रतन टाटा के अंतिम संस्कार में उनका कुत्ता ‘गोवा’ भी उन्हें अंतिम सम्मान देने आया था. उन्होंने कुत्ते का नाम ‘गोवा’ क्यों रखा, इसके पीछे भी एक कहानी है.
10 अक्टूबर को मुंबई में उद्योगपति रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया था. उन्हें कुत्तों से काफी लगाव था और वो आवारा जानवरों की भलाई के लिए काम भी करते थे. एनडीटीवी प्रॉफिट से बात करते हुए वैष्णवी कम्युनिकेशंस की चेयरपर्सन नीरा राडिया ने भी कुत्तों के प्रति रतन टाटा के लगाव के बारे में एक किस्सा साझा किया.
उन्होंने कहा, “मैं बॉम्बे में गेस्ट हाउस में थी और वहां आवारा कुत्ते थे, जिनकी हम देखभाल करते थे. रतन टाटा ने मुझसे पूछा कि क्या मैं उनके कुत्ते की देखभाल कर सकता हूं. इसके बाद हर दिन उनका ड्राइवर कुत्ते (जैकी) के लिए खाना लाता था और हम भी उसे गेस्ट हाउस में खाना खिलाते थे. कुछ दिनों में दुबला कुत्ता स्वस्थ दिखने लगा. हम उसे टहलाने के लिए बाहर भी ले जाते थे.”
मरीन ड्राइव से भागा रतन टाटा का कुत्ता
राडिया ने बताया, “एक दिन ड्राइवर उसे मरीन ड्राइवर पर टहलाने ले गया. जहां से वो भाग गया. उस वक्त ये काफी हंसी वाले दृश्य थे कि फॉर्मल और टाई पहने चार से पांच पीआर पेशेवर एक कुत्ते की तलाश में मरीन ड्राइव पर दौड़ रहे थे. फिर मैंने रतन टाटा को फोन किया और कहा कि जैकी पट्टे से बाहर निकलकर भाग गया. हालांकि बाद में हमें वो कुत्ता मिल गया.”
नीरा राडिया ने भारत के लिए रतन टाटा के दृष्टिकोण, फैसले लेने की उनकी शैली, नैनो संयंत्र को लेकर पश्चिम बंगाल के साथ लड़ाई और फिर गुजरात जाने की कहानी साझा की. उन्होंने ये भी बताया कि रतन टाटा ने विफलता को कैसे संभाला और कैसे वो लोगों की इतनी परवाह करते थे और उनके लिए काम करना चाहते थे.
रतन टाटा का जानवरों से प्रेम
उद्योगपति रतन टाटा पालतू जानवरों के कल्याण और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर काफी गंभीर थे. खासकर बारिश के मौसम के दौरान, जब आवारा कुत्ते अक्सर पानी से बचने के लिए कारों के नीचे शरण लेते हैं.
रतन टाटा के अंतिम संस्कार में उनका कुत्ता ‘गोवा’ भी उन्हें अंतिम सम्मान देने आया था. उन्होंने कुत्ते का नाम ‘गोवा’ क्यों रखा, इसके पीछे भी एक कहानी है.
‘गोवा’ के केयरटेकर ने कहा, “वो पिछले 11 साल से हमारे साथ है. जब हम वहां पिकनिक मनाने गए थे, तो सुरक्षा गार्ड इस कुत्ते को गोवा से ले आए थे. रतन टाटा उससे बहुत प्यार करते थे.”
रतन टाटा को आवारा और पालतू जानवरों से था लगाव
रतन टाटा का मुंबई में लघु पशु अस्पताल (एसएएचएम) का सपना था, जो जानवरों की देखभाल के लिए अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित एक सुविधा हो. ये पहल उनके दिल के करीब थी. जानवरों के लिए गुणवत्तापूर्ण देखभाल किए जाने के उनके प्रयासों ने ये दिखाया कि आवारा और पालतू जानवरों के जीवन को बेहतर बनाने के प्रति वो कितने समर्पित थे.
जानवरों का ये अस्पताल जुलाई में खुला और ये पांच मंजिला केंद्र है. इसमें लगभग 200 मरीजों का इलाज हो सकता है.
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