November 24, 2024
जब तक सीमा पर शांति बहाल नहीं तब तक...; चीन के साथ बिगड़े संबंधो पर विदेश मंत्री जयशंकर

जब तक सीमा पर शांति बहाल नहीं तब तक…; चीन के साथ बिगड़े संबंधो पर विदेश मंत्री जयशंकर​

गलवान झड़प के बाद से ही भारत और चीन के संबंध कितने तल्खभरे हो चुके हैं. ये किसी से छिपा नहीं है. न्यूयॉर्क में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ बिगड़े संबंधों पर खुलकर बात की.

गलवान झड़प के बाद से ही भारत और चीन के संबंध कितने तल्खभरे हो चुके हैं. ये किसी से छिपा नहीं है. न्यूयॉर्क में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ बिगड़े संबंधों पर खुलकर बात की.

भारत और चीन के रिश्ते कितने तल्खभरे हो चुके हैं, इसकी बानगी पिछले कुछ सालों में कई बार देखने को मिल चुकी है. भारत से सटी सीमा पर चीन के आक्रामक रवैये की वजह से दोनों देशों के रिश्ते पटरी से उतर चुके हैं. भारत और चीन के संबंधों पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प ने दोनों देशों के संबंधों पर असर डाला है. पिछले चार सालों से नई दिल्ली का ध्यान सीमा पर सैनिकों की वापसी पर रहा है.

भारत-चीन संबंधों का दुनिया पर असर

कल न्यूयॉर्क में ‘भारत, एशिया और वर्ल्ड इवेंट में डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत-चीन संबंध एशिया के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं जो कि पूरे विश्व को प्रभावित करेंगे. डॉ. जयशंकर ने कहा, “मुझे लगता है कि भारत-चीन संबंध एशिया के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं. अगर दुनिया को बहुध्रुवीय बनाना है, तो एशिया को भी बहुध्रुवीय बनाना होगा और इसलिए यह संबंध न केवल एशिया के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि इस तरह से, शायद दुनिया के भविष्य को भी प्रभावित करेगा.” जिस कार्यक्रम में विदेश मंत्री ने हिस्सा लिया, उसकी मेजबानी एशिया सोसाइटी और एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट ने की थी.

भारत का चीन के साथ कठिन इतिहास

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत का चीन के साथ कठिन इतिहास रहा है. आपके पास दो ऐसे देश हैं जो पड़ोसी हैं, इस मायने में अलग हैं कि वे एक अरब से ज़्यादा लोगों वाले दो देश हैं, दोनों वैश्विक क्रम में आगे बढ़ रहे हैं और अक्सर उनकी सीमाएं ओवरलैप होती हैं, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि उनकी सीमा एक समान है. इसलिए यह वास्तव में एक बहुत ही जटिल मुद्दा है. मुझे लगता है कि अगर आप आज वैश्विक राजनीति को देखें, तो भारत और चीन का समानांतर उदय एक बहुत ही अनोखी समस्या पेश करता है.

गश्त से जुड़े मुद्दों को अभी सुलझाया जाना बाकी

जयशंकर ने कहा, ‘जब मैंने कहा कि 75 प्रतिशत समस्या का समाधान हो चुका है, तो इसका मतलब है कि केवल सैनिकों की वापसी हुई है. इसलिए, यह तो समस्या का एक हिस्सा है. सीमा पर गश्त से जुड़े कुछ मुद्दों को अभी सुलझाया जाना है. अगला कदम तनाव कम करना होगा.’ आप जानते हैं, हम दोनों वास्तविक नियंत्रण रेखा तक कैसे गश्त करते हैं. डॉ. जयशंकर ने कहा कि 2020 के बाद गश्त व्यवस्था में गड़बड़ी हुई है. दोनों देश बहुत बड़ी संख्या में सैनिकों को सीमा पर लाए है.

भारत, चीन के बीच 3500 किमी की सीमा विवादित

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच 3500 किलोमीटर की पूरी सीमा विवादित है. इसलिए आप यह सुनिश्चित करते हैं कि सीमा शांतिपूर्ण हो ताकि रिश्ते के अन्य हिस्से आगे बढ़ सकें. डॉ. जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच कई समझौतों में विस्तार से बताया गया है कि सीमा को शांतिपूर्ण कैसे बनाए रखा जाए. अब समस्या यह थी कि 2020 में, इन बहुत स्पष्ट समझौतों के बावजूद, कोविड में हमने देखा कि चीन इन समझौतों का उल्लंघन करते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी संख्या में सेना ले गए. इस पर हमने उसी तरह जवाब दिया.

गलवान झड़प का रिश्तों पर असर

एक बार जब सैनिकों को बहुत करीब से तैनात किया गया, जो ‘बहुत खतरनाक’ है, तो टकराव होने की संभावना थी, और ऐसा हुआ. 2020 के गलवान संघर्ष का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा संघर्ष हुआ था, और दोनों तरफ़ से कई सैनिक मारे गए थे, और तब से, एक तरह से, इसने रिश्ते को प्रभावित किया है. इसलिए जब तक हम सीमा पर शांति बहाल नहीं कर सकते और यह सुनिश्चित नहीं कर सकते कि जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं उनका पालन किया जाए, तब तक बाकी रिश्तों को जारी रखना भी मुश्किल है.

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