April 17, 2025

छत्तीसगढ़ नान घोटाला: सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद ईडी ने वापस ली जनहित याचिका​

ED ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में आपराधिक न्याय प्रणाली को अभियोजन पक्ष के विवेक का दुरुपयोग, गवाहों को डराने-धमकाने और राजनीतिक दबाव के माध्यम से हेरफेर किया गया था.

ED ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में आपराधिक न्याय प्रणाली को अभियोजन पक्ष के विवेक का दुरुपयोग, गवाहों को डराने-धमकाने और राजनीतिक दबाव के माध्यम से हेरफेर किया गया था.

छत्तीसगढ़ नान घोटाला मामले में ईडी ने जनहित याचिका दाखिल की थी, अब सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद उसे वापस ले लिया है. कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा अगर ईडी के पास मौलिक अधिकार हैं, तो उसे लोगों के मौलिक अधिकारों के बारे में भी सोचना चाहिए. कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि ईडी एक सरकारी एजेंसी है, जिसने रिट दायर की है, जो आमतौर पर सरकार और उसकी एजेंसियों के खिलाफ दायर की जाती है, न कि उनके द्वारा.

दरअसल ED ने नागरिक पूर्ति निगम (NAN) घोटाले से संबंधित एक मामले में छत्तीसगढ़ से नई दिल्ली में जांच ट्रांसफर करने की मांग करते हुए अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर की थी.

यह याचिका पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा और अन्य से संबंधित मामले में दायर की गई थी. जो नागरिक पूर्ति निगम (NAN) द्वारा चावल खरीद और वितरण में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं से जुड़े 2015 के भ्रष्टाचार मामले में आरोपी हैं.

ED ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में आपराधिक न्याय प्रणाली को अभियोजन पक्ष के विवेक का दुरुपयोग, गवाहों को डराने-धमकाने और राजनीतिक दबाव के माध्यम से हेरफेर किया गया था. इसने मामले को नई दिल्ली में विशेष अदालत (PMLA) में स्थानांतरित करने और एक स्वतंत्र मंच के समक्ष नए सिरे से सुनवाई की मांग की थी.

ED ने कहा था कि 2018 में राज्य सरकार में बदलाव के बाद, अभियोजन पक्ष का दृष्टिकोण “नाटकीय रूप से बदल गया” और टुटेजा सहित कई आरोपियों, जिन्हें याचिका में तत्कालीन मुख्यमंत्री के बहुत करीबी बताया गया था, को अग्रिम जमानत दे दी गई.

एजेंसी ने जब्त किए गए व्हाट्सएप चैट और कॉल डेटा रिकॉर्ड का भी हवाला दिया. जो कथित तौर पर टुटेजा और SIT/अभियोजन सदस्यों के बीच सीधे संचार दिखाते हैं. इसने दावा किया कि अभियोजन पक्ष की रणनीति और गवाहों के बयान वास्तविक समय में उन्हें लीक किए जा रहे थे.

दरअसल अनुच्छेद 32 के तहत एक रिट याचिका केवल मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर की जाती है और यह सरकार के साधनों के खिलाफ दायर की जाती है, न कि सरकार या उसकी एजेंसियों द्वारा. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से रिट याचिका के सुनवाई योग्य होने पर सवाल उठाया.

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