहारी भोजन को लेकर लोगों में जागरूकता तेज की है.

माली ने कहा, “देश की वर्तमान खाद्य उपभोग पद्धतियां पौधों पर आधारित आहार और जलवायु अनुकूल फसलों, जैसे बाजरा पर जोर देती हैं. इसके लिए कम संसाधनों की आवश्यकता होती है और मांस प्रधान आहार की तुलना में कम उत्सर्जन होता है, यह परिवर्तन स्थिरता पर व्यापक ध्यान से भी जुड़ा हुआ है.” ग्लोबलडेटा द्वारा हाल ही में किए गए उपभोक्ता सर्वेक्षण का हवाला देते हुए माली ने कहा कि 79 प्रतिशत भारतीयों ने कहा कि भोजन और पेय पदार्थ खरीदते समय टिकाऊ या पर्यावरण के अनुकूल विशेषता आवश्यक है.

माली ने कहा, ”पारंपरिक भारतीय आहार में मुख्य रूप से दाल, अनाज और सब्जियां शामिल हैं. मौसमी और स्थानीय उपज पर जोर देने वाले ये पारंपरिक आहार पर्यावरण के मुद्दों पर अधिक आकर्षित करने के साथ-साथ लोकप्रिय होते जा रहे हैं. परिणामस्वरूप बढ़ती जागरूकता के साथ उपभोक्ता पारंपरिक आहार प्रथाओं को अपनाकर पर्यावरणीय बोझ को कम करने की उम्मीद करेंगे, जो पौधे-आधारित खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता देते हैं.”

ग्लोबलडेटा में एशिया-प्रशांत और मध्य पूर्व के उपभोक्ता एवं खुदरा वाणिज्यिक निदेशक दीपक नौटियाल ने देश में पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए कई पहल शुरू करने के लिए सरकार की सराहना की.
उन्होंने बाजरे के उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय बाजरा अभियान और अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (2023) अभियानों का हवाला दिया. बाजरा भोजन और पोषण का एक पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ स्रोत है. इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन का उद्देश्य जलवायु अनुकूल खेती में सुधार करना भी है. माली ने कहा कि जलवायु के अनुकूल आहार, विशेष रूप से भारतीयों के खाने की आदतों को अपनाना, वैश्विक पर्यावरणीय और स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान में अहम साब‍ित हो सकता है.

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